नीतीश कुमार की जमीन खिसकाएगी BJP की कुर्मी एकता रैली..बिहार चुनाव में होगा 1994 वाला खेला

हर्षिता सिंह

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BJP Kurmi Ekta Rally: वर्ष 2025 बिहार के लिए चुनावी साल है. सभी की नजर जहां बिहार की कुर्सी पर है तो वहीं अब बीजेपी दिल्ली की गद्दी पर विराजमान होने के बाद बिहार में भी तैयारी शुरू कर चुकी है. इसकी शुरुआत बीजेपी ने कर दी है नीतीश कुमार के वोटबैंक को साधने से...

विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है तो बीजेपी बिहार में महागठबंधन को मात का तानाबाना बुन रही है. लेकिन बीजेपी अब बिहार में एक चौंकाने वाली रैली कर रही है, बीजेपी 'कुर्मी एकता रैली' कर रही है. जो नीतीश कुमार का वोटबैक माना जाता है. ये वही रैली है जिससे नीतीश कुमार का नेतृत्व निकला था. साल 1994 में कुर्मी एकता रैली का आयोजन गांधी मैदान में हुआ था. लालू शासनकाल में नीतीश का नेतृत्व कुर्मी एकता रैली से ही निकला था. कहते हैं कि कुर्मी चेतना रैली से ही नीतीश कुमार बिहार की सियासत में पिछड़ों के बड़े नेता के तौर पर उभर कर निकले थे और बाद में केंद्र में मंत्री बनने के साथ-साथ बीते 20 वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने हुए हैं.

1994 में ही नीतीश कुमार नवंबर महीने में लालू से अलग हुए थे और 1995 में वह समता पार्टी के बैनर तले  चुनाव लड़े थे और पहली बार अकेले चुनाव मैदान में आते हुए भी सात सीट जीते थे. महज उसके 10 सालों की मेहनत के बाद वह 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बन गए और तब से लेकर बीच के कुछ महीनों को छोड़ दें तो तब से बिहार की कुर्सी पर नीतीश कुमार दिखाई पड़ते हैं.

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अब बीजेपी वहीं रैली करने जा रही है, जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं. एनडीए नेताओं की ओर से इस रैली के आयोजन करने की क्या जरूरत पड़ गई, जब बिहार के मुखिया ही इस जाति के हैं. बीजेपी के इस कदम से माना जा रहा है कि बीजेपी की नजर अब नीतीश कुमार के वोटबैंक पर है. अब बिहार की राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि नीतीश कुमार ने जिस लव-कुश फॉर्मूले से लालू प्रसाद यादव की अगुवाई वाली राजद से सत्ता छीनी थी, अब बीजेपी ने उसी लव-कुश समीकरण के जरिए जदयू की राजनीतिक जमीन कब्जाने की योजना बनाई है.

आपको बता दें की ये पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने बिहार में इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. इसके पहले भी बीजेपी ने इस वोटबैंक को साधने की कोशिश की थी. नीतीश के करीबी आरसीपी के जरिए जब उनकी नीतीश से नाराजगी थी. तब बीजेपी ने बीते साल ही सम्राट चौधरी और आरसीपी के जरिए लव कुश समाज को साधने की पूरी कोशिश की थी. लेकिन तब तक नीतीश कुमार की साल 2024 शुरुआत में पलटी मारकर बीजेपी के साथ आ गए...लेकिन अब देखिए की विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही बीजेपी ने फिर से दांव-पेच लगाना शुरु कर दिया है. बीजेपी की  ये रैली सीधे-सीधे नीतीश कुमार के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए निकालने जाने वाली मानी जा रही है. ऐसे में देखना होगा इस रैली से नीतीश की जमीन खिसकाने में बीजेपी कितना कामयाब हो पाती है.

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