Heat Stroke: आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा "लू", यदि अपना लेंगे डॉक्टर रवि गोडसे के ये 5 टिप्स

NewsTak

07 Apr 2025 (अपडेटेड: Apr 7 2025 2:10 PM)

मई-जून की भीषण गर्मी में लू लगना आम समस्या है, लेकिन यह जानलेवा भी हो सकता है. डॉक्टर रवि गोडसे ने बेहद आसान भाषा में बताया कि कैसे आप लू से खुद को और अपने बच्चों को बचा सकते हैं और किन लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है.

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भीषण गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और इसके साथ ही लू (Heat Stroke) का खतरा भी बढ़ गया है. हर साल देश में सैकड़ों लोग लू लगने से बीमार पड़ते हैं या जान गंवा देते हैं. लू एक ऐसी स्थिति है जब शरीर का तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और शरीर का तापमान नियंत्रित करने वाला सिस्टम फेल हो जाता है.
 

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गर्मी का मौसम आते ही लू यानी हीट वेव का खतरा बढ़ जाता है. मई, जून और जुलाई के महीनों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है. ऐसे में बुजुर्ग, बच्चे और बीमार लोग हीट स्ट्रोक के ज्यादा शिकार होते हैं.
 

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डॉ. रवि गोडसे बताते है हमारी बॉडी का सामान्य तापमान 37°C होता है. जब बाहरी तापमान बहुत अधिक (40°C से ऊपर) हो जाता है, तो शरीर से गर्मी बाहर निकलना बंद हो जाती है. इससे बॉडी का तापमान अचानक बढ़ता है और हीट स्ट्रोक हो सकता है.
 

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गर्मी में शरीर का पानी तेजी से निकलता है. शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) से किडनी पर असर हो सकता है. इससे बचने के लिए दिन में कम से कम 3-4 लीटर पानी के साथ नींबू पानी, छाछ, नारियल पानी पिएं.
 

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अगर बच्चा सुस्त हो गया है, खेलने में मन नहीं लग रहा, लगातार नींद आ रही है या उसका शरीर गर्म और सूखा महसूस हो रहा है तो समझ जाइए कि बच्चा लू की चपेट में आ सकता है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
 

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डॉ गोडसे कहते हैं, लू से बचने के लिए दोपहर 12 से 4 बजे तक घर से बाहर न निकलें और बाहर निकलने पर सिर को टोपी या गीले कपड़े से ढककर रखें. साथ ही हल्के रंग के ढीले कॉटन के कपड़े पहनें.
 

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गंभीर स्थिति में व्यक्ति को छांव में ले जाकर शरीर पर ठंडी पट्टियां रखें और होश में हो तो धीरे-धीरे ठंडा पानी पिलाएं. उल्टी, बेहोशी या तेज बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, जबरन ठंडे पानी में न डुबोएं.
 

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गर्मी की यह तपिश केवल असहज ही नहीं बल्कि जानलेवा भी हो सकती है. डॉ. रवि गोडसे की सलाह मानें और खुद को और अपने परिवार को लू से सुरक्षित रखें. थोड़ी सी सावधानी आपके जीवन को बचा सकती है.
 

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