बिहार में मातृ मृत्यु दर में गिरावट, राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन
बिहार ने हाल के वर्षों में मातृ मृत्यु दर (MMR) में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की है, जो राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
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बिहार ने हाल के वर्षों में मातृ मृत्यु दर (MMR) में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की है, जो राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-17 से 2018-20 के बीच बिहार में मातृ मृत्यु दर में 47 अंकों की गिरावट आई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह गिरावट 25 अंक की रही. यह दर्शाता है कि बिहार ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है. राज्य सरकार 2030 तक इसे 70 तक लाने के लिए प्रयास कर रही है.
संस्थागत प्रसव में वृद्धि
बिहार में मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का संकेत इस तथ्य से भी मिलता है कि 2005-06 से 2019-20 के बीच संस्थागत प्रसव की दर में 53.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो राष्ट्रीय औसत 49.9 प्रतिशत से अधिक है.
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महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
राज्य में 'हर घर नल का जल', स्वच्छ भारत अभियान, शराबबंदी और जीविका स्वयं सहायता समूह जैसी योजनाओं ने महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है.
जीविका स्वयं सहायता समूह:
- अब तक 10.47 लाख समूह बनाए जा चुके हैं.
- 1.30 करोड़ से अधिक परिवार इससे जुड़े हैं.
- महिलाओं के वित्तीय समावेशन, कृषि, स्वास्थ्य और स्वच्छता में महत्वपूर्ण योगदान.
राष्ट्रीय औसत से बेहतर रही वृद्धि दर
आईएमएफ के अनुसार, 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.24% रही, जबकि बिहार की वृद्धि दर 10.64% थी, जो देश के अन्य राज्यों से अधिक है. हालांकि, बिहार को अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है. स्वास्थ्य विभाग में रिक्तियों को भरने, डॉक्टरों और नर्सों की संख्या बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे.
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