हुजूर मुझे फांसी दे दो... 600 करोड़ की प्रॉपर्टी के लिए पत्नी शकीरा को मारने वाले स्वामी श्रद्धानंद की कहानी

ललित यादव

12 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 12 2024 12:55 PM)

Swami Shraddhanand Case: अपनी पत्नी की हत्या के मामले में 30 साल से जेल में बंद स्वामी श्रद्धानंद फिर चर्चाओं में है. वजह है, इस केस में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी. दरअसल स्वामी श्रद्धानंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, जिसमें उन्होंने उम्रकैद की सजा की बजाय उन्हें फांसी की सजा देने की बात कही थी.

swami shraddhanand

swami shraddhanand

follow google news

Swami Shraddhanand Case: अपनी पत्नी की हत्या के मामले में 30 साल से जेल में बंद स्वामी श्रद्धानंद फिर चर्चाओं में है. वजह है, इस केस में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी. दरअसल स्वामी श्रद्धानंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, जिसमें उन्होंने उम्रकैद की सजा की बजाय उन्हें फांसी की सजा देने की बात कही थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की जेल से रिहाई वाली रिट याचिका को खारिज कर दिया.  

यह भी पढ़ें...

हालांकि, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2008 के फैसले की समीक्षा के लिए उसकी अलग याचिका पर सुनवाई करने को सहमत हो गई, जिसमें निर्देश दिया गया था कि उसे उसके शेष जीवन तक जेल से रिहा नहीं किया जाएगा. 

'मौत की सजा मांगने का अधिकार नहीं'

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘आप चाहते हैं कि इसे फांसी में बदल दिया जाए?’ बेंच ने कहा, ‘किसी भी आरोपी को दोषसिद्धि के आधार पर मौत की सजा मांगने का अधिकार नहीं है. आप अपनी जान नहीं ले सकते, आत्महत्या का प्रयास करना भी एक अपराध है, इसलिए आप यह नहीं कह सकते कि अदालत को मृत्युदंड देना होगा. कोर्ट उचित सजा देगी. दोषी के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई सजा IPC की धारा 432 के तहत समय से पहले रिहाई के लिए अर्जी दाखिल करने के श्रद्धानंद के अधिकार को बाधित करती है. पीठ ने कहा यह याचिका जीवन पर्यंत आजीवन कारावास की सजा आपको फांसी से बचाने के लिए दी गई थी.

'फिर से कर्नाटक राज्य पर जवाब मांगा'

याचिका पर सुनवाई के दौरान श्रद्धानंद के वकील ने कहा कि जेल में रहने के दौरान उसके खिलाफ कोई खराब रिपोर्ट नहीं है और उसे सर्वश्रेष्ठ कैदी के लिए 5 पुरस्कार भी मिले हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए कर्नाटक राज्य और अन्य से जवाब मांगा है. पीठ ने याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है. 

क्या है पूरा मामला

1986 में स्वामी श्रद्धानंद की शादी शकीरा से हुई. शकीरा मैसूर के पूर्व दीवान मिर्जा इस्माइल की पोती थी. इससे पहले शकीरा की शादी ईरान-ऑस्ट्रेलिया में भारत के पूर्व राजदूत रहे अकबर खलीली से शादी हुई थी. दोनों के बीच तलाक के बाद शकीरा ने स्वामी श्रद्धानंद से शादी रचाई. शादी के बाद स्वामी श्रद्धानंद पर शकीरा की संपत्ति हड़पने के आरोप लगे.

आरोप है कि श्रद्धानंद ने शकीरा की करीब 600 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी पाने के लिए 1991 में नशीला पदार्थ पिलाकर बेंगलुरु में बने बंगले में शकीरा को जिंदा दफन कर दिया. जिसके बाद पुलिस ने शकीरा की जमीन खोदकर शकीरा का शव निकाला था. जिसके बाद 30 अप्रैल 1994 श्रद्धानंद की गिरफ्तारी की गई. गिरफ्तारी के 6 वर्ष बाद ट्रायल कोर्ट ने श्रद्धानंद को मौत की सजा सुनाई. 2005 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा. इसके बाद 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने श्रद्धांनद की अपील पर मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.
 

    follow google newsfollow whatsapp