महाराष्ट्र चुनाव में X फैक्टर साबित हो रहा दलित समुदाय! ये आंकड़े चौंका देंगे

रूपक प्रियदर्शी

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Maharashtra Election 2024
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Maharashtra elections 2024; महाराष्ट्र में 2024 के लोकसभा चुनाव में महायुति यानी फडणवीस-शिंदे-अजित पवार की तिकड़ी ने राहुल-उद्धव-शरद पवार की तिकड़ी से करारी मात खाई. जो सोचा न था वो हो गया. कांग्रेस जिसे सबसे फिसड्डी पार्टी माना जा रहा था वही नंबर वन गई. बीजेपी शिंदे-अजित पवार की यारी-दोस्ती में महाराष्ट्र का किला गंवा बैठी. 

चुनावों से ठीक पहले मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा आरक्षण आंदोलन गर्म करके चुनाव पलट दिया. महायुति का सारा फोकस डैमेज कंट्रोल पर रहा कि कहीं मराठा आरक्षण आंदोलन से नुकसान न हो जाए. बीजेपी की आशंका गलत नहीं थी. सत्ता होने के कारण बीजेपी को मराठों का आरक्षण नहीं देने का ताप झेलना पड़ा. 

बीजेपी दूसरी गलती ये कर बैठी कि मराठों के चक्कर में दलितों को भूल बैठी. वो भी तब जबकि 2014 में दलितों ने पूरे दिलोजान से बीजेपी का समर्थन किया था. 10 साल से महाराष्ट्र में दलितों का वोटिंग पैटर्न बीजेपी को लेकर डाउन ट्रेंड पर है. कांग्रेस फायदा ले रही है. 2019 और 2024 के नंबर गवाह हैं. लोकसभा में हुआ नुकसान एकदम ताजा-ताजा है.

दलितों ने बीजेपी को पहुंचाया नुकसान

महाराष्ट्र की दलित राजनीति को समझना हो तो वर्षा गायकवाड़, प्रणीति शिंदे, नवनीत राणा, रामदास आठवले, प्रकाश आंबेडकर जैसे चर्चित चेहरों से समझा जा सकता है.  बीजेपी आरक्षण खत्म कर देगी, संविधान की किताब लेकर राहुल गांधी ने इतना शोर मचाया कि दलितों ने बीजेपी से हाथ पीछे खींच लिए. माना जाता है कि महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे देश में बीजेपी को दलितों वोटों का नुकसान हुआ. सवाल ये है कि क्या यही पैटर्न महाराष्ट्र के विधानसभा में भी दोहराया जाएगा?

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शुरूआती रुझानों का इशारा थोड़ा चौंकाने वाला है. सीएसडीएस ने लोकसभा चुनाव के बाद विधानभा चुनाव से पहले अक्टूबर में ये मिजाज टटोला कि किस  जाति, समाज, समुदाय के लोग किसको वोट देने का मन बना रहे हैं. सीएसडीएस का अनुमान है कि दलित वोटों में स्विंग 18 परसेंट तक हो सकता है. लोकसभा में महायुति को 11 परसेंट दलित वोटों को नुकसान हुआ. विधानसभा में 7 परसेंट का फायदा हो सकता है. दलितों के मामले में एमवीए से बेहतर स्थिति में आई महायुति. ये लगभग वैसा ही ट्रेंड है जैसा 2019 में हुआ था. लोकसभा में बीजेपी-शिवसेना के साथ दलित आए लेकिन विधानसभा में पलटी मार दी थी. 

महायुति के लिए दलितों का वोटिंग पैटर्न 
लोकसभा                                                 विधानसभा 
-11%                                                        7%

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महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति आबादी करीब 12 परसेंट मानी जाती है. विधानसभा में 29 सीटें और लोकसभा में 48 में से 5 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं. करीब 65 विधानसभा सीटें ऐसी हैं,जहां अनुसूचित जाति की आबादी 15 परसेंट से अधिक मानी जाती है. मतलब 288 में से करीब 90-95 सीटों पर दलित जीत-हार जीत करने वाले होते हैं. 

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महाराष्ट्र में दलित वोट 
आबादी        रिजर्व विधानसभा सीटें        रिजर्व लोकसभा सीटें                       15%+ आबादी वाली सीटें 
12%                  65                               29/288                                             5/48          
             


2014 में  29 में से अकेले 15 सीटें जीतकर बीजेपी ने धमाका किया था. लोकसभा की पांचों सीटें बीजेपी-शिवसेना ने जीती. एनसीपी ने 3, कांग्रेस ने 2 सीटें जीती थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में पांचों दलित सीटें एनडीए के पास चली गई. 2-2 सीटें बीजेपी, शिवसेना और एक सीट निर्दलीय नवनीत राणा ने जीती. जो बीजेपी के पास गईं. 

2014 विधानसभा चुनाव में दलित सीटें 
बीजेपी               शिवसेना                         कांग्रेस                          एनसीपी
15                        9                                 2                                  3

2019 लोकसभा चुनाव में दलित सीटें 

बीजेपी    शिवसेना    कांग्रेस    एनसीपी
 2             2            0             0

2019 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी-शिवसेना दलितों का दिल जीत पाए लेकिन भनक भी नहीं लगी कि कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव में दलित पलटी मार लेंगे. बीजेपी सिर्फ 9, शिवसेना सिर्फ 5 सीटें जीत पाई. अचानक कांग्रेस ने 7 और एनसीपी ने 6 सीटें निकाल ली. 2019 का सबक बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में भूल गई. रिवर्स गियर में दलितों ने वोट डालकर बीजेपी के हाथ से तोते उड़ा दिए. 

2019 विधानसभा चुनाव में दलित सीटें 

बीजेपी    शिवसेना    कांग्रेस    एनसीपी
9              5             7             6

10 साल तक दलितों सीटों पर लगभग साफ रही कांग्रेस ने जबर्दस्त वापसी की. अमरावती, रामटेक, शिरडी, लातूर, सोलापुर-इन 5 में शिरडी छोड़कर 4 दलित सीटें कांग्रेस जीत गई. विधानसभा सेंगमेंट के हिसाब से 12 दलित सीटों पर कांग्रेस की लीड रही. 5 पर यूबीटी, 4 पर एनसीपी एससी मतलब 29 में से 21 सीटों पर एमवीए ने लीड ली. बीजेपी से कहीं बेहतर शिंदे की शिवसेना ने किया. बीजेपी की लीड सिर्फ 4 पर रही जबकि शिवसेना ने 6 पर लीड ली. एमवीए ने उन 88 सीटों में से 51 पर लीड ली जहां दलितों 15% से ज्यादा हैं.


2024 लोकसभा चुनाव में दलित सीटें 

बीजेपी    शिवसेना    कांग्रेस    एनसीपी
0              0                 4            1

पिछले 10 सालों में महाराष्ट्र में छठा चुनाव होने जा रहा है. हर चुनाव में दलित पलटी मार रहे हैं. कभी बीजेपी को जिताया, कभी निपटाया. लोकसभा चुनाव के बाद भी विधानसभा में भी दलित कोई नया खेल करेंगे. अगर कोई खेल करने वाले हैं तो महायुति को फायदे, एमवीए को झटके का इंतजार करना चाहिए. 

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