चिराग पासवान ने पेश कर दी सीएम पद की दावेदारी ? इस बयान के क्या हैं मायने ?
एक निजी चैनल से बातचीत में चिराग पासवान ने कहा, “मैं अब केंद्र की राजनीति नहीं करना चाहता. मेरी प्राथमिकता बिहार है.” इस बयान ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि चिराग के भविष्य की रणनीति को लेकर भी अटकलों को हवा दी है.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बड़ा सियासी संकेत दिया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने साफ कहा कि अब उनकी प्राथमिकता केंद्र नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति है. उनके इस बयान के बाद चर्चाएं तेज हैं कि क्या चिराग खुद चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं और मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर खुद को पेश करेंगे?
एक निजी चैनल से बातचीत में चिराग पासवान ने कहा, “मैं अब केंद्र की राजनीति नहीं करना चाहता. मेरी प्राथमिकता बिहार है.” इस बयान ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि चिराग के भविष्य की रणनीति को लेकर भी अटकलों को हवा दी है.
‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की फिर वापसी?
चिराग पासवान की बिहार के लिए दीवानगी नई नहीं है. जब उन्होंने 2013 में राजनीति में कदम रखा था, तभी उन्होंने ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का नारा दिया था. 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने इसी विजन को प्रमुखता से प्रचारित किया था, हालांकि तब उन्हें खास सफलता नहीं मिली.
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चिराग के इस बयान पर भाजपा ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. पार्टी प्रवक्ता सुमित शशांक ने कहा, “चिराग की सक्रियता बिहार में नई ऊर्जा लाएगी. बीजेपी और चिराग पासवान मिलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में आगे बढ़ेंगे.”
लेकिन विपक्षी दलों ने इसे भाजपा की रणनीति करार दिया है. राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा, “यह भाजपा का एक राजनीतिक प्रयोग है. चिराग को आगे करके वे नीतीश कुमार को कमजोर करना चाहते हैं, जैसा उन्होंने 2020 में किया था.”
क्या फिर दोहराई जाएगी 2020 की रणनीति?
2020 के चुनाव में चिराग पासवान ने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार खड़े कर नीतीश कुमार की पार्टी को नुकसान पहुंचाया था. अब एक बार फिर वह उसी राह पर जाते दिख रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा चिराग को शील्ड बनाकर जेडीयू पर दबाव बनाना चाहती है.
आगे क्या?
हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान के ताज़ा बयान के बाद अब सबकी निगाहें उनके अगले कदम पर टिकी हैं। क्या वह वाकई विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? क्या वो खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश करेंगे? या यह भी 2020 की तरह एक सीमित प्रयोग बनकर रह जाएगा?
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