हरियाणा में भी कांग्रेस के साथ हो गया MP, राजस्थान वाला खेल ? कांग्रेसी नेता ने खुलकर कह दिया बहुत कुछ!

बृजेश उपाध्याय

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तस्वीर: भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के सोशल मीडिया X से.
तस्वीर: भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के सोशल मीडिया X से.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर हरियाणा में फेस वार का असर.

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असंध सीट से हारे कांग्रेस के प्रत्याशी ने कहा- कांग्रेस नहीं, हुड्‌डा कांग्रेस हारी है.

हरियाणा में भी कांग्रेस के साथ राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव वाला खेल हो गया. नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में ये तीनों राज्य कांग्रेस पार्टी के हाथ से निकल गए. दावा किया जा रहा है कि हरियाणा में हार के तमाम कारणों में से एक बड़ी वजह वही है जो राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में रही. 

यहां भी फेस वार का असर चुनाव पर पड़ा. असंध विधानसभा सीट पर महज 2306 वोटों से हारे कांग्रेस प्रत्याशी शमशेर सिंह गोगी ने आज तक की संवाददाता मौसमी सिंह से बात की. सवालों का जवाब देते हुए गोगी ने हार की वजह बता दी. उन्होंने कहा-'मैं सही में खुलकर कह दूं तो हुड्‌डा कांग्रेस हारी है. कांग्रेस नहीं हारी है.'

शमशेर सिंह गोगी ने कहा- 'हमारे यहां बागी नहीं था. हमारे यहां बीजेपी के अंदर के कुछ लोग ही नहीं चाहते थे कि मैं जीतूं. ये वो लोग हैं जो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे. ये लोग मुझे कहते थे कि ये सैलजा गुट का आदमी है. इसे हराना जरूरी है.' 

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दलितों ने हमें वोट नहीं दिया, सैलजा पर टिप्पणी से नाराज थे- गोगी

शमशेर सिंह गोगी ने कहा कि वोटिंग के दो दिन पहले तक दावे किए जा रहे थे कि मैं जीत रहा हूं. मीडिया, सीआईडी सभी यही बात कह रहे थे. आखिरी दो दिन में वोटों का पोलराइजेशन हुआ. दलितों ने हमें वोट नहीं दिया. वे कुमारी सैलजा पर एक कांग्रेस नेता की टिप्पणी से नाराज थे. सैलजा गुट का होने के बावजूद उन्होंने माफ नहीं किया और वोट नहीं दिया. 

मेरे लिए प्रचार करने आए हुड्‌डा पर मेरा नाम नहीं लिए- गोगी

शमशेर सिंह गोगी ने कहा- 'भूपेंद्र हुड्‌डा आए थे पर मंच से उन्होंने मेरा नाम तक नहीं लिया. मैंने रैली की. सारा इंतजाम किया. उन्होंने एक बार भी मेरा नाम नहीं लिया. यही प्रचार हुआ है कि हुड्‌डा साहब ने मेरा नाम नहीं लिया. वे सीएम बनना चाहते थे तो मुझे जिता ही देते.'

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राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ की भी ऐसी कहानी

राजस्थान में वर्ष 2018 में कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने के बाद सचिन पायलट भी सीएम पद की दौड़ में आ गए. उधर मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव. कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान में फिर वरिष्ठ अनुभवी अशोक गहलोत, एमपी में कमलनाथ और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को मौका दिया. एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोर्चा खोल दिया और बीजेपी में शामिल हो गए. इनके साथ करीब दो दर्जन से ज्यादा विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस की सरकार गिर गई. इधर राजस्थान में भी सचिन पायलट ने मोर्चा खोला, लेकिन दांव उल्टे पड़ गए. गहलोत सरकार तो गिरी नहीं पर पायलट को डिप्टी सीएम का पद छोड़ना पड़ा. छत्तीसगढ़ में भी बस आवजें उठती रहीं. पूरे पांच साल फेस को लेकर खींचतान मचती रही. तीनों राज्यों में नवंबर 2023 में चुनाव हुए और तीनों कांग्रेस के हाथों से छिटक गए. 

हरियाणा में हुड्‌डा Vs सैलजा

करीब-करीब यही नजारा हरियाणा में भी देखने को मिला. चुनाव के दौरान कुमारी शैलजा की नाराजगी, हुड्‌डा और सैलजा गुट का आमने-सामने होने के अलावा ओपिनियन और एग्जिट पोल में कांग्रेस को भारी बढ़त मिलने पर दोनों गुटों का जोर सीएम पद की दावेदारी पर फोकस होने लगा. कुमारी सैलजा ने भी कई इंटरव्यू में न केवल अपनी नाराजगी जताई बल्कि सीएम पद की दावेदारी भी इशारों-इशारों में कर दी. आलाकमान तक सैलजा को मनाने में जुटा. फिर एक मंच पर उसी दृश्य की पुनरावृत्ति हुई जिसे राजस्थान में देखा गया था. तब केसी वेणुगोपाल ने गहलोत और पायलट का हाथ मिलवाया था. यहां राहुल गांधी ने हुड्‌डा और सैलजा का हाथा मिलवाया. पर न राजस्थान में बात बन पाई और न ही हरियाणा में. 

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