SC-ST आरक्षण पर 'सुप्रीम' फैसले के कौन पक्ष कौन विपक्ष में, लक्ष्मण यादव ने सब समझा दिया

News Tak Desk

10 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 10 2024 2:19 PM)

Saptahik Sabha: डॉ लक्ष्मण यादव ने हमारे खास शो साप्ताहिक सभा में एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर विस्तार से बातचीत की. उन्होंने बताया कि कौन उच्चतम न्यायलय के फैसला का समर्थन और कौन विरोध कर रहा है.

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SC-ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को SC-ST आरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि राज्य की सरकारें अब एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण करके नई जातियों को शामिल कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध भी किया जा रहा है लेकिन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार ने उच्चतम न्यायलय के फैसला का समर्थन करते हुए इसे लागू करने का ऐलान कर दिया है. इस बार की न्यूज Tak की साप्ताहिक सभा में ‘Tak’ क्लस्टर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने इसी मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक लक्ष्मण यादव से बात की है. आइए जानते हैं उन्होंने इसपर क्या कहा.

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डॉ लक्ष्मण यादव का क्या कहना है?

इस पूरे मामले पर हमने प्रोफेसर लक्ष्मण यादव से बात की. उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एक पक्ष समर्थन कर रहा है और दूसरा पक्ष विरोध कर रहा है. इस बात से कोई इनकार नहीं करता है कि गैर बराबरी है. मगर सवाल ये है कि गैर बराबरी के कितने आंकड़े उपलब्ध हैं. एससी-एसटी में कितनी जातियां ऐसी हैं, जिनकी हिस्सेदारी उनकी संख्या से ज्यादा है? इसके ठोस आंकड़े नहीं हैं. 

लक्ष्मण यादव ने आगे कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंकड़े राज्य जुटाएगा. राज्य को सिर्फ हम एक रास्ता दिखा रहे हैं. 1975 से ये मामला चला आ रहा है. दरअसल ये मामला पंजाब से शुरू हुआ था. काफी पुराना मामला है. कई राज्यों में इसकी कोशिश की गई है.

‘इस मामले में सिर्फ चुनी गई संसद या राष्ट्रपति को ही फैसला लेने का अधिकार’

प्रोफेसर लक्ष्मण यादव ने आगे कहा, भारत का संविधान कहता है कि वर्गीकरण के फैसले का अधिकार सांसद या राष्ट्रपति को है. इस फैसले ने न्यायपालिका को इनसे ऊपर कर दिया है. उन्होंने आगे कहा, क्रीमी लेयर का कोई सवाल था ही नहीं. मगर  कोर्ट ने इसमें क्रीमी लेयर को भी डाल दिया. मुख्य बात ये है कि आपके पास इसके आंकड़े नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि फैसला का विरोध कर रहा पक्ष ये मांग कर रहा है कि ठोस आंकड़े कहां है और आप क्रीमी लेयर को क्यों इसमें जोड़ रहे हैं. इसपर एक अलग डिबेट होनी चाहिए. 

सवाल ये है कि मंशा क्या है?  वर्गीकरण के नाम पर समाज को लाभ देने की कोशिश है या कम करने की कोशिश है? 

मामला क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों SC/ST वर्ग को कोटे में कोटा दिए जाने को मंजूरी दी थी. कोर्ट ने कहा था कि, राज्य SC-ST कैटेगरी के भीतर नई सब कैटेगरी बना सकते हैं और इसके तहत अति पिछड़े तबके को अलग से रिजर्वेशन दे सकते हैं.

मोदी सरकार ने साफ किया अपना रुख

पीएम मोदी के नेतृत्व में शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक में ये स्पष्ट किया गया कि संविधान में एससी और एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है. कैबिनेट में ये फैसला लिया गया कि एनडीए सरकार भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान को लेकर प्रतिबद्ध है और एससी एसटी में कोई क्रीमीलेयर का प्रावधान नहीं है. 

यहां पूरी बातचीत देख और सुन सकते हैं.

 

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