हरियाणा: निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, शैलजा के करीबी नेता ने बढ़ाई हुड्डा की टेंशन!
Haryana Nikay Chunav: निकाय चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस की भीतरी कलह और दुर्गति फिर से सामने आ गई है. पिछले 24 घंटे में हरियाणा कांग्रेस के करनाल और हिसार के आधा दर्जन नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं.
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Haryana Politics: निकाय चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस की भीतरी कलह और दुर्गति फिर से सामने आ गई है. पिछले 24 घंटे में हरियाणा कांग्रेस के करनाल और हिसार के आधा दर्जन नेता बीजेपी में शामिल हो गए हैं. कांग्रेसियों के इस पाले बदलने से अबकी बार पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा और कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा दोनों को बराबर का झटका लगा है.
हिसार में कुमारी शैलजा के करीबी और सबसे चहेते समर्थक रामनिवास राड़ा ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है, रामनिवास राड़ा बीते 10 सालों से हिसार में कांग्रेस के सबसे एक्टिव नेता रहे हैं. रामनिवास राड़ा मेयर बनना चाहते थे लेकिन इनकी हसरतें धरी की धरी रह गई. कुमारी शैलजा मेयर चुनाव में अपने समर्थक रामनिवास राड़ा को टिकट नहीं दिलवा पाई और कांग्रेस की ओर से हुड्डा खेमे के कृष्ण सिंगला को उम्मीदवार बनाया गया है. राड़ा के भाजपाई होने से जहां शैलजा के हाथ मायूसी आई है तो हुड्डा को भी अपना कैंडिडेट जितवाना मुश्किल सा लग रहा है. क्योंकि कृष्ण सिंगला के पास रामनिवास राड़ा जितना ना तो जनसमर्थन है और ना ही वे राड़ा जितने एक्टिव रहे हैं.
राड़ा को कांग्रेस से मेयर का टिकट नहीं मिला तो इन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया था. एक दिन पहले हिसार पहुंचे पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा से रामनिवास राड़ा के निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने राड़ा को पार्टी से निकालने की चेतावनी दी थी. वहीं भाजपाई होने के बाद राड़ा ने नामांकन वापस लेकर हिसार से भाजपा उम्मीदवार प्रवीन पोपली को समर्थन देने की बात कही है. मेयर चुनाव में रामनिवास राड़ा बीजेपी के लिए तो ग्लूकोज जैसे लेकिन शैलजा और भूपेन्द्र हुड्डा दोनों के लिए बराबर का घाटा साबित होते दिख रहे हैं.
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बीते दो दिनों में बीजेपी करनाल और हिसार दोनों जिलों में मजबूत हुई है, 24 घंटों में करनाल से मनोहर लाल खट्टर के सामने चुनाव लड़ने वाले सरदार त्रिलोचन सिंह बीजेपी में शामिल हो गए हैं. ये बीते 42 साल से कांग्रेस के लिए मैदान में डटे रहे. सरदार त्रिलोचन सिंह, भूपेन्द्र हुड्डा के समर्थक रहे हैं. इन्होंने कांग्रेस छोड़ते हुए कहा कि अब कांग्रेस के हालात अच्छे नहीं हैं. तो वहीं हिसार जिले के कांग्रेस के बड़े चेहरे रामनिवास राड़ा ने भी कांग्रेस को अलविदा कहते हुए कहा कि कांग्रेसी ही कांग्रेसियों को नुकसान कर रहे हैं.
बीते 24 घंटों की तस्वीर देखी जाए तो कांग्रेस-बीजेपी से काफी पीछे नजर आ रही है और कांग्रेस के हालात मजबूत नहीं है. बीते चुनावों में करनाल
और हिसार में कांग्रेस मजबूत नजर आई है लेकिन बीजेपी की मैनेजमेंट ने दोनों जिलों में कांग्रेस की जड़ें खोखली कर दी हैं. दोनों जिलों में शैलजा और हुड्डा को बराबर का झटका लगा है. त्रिलोचन सिंह और रामनिवास राड़ा का भाजपाई होना कांग्रेस के लिए ना संभलने वाला नुकसान साबित हो सकता है.
अब देखने वाली बात ये है कि दोनों कद्दावर नेताओं के कांग्रेस को टाटा,बॉय-बॉय के बाद निकाय चुनाव में कांग्रेस डेंजर जोन में नजर आएगी या नहीं.
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