नीतीश कैबिनेट में BJP का बढ़ा दबादबा, CM फेस को लेकर दिलीप जायसवाल के बयान से सियासी उठापटक शुरू

हर्षिता सिंह

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तस्वीर: नीतीश कुमार के सोशल मीडिया X से.
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लंबे इंतजार के बाद आखिरकार नीतीश कैबिनेट का विस्तार हो गया, जिसमें 7 नए बीजेपी कोटे से मंत्री बनाए गए. अब इस विस्तार के बाद जहां नीतीश कैबिनेट में बीजेपी के 21 मंत्री हो गए तो वहीं जेडीयू के 13 मंत्री ही रह गए. वहीं मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या चुनाव से पहले बीजेपी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घेराबंदी कर रही है ? ताऊपर जेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के बयान से सियासी उठापटक शुरू हो गई है. 

आजतक से बात करते हुए दिलीप जायसवाल ने ये साफ कह दिया कि बीजेपी संसदीय बोर्ड सीएम का चेहरा तय करेगा.  हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इतना तय है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा. यानी एक बात तो साफ है कि चुनाव में नीतीश कुमार ही सीएम फेस होंगे इसपर संशय है. 

क्या बीजेपी कर रही नीतीश की घेराबंदी?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कैबिनेट का विस्तार हुआ और ये सब तब हुआ तब पीएम मोदी चुनाव से पहले भागलपुर आए. नीतीश कुमार को लाडला मुख्यमंत्री बताया और फिर पीएम के जाने के बाद जेपी नड्डा से नीतीश की मुलाकात हुई.  फिर रातों रात मंत्री बनने वाले बीजेपी नेताओं का कॉल गया. 7 मंत्रियों के कैबिनेट में एंट्री के साथ ही नीतीश कैबिनेट में बीजेपी का दबदबा बढ़ गया और ये सब चुनाव से पहले हो रहा है. जिसपर नीतीश कुमार को कोई आपत्ति ऐतराज कुछ नहीं है. 

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जिस बिहार में नीतीश के पलटने से ही राजनीति पलटती आई है वहां विधानसभा चुनाव से ठीक आठ महीने पहले नीतीश सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ है. सात नए मंत्रियों ने शपथ लिए हैं. सातों नए मंत्री बीजेपी के हैं. जेडीयू के कोटे से कोई मंत्री नया नहीं बना. 

सबकुछ इतना अच्छा-अच्छा सा बिहार में होता दिखता है तो सवाल उठने लगते हैं. आखिर जिस बिहार में अंतरात्मा की आवाज सुनकर नीतीश कुमार सत्ता के सफर में  कब घूम जाएं पता नहीं होता, आखिर वहां सबकुछ इतना आसान कैसे दिख रहा है? क्या नीतीश कुमार वाकई अब सीधी चाल चल रहे हैं? 

इसपर राजनीति के जानकारों का मानना है कि बीजेपी नीतीश कुमार पर पूरी तरह से हावी है. बीजेपी और नीतीश के बराबरी की बात अब खत्म हो गई दिखती है. बीजेपी के निशाने पर अब नीतीश कुमार का समीकरण है. बीजेपी लव कुश को टारगेट करने की कोशिश कर रही है. वैसे तो बातों में नीतीश पीएम के लाडले हैं पर सच्चाई कुछ और है?

क्यों बने बीजेपी के 21 और जेडीयू के 13 मंत्री

अब सवाल ये है कि बीजेपी के जब 7 मंत्री बनते के साथ कुछ लोग पूछ रहे हैं कि आखिर बीजेपी से ही 7 क्यों? बिहार में जेडीयू के 45 विधायक हैं. बीजेपी के अभी 80 विधायक हैं. दोनों पार्टी में ये समझौता पहले ही हुआ था कि प्रति तीन से चार विधायक पर एक मंत्री होगा. इस फॉर्मूले के तहत ही जेडीयू के 13 मंत्री पहले से हैं, लेकिन बीजेपी के कोटे से 15 मंत्री ही थे. इसलिए बीजेपी छह मंत्री और बना सकती थी. 

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वहीं दिलीप जायसवाल जो बिहार बीजेपी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी के साथ राजस्व मंत्री भी थे, उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इस तरह बीजेपी के पास सात मंत्री का कोटा था और सातों मंत्री बीजेपी से ही शपथ लिए.

2020 में जेडीयू के 19 मंत्री थे और बीजेपी के सात. साल दर साल जेडीयू के मंत्री घटते गए, बीजेपी के बढ़ते गए. आज स्थिति ये है कि नीतीश कुमार की कुर्सी समेत 13 मंत्री उनकी अपनी सरकार में जेडीयू के हैं और बीजेपी के 21 मंत्री हो चुके हैं, क्योंकि बीजेपी के विधायक जेडीयू से कहीं ज्यादा हैं. 

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तो नीतीश कुमार की चुप्पी के मायने क्या हैं? 

बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा हो रही है की ये नीतीश कुमार के लिए शुभ संकेत नहीं है. भाजपा ने विस्तार में जिस तरह जाति की गोटी फिट की है, राजपूत भूमिहार, कुर्मी, कुशवाहा ,वैश्य सबको जगह दी, यादवों को छोड़ कर, जबकी बिहार में यादवों की संख्या ज्यादा है फिर भी बीजेपी ने इनकी अनदेखी की.

वहीं नीतीश कुमार के पारंपरिक वोट के आधार पर लव-कुश समीकरण में सेंध लगाने की कोशिश की. पहले कुर्मी रैली और अब कैबिनेट में मंत्री. इसके बावजूद नीतीश की चुप्पी और सहमति भाजपा की किसी बड़ी प्लानिंग की सफलता के संकेत हो सकते हैं. कुछ जानकारों का मानना है कि ये चुनाव से पहले लाडला CM की घेराबंदी है. 

इस मंत्रिमंत्रल के तीन संकेत 

कुछ जानकारों से हमने बातचीत की तो उनका मानना है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार के तीन संकेत हैं. पहला तो ये कि नीतीश कुमार अब बीजेपी को छोड़ कर नहीं जाएंगे. दूसरा ये कि विधानसभा चुनाव समय पर ही होगा और तीसरा ये कि चुनाव में सीट बंटवारे में जेडीयू का अपर हैंड हो सकता है. नीतीश कुमार यूंही कुछ नहीं जाने देते. वो एक अच्छे बार्गेनर हैं. 

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