Haryana: 52 दिन पहले गिर गई नायब सैनी सरकार, हरियाणा में चुनावी दंगल के बीच क्यों भंग करनी पड़ी विधानसभा
Haryana Election: हरियाणा में चुनावी दंगल के बीच 52 दिनों पहले ही विधानसभा भंग कर दी गई. राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. गर्वनर दत्तात्रेय ने विधानसभा भंग कर नायब सिंह सैनी को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने लिए के लिए कहा है. नायब सैनी सरकार का कार्यकाल 3 नवंबर को खत्म होना था.
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Haryana Election: हरियाणा में चुनावी दंगल के बीच 52 दिनों पहले ही विधानसभा भंग कर दी गई. राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. गर्वनर दत्तात्रेय ने विधानसभा भंग कर नायब सिंह सैनी को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने लिए के लिए कहा है. नायब सैनी सरकार का कार्यकाल 3 नवंबर को खत्म होना था. लेकिन उससे पहले ही सरकार गिर गई. अब लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर हरियाणा में कैबिनेट मीटिंग में विधानसभा भंग करने को फैसला क्यों करना पड़ा.
क्यों भंग करनी पड़ी विधानसभा
भारत के संविधान का अनुच्छेद 174 राज्यपाल को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी देता है कि सदन को प्रत्येक छह माह में कम-से-कम एक बार अवश्य आहूत किया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो विधानसभा को भंग करने करने की शक्ति देता है.
इसी अनुच्छेद के चलते हरियाणा में नायब सैनी सरकार तय समय से पहले गिर गई. दरअसल, नायब सिंह सैनी सरकार का आखिरी विधानसभा सत्र 13 मार्च 2024 को बुलाया गया था. अब इस तारीख से 6 महीने के अंतराल में फिर से सत्र बुलाना आवश्यक था. इसके लिए अंतिम डेडलाइन 12 सितंबर 2024 को पूरी हो गई. लेकिन नायब सैनी सरकार की ओर से कई बार कहने के बाद भी विधानसभा सत्र नहीं बुलाया गया. इसी के चलते संवैधानिक संकट से बचने के लिए सरकार को यह कदम उठाना पड़ा.
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सरकार ने क्यों नहीं बुलाया विधानसभा सत्र
अब सवाल उठता है कि संवैधानिक संकट से बचने के लिए नायब सैनी सरकार ने विधानसभा सत्र क्यों नहीं बुलाया? इसके पीछे की वजह सरकार के पास बहुमत नहीं होना है. दरअसल, हरियाणा में बहुमत के लिए 46 विधायकों की आवश्यकता पड़ती है. हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 40 विधायक जीतकर आए थे. सरकार के पास बहुमत नहीं था. ऐसे में सरकार को जेजेपी के साथ गठबंधन करना पड़ा. जेजेपी को 10 सीटें मिली थी. इसके बाद बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन की सरकार बनी थी.
मार्च 2024 में यह गठबंधन टूट गया और सरकार के पास बहुमत नहीं था. वहीं बीजेपी के 2 विधायक रणजीत चौटाला और लक्ष्मण नापा ने बीजेपी को अलविदा कह दिया था. बीजेपी ने इसी दौरान अपने 15 सिटिंग विधायक को टिकट भी काट दिया. ऐसे में मौजूदा स्थिति में सैनी सरकार पर संकट था. इसी के चलते सरकार को राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की मांग की थी.
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मार्च में नायब सैनी को बनाया गया था सीएम
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2024 में सीएम मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम बना दिया था. इसी दौरान जेजेपी और बीजेपी के बीच गठबंधन टूट गया और सरकार अल्पमत में आ गई थी. नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर हुड्डा ने कई बार इसको लेकर सवाल उठाया था लेकिन सरकार बहुमत का दावा करती रही.
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अब कैसे चलेगी सरकार
हरियाणा में 5 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे. इसके बाद नई सरकार का गठन होगा. तब तक नायब सिंह सैनी कार्यवाहक मुख्यमंत्री रहेंगे.
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