बिहार चुनाव से पहले C Voter का चौंकाने वाला सर्वे, नीतीश की राह मुश्किल, सीएम की रेस में तेजस्वी सबसे आगे

ललित यादव

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C Voter Survey Bihar
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C Voter Survey Bihar: बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. हर तरफ चर्चा का एक ही केंद्र है कि आगामी मुख्यमंत्री कौन होगा? विपक्ष का दावा है कि नीतीश का समय अब खत्म हो चुका है. इस बीच, हाल ही में सामने आए एक सर्वे ने सबको चौंका दिया है. सी-वोटर के ताजा सर्वे के अनुसार, बिहार की जनता में तेजस्वी यादव 41% समर्थन के साथ सबसे पसंदीदा नेता बनकर उभरे हैं, जबकि नीतीश कुमार को केवल 18% लोग ही दोबारा सीएम देखना चाहते हैं. यह आंकड़ा बिहार की सत्ता के खेल में बड़ा उलटफेर ला सकता है.

सी वोटर सर्वे के मुताबिक, लगभग आधी आबादी यानी 50% लोग मौजूदा सरकार से खफा हैं और सत्ता में बदलाव चाहते हैं. दूसरी ओर, 22% लोग भले ही सरकार से नाखुश हों, लेकिन वे मौजूदा सरकार को बरकरार रखना चाहते हैं. वहीं, 24.9% जनता ने स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा कि न तो उन्हें सरकार से कोई शिकायत है और न ही वे कोई बदलाव चाहते हैं.

नीतीश की साख पर सवाल

सर्वे में नीतीश कुमार की लोकप्रियता में कमी साफ झलक रही है. करीब 58% लोगों का मानना है कि उनकी विश्वसनीयता में भारी गिरावट आई है, जबकि 13% ने इसे मामूली कमी बताया. सिर्फ 21% लोगों का कहना है कि नीतीश की साख अब भी बरकरार है. इसके अलावा, 50% जनता मौजूदा सरकार से नाखुश है और बदलाव की मांग कर रही है. दूसरी ओर, तेजस्वी यादव युवा चेहरे के तौर पर जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करते दिख रहे हैं.

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मुख्यमंत्री की रेस में तेजस्वी का दबदबा

सर्वे में सबसे रोचक खुलासा मुख्यमंत्री की पसंद को लेकर हुआ है. राजद नेता तेजस्वी यादव इस रेस में सबसे आगे निकलते दिख रहे हैं. उन्हें 40.6% वोटरों का समर्थन हासिल है. वहीं, मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केवल 18.4% वोटरों का समर्थन मिला है. तेजस्वी के बाद 14.9% लोगों ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को पसंद किया, जबकि 8.2% ने बीजेपी नेता सम्राट चौधरी और 3.7% ने चिराग पासवान को चुना.

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बेरोजगारी बना सबसे बड़ा मुद्दा

जनता के लिए इस चुनाव में सबसे अहम सवाल बेरोजगारी है. सर्वे में 45% लोगों ने इसे प्रमुख मुद्दा बताया, जिसके आधार पर वे अपने वोट का फैसला करेंगे. इसके बाद 11% ने महंगाई, 10% ने बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली-पानी-सड़क और 4% ने किसानों व भ्रष्टाचार को प्राथमिकता दी. 

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क्या कहती है सियासी हवा?

हालांकि सर्वे में विधानसभा सीटों की भविष्यवाणी नहीं की गई, लेकिन नीतीश की घटती लोकप्रियता और तेजस्वी का उभार सत्ता के समीकरण बदल सकता है. वहीं एनडीए ने नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर अभी कोई फैसला नहीं किया है. हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार में 7 बीजेपी विधायकों को जगह दी गई है. बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में संभावित हैं, और तब तक सियासी माहौल में कई नए रंग देखने को मिल सकते हैं.

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