CM नायब सैनी से पंगा पड़ा महंगा, अनिल विज का मंत्री पद छीनने की कवायद तेज!

राहुल यादव

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Anil Vij News: दिल्ली में मिली जीत के बाद अनिल विज पार्टी को बधाई दे रहे थे. दिल्ली की जीत को पीएम मोदी का जलवा बता रहे थे. लेकिन इसी बीच उनके लिए बुरी खबर आ गई. हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ने अनिल विज को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. बडोली ने तीन दिन में अनिल विज से इस नोटिस का जवाब मांगा है. कारण बताओ नोटिस में अनिल विज के उन बयानों को आधार बनाया गया जो उन्होंने पिछले दिनों सीएम नायब सैनी के खिलाफ दिए थे. इस नोटिस में बकायदा लिखा गया है कि नोटिस राष्ट्रीय अध्यक्ष से परामर्श के बाद ही जारी किया गया है. मतलब साफ है कि अब अनिल विज के पास हाईकमान वाला रास्ता भी नहीं बचा.

अनिल विज को क्यों जारी किया गया कारण बताओ नोटिस?

प्रदेश में नायब सैनी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर तमाम मंत्रीगण और नेता सरकार की उपलब्धियां गिनाने में लगे थे. लेकिन अनिल विज ने सरकार के 100 दिन पूरे होते ही सीएम नायब सैनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. अनिल विज ने कहा कि सीएम नायब सैनी तो जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से उड़नखटोले (हेलीकॉप्टर) से नीचे ही नहीं उतर रहे वो जनता का दुख दर्द क्या समझेंगे? 

अनिल विज के इस बयान के बाद असली घमासान शुरू हो गया. बीजेपी हाईकमान ने प्रभारी सतीश पूनिया को अनिल विज से बात करने के लिए चंडीगढ़ भेजा. सतीश पूनिया से मिलने के बाद अनिल विज चुप हो गए और कहा कि अब इस मामले को लेकर वो कोई बयान नहीं देंगे. सतीश पूनिया और अनिल विज की इस मुलाकात के बाद लग रहा था कि अब ये पूरा मामला सुलझ गया है. लेकिन दिल्ली चुनाव का नतीजा आते ही बीजेपी ने अनिल विज को कारण बताओ नोटिस थमा दिया. 

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खट्टर, सैनी और बडोली तीनों से पंगा विज को पड़ा महंगा

अनिल विज ने प्रदेश भाजपा के तीन सबसे ताकतवर नेताओं से अकेले पंगा ले लिया. केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के सीएम रहते अनिल विज की उनसे कई मौकों पर अनबन रही. नायब सैनी को पहली बार सीएम बनाया गया तब भी अनिल विज नाराज हो गए, मंत्री पद तक नहीं लिया और मीटिंग छोड़कर अंबाला आ गए थे. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडोली पर रेप का मुकदमा दर्ज हुआ तो अनिल विज ने उनको इस्तीफा देने की बात कह दी. बडोली रेप केस को लेकर भाजपा के तमाम नेता या तो चुप रहे या बडोली का बचाव किया लेकिन अकेले अनिल विज ऐसे नेता थे, जिन्होंने प्रदेश कैबिनेट का हिस्सा होते हुए मोहन लाल बडोली को इस्तीफे की नसीहत दे डाली. इसके बाद से अनिल विज बडोली की नजरों में भी खटकने लगे. 


कारण बताओ नोटिस से विज का मंत्री पद छीनने की तैयारी? 

अनिल विज की अपनी ही सरकार के खिलाफ ये मुखरता उनको महंगी पड़ती दिखाई दे रही है. सूत्रों की माने तो भाजपा अब अनिल विज के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने के मूड में है. बात सिर्फ कारण बताओ नोटिस तक नहीं रुकेगी, अनिल विज के मंत्री पद पर भी अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं. हालांकि इस मुखरता के दौरान खुद अनिल विज इस बात का अंदेशा जता चुके हैं कि उनसे मंत्री पद छीना जा सकता है लेकिन उनका कहना है कि मंत्री पर तो ले सकती है सरकार लेकिन उनकी विधायकों उनसे कोई नहीं ले सकता. 

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विज की इस मुखरता का कारण क्या है?

अनिल विज राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. प्रदेश में गब्बर के नाम से मशहूर अनिल विज अंबाला कैंट से सातवीं बार विधायक चुनकर आए हैं. भाजपा के पहले दो कार्यकालों में भी वो कैबिनेट मंत्री रहे और अब तीसरे कार्यकाल में भी नायब सैनी कैबिनेट का हिस्सा हैं. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में अनिल विज ने आरोप लगाया कि उन्हें चुनाव हरवाने की साजिश रची गई, उनके चुनाव प्रचार में खून खराबे की कोशिश की गई और ये सब किसी और ने नहीं बल्कि अंबाला भाजपा के ही स्थानीय नेताओं ने किया.

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अनिल विज तो ये तक कहते हैं कि उनको मरवाने की प्लानिंग की गई थी और अंबाला प्रशासन ने भी चुनाव में उनके खिलाफ काम किया. विज ने सीएम नायब सैनी के कुछ करीबियों की तस्वीरें गद्दार लिखकर सोशल मीडिया पर शेयर की थी, विज का आरोप था कि सीएम सैनी के ये करीबी अंबाला कैंट विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार चित्रा सरवारा की मदद कर रहे थे. विज कहते हैं कि उनके खिलाफ ये षडयंत्र भाजपा के किसी बड़े नेता के इशारे पर हुआ था और सरकार के 100 दिन बीत जाने के बाद भी चुनाव में उनकी खिलाफत करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. हालांकि भाजपा ने अनिल विज की नाराजगी दूर करने के लिए अंबाला जिले के कोषाध्यक्ष आशीष तायल को पद से हटा दिया और अंबाला के डीसी का भी तबादला कर दिया लेकिन अनिल विज का इस एक्शन से पेट नहीं भरा. 

अब कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद सबकी निगाहें इसी बात पर टिकी है कि अनिल विज इस नोटिस का क्या जवाब देते हैं? क्या उनका मंत्री पद बचा रहेगा या फिर इस नोटिस के जरिए उनकी बलि ले ली जाएगी?

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