'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर कहां फंसेगी NDA सरकार? संविधान संसोधन से लेकर राज्यों तक पूरा गणित समझिए 

अभिषेक

19 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 19 2024 6:27 PM)

One Nation-One Election: संविधान संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत होना जरूरी है. यानी कि, 543 सीटों वाले लोकसभा में 362 वोट चाहिए. लोकसभा में NDA के पास 293 वोट है. यानी की बिना विपक्ष को तोड़े यह पास नहीं हो सकता है.

One Nation One election

One Nation One election

follow google news

One Nation-One Election: केन्द्रीय कैबिनेट ने बीते दिन 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को मंजूरी दे दी है. सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी हाई लेवल कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है. इसके बाद सरकार इसे लेकर बिल संसद में लाएगी फिर उसके पारित होने के बाद कानून बनाया जाएगा. हालांकि इसे लेकर काफी हंगामा भी शुरू हो गया है. विपक्षी दल 'एक देश-एक चुनाव' पर सहमत नहीं हैं और इसकी कमियां गिना रहे हैं. हालांकि कुछ पार्टियों ने इसका समर्थन भी किया है. आइए आपको बताते हैं सरकार के सामने इसे लागू करने में क्या है चुनौतियां. 

यह भी पढ़ें...

संविधान में संशोधन के लिए मोदी सरकार के पास बहुमत नहीं

संसद में एक देश-एक चुनाव विधेयक पर मुहर तभी लगेगी, जब इसका बिल संसद के दोनों लोकसभा और राज्यसभा से पारित हो जाएगा. इसे लागू करने के लिए संविधान में कई संशोधन करने होंगे जिनमें अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन प्रमुख है. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती संविधान संशोधन की होगी. 

इसके लिए दो तिहाई बहुमत होना जरूरी है. यानी कि, 543 सीटों वाले लोकसभा में 362 वोट चाहिए. लोकसभा में NDA के पास 293 वोट है. यानी की बिना विपक्ष को तोड़े यह पास नहीं हो सकता है. ऐसे ही मामला राज्यसभा में भी है जहां 163 से ज्यादा सांसदों के वोट की जरूरत होगी जो NDA के पास नहीं हैं. संसद से मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को करीब 15 राज्यों के विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी होगा. बिना इसके ये संशोधन होने से रहे. 

NDA के पास सांसदों का वोट तो पर्याप्त नहीं है लेकिन 21 राज्यों में उसकी सरकार है. इसलिए राज्यों की मंजूरी में कोई पेच नहीं फंसने वाला है. लेकिन संसद से पारित होने में बड़ी अड़चन आने वाली है. आपको बता दें कि, लोकसभा में विपक्षी INDIA ब्लॉक के 234 सदस्य वहीं राज्यसभा में 85 सदस्य है. बिना इनमें जोड़-तोड़ के ये कानून बना पाना मुश्किल है. 

अब जानिए किन पार्टियों ने किया है इसका समर्थन 

AIADMK, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, अपना दल (सोने लाल), असम गण परिषद, बीजू जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी (R), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिवसेना, जनता दल (यूनाइटेड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के प्रस्ताव का समर्थन किया है.

प्रस्ताव के विरोध में है कौन-कौन दल?

'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए केंद्र सरकार के आए प्रस्ताव के विरोध में AIUDF, तृणमूल कांग्रेस, AIMIM, CPI, DMK, नगा पीपुल्स फ्रंट और सपा है. समाजवादी पार्टी ने कहा है कि, अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो राज्य स्तरीय पार्टियां चुनावी रणनीति और खर्च के मामले में राष्ट्रीय पार्टियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी, जिससे इन दोनों पार्टियों के बीच मतभेद बढ़ेंगे. अन्य दलों में सीपीआई (ML) लिबरेशन और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने इसका विरोध किया. राष्ट्रीय लोक जनता दल, भारतीय समाज पार्टी, गोरखा नेशनल लिबरल फ्रंट, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) भी विरोध करने वालों में शामिल है.

    follow google newsfollow whatsapp