17 साल पुराना केस..करोड़ों का घोटाला? क्या है रॉबर्ट वाड्रा का गुरुग्राम लैंड स्कैम, डिटेल जानें

ललित यादव

Robert Vadra Gurugram Land Scam Case: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर जांच एजेंसियों के घेरे में हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनसे करोड़ों की जमीन डील और मनी लॉन्ड्रिंग के एक पुराने मामले में पूछताछ की है.

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Robert Vadra Gurugram Land Scam Case: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर जांच एजेंसियों के घेरे में हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनसे करोड़ों की जमीन डील और मनी लॉन्ड्रिंग के एक पुराने मामले में पूछताछ की है. यह मामला गुरुग्राम में उनकी कंपनी द्वारा जमीन खरीदने से जुड़ा है. आखिर ये पूरा मामला क्या है..क्या रॉबर्ट वाड्रा को उस जमीन से 50 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ, आइए जानते हैं पूरा मामला...

56 साल के रॉबर्ट वाड्रा बुधवार को ED दफ्तर में पूछताछ के लिए पेश हुए. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने खुद को बेकसूर बताया और कहा कि यह सब 'राजनीतिक प्रतिशोध' है. उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी वे अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाते हैं, तो उन्हें दबाने की कोशिश की जाती है.

17 साल पुराना है मामला?

यह मामला 2008 का है, जब हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे. रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी. आरोप है कि इस जमीन का म्यूटेशन बहुत जल्दी करा लिया गया और फिर कंपनी को इस पर व्यावसायिक कॉलोनी बनाने का लाइसेंस भी मिल गया. उस समय हुड्डा के पास मुख्यमंत्री के साथ-साथ नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग भी था.

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आरोप यह भी है कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने बाद में इसी जमीन को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ (DLF) को बेच दिया, जिससे उन्हें कथित तौर पर 50 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ. जमीन के सौदे में वाड्रा पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगे. 

शिकायतकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप

इस मामले में शिकायत करने वाले सुरिंदर शर्मा ने FIR में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि इस सौदे के बदले में सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर डीएलएफ को गुड़गांव में 350 एकड़ जमीन आवंटित की, जिससे डीएलएफ ने 5,000 करोड़ रुपये कमाए. शर्मा के अनुसार, ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज को भुगतान चेक से हुआ, लेकिन कंपनी ने कभी चेक जमा नहीं किया, जिससे यह शक पैदा होता है कि यह सिर्फ एक दिखावटी कंपनी थी.

पुलिस ने दर्ज किया केस, SIT भी बनी

2018 में हरियाणा पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज की थी, जिसमें वाड्रा, हुड्डा और डीएलएफ के नाम शामिल थे. पुलिस ने धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत केस दर्ज किया. हरियाणा सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) भी बनाया है.

2015 में बीजेपी की सरकार ने हुड्डा सरकार के दौरान हुए कथित जमीन डील घोटाले की जांच के लिए जस्टिस एस.एन. ढींगरा आयोग का गठन किया था. इस आयोग ने शिकोहपुर समेत गुरुग्राम के चार गांवों (सिही, खेड़की दौला, सिकंदरपुर बड़ा) में लाइसेंस आवंटन की जांच की. हालांकि आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं सामने आई. क्योंकि हुड्डा ने इसे अदालत में चुनौती दी थी. 

IAS खेमका ने रद्द किया था म्यूटेशन

दिलचस्प बात यह है कि 2012 में IAS अधिकारी अशोक खेमका ने इस जमीन के हस्तांतरण (म्यूटेशन) को रद्द कर दिया था. खेमका ने इस सौदे में अनियमितताओं का हवाला दिया था. खेमका ने जांच आयोग के सामने यह भी कहा था कि वाड्रा ने इस सौदे को सही दिखाने के लिए कई फर्जी सौदे किए थे. खेमका के इस कदम के बाद उनका तबादला कर दिया गया था, जिससे यह मामला और भी विवादास्पद हो गया था.

आगे क्या होगा?

रॉबर्ट वाड्रा ने कहा है कि वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे, जैसा कि उन्होंने पहले भी किया है. अब देखना होगा कि ED की इस पूछताछ से मामले में क्या नया मोड़ आता है और जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है.

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