चुनाव से पहले महाराष्ट्र में कांग्रेस को बड़ी सफलता, 'सिंघम' IPS संजय पांडे ने थामा 'हाथ' का साथ

रूपक प्रियदर्शी

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Sanjay Pandey
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Sanjay Pandey: महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अफसर संजय पांडे का करियर विचित्रताओं से भरा रहा है. सिंघम भी कहे गए और करप्ट भी. पुलिस की टॉप पोजिशन पर भी बैठे और जेल भी गए. करीब 60 साल का उथल-पुथल से भरे करियर के बाद संजय पांडे ने नई पारी शुरू की है. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले ज्वाइन की है कांग्रेस. 

महाराष्ट्र के तेज तर्रार आईपीएस रहे हैं संजय पांडे. पुलिस की नौकरी करते हुए वहां तक पहुंचे जहां पहुंचना हर आईपीएस का सपना होता है. मुंबई जैसे शहर के पुलिस कमिश्नर रहे. महाराष्ट्र जैसे राज्य के डीजीपी रहे. नौकरी करते हुए जितने यूटर्न उन्होंने मारे वो हर किसी के बस की बात नहीं. 

टिकट ना मिलने पर निर्दलीय लड़े थे चुनाव

लोकसभा चुनाव के वक्त संजय पांडे ने जोरदार हेडलाइन बटोरी थी. आईपीएस करियर के बाद राजनीति में आने की तैयारी कर रहे थे. कांग्रेस, यूबीटी से टिकट नहीं मिलने पर मुंबई की लोकसभा सीट नॉर्थ सेंट्रल से निर्दलीय चुनाव लड़ने पर आमादा थे. इस सीट पर कांग्रेस से वर्षा गायकवाड और बीजेपी से उज्जवल निकम चुनाव लड़ रहे थे. संजय पांडे के आने से वर्षा गायकवाड को नुकसान का अंदेशा था. फिर अचानक क्या हुआ कि उन्होंने न केवल नॉर्थ सेंट्रल सीट छोड़ दी बल्कि लोकसभा चुनाव से भी बाहर हो गए. 

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव आए तो संजय पांडे ने राजनीति में वापसी की. पार्टी बाद में ज्वाइन किया. मंदिर में राजनीति में वापसी का नारियल पहले फोड़ा. चुनाव लड़ने से इरादे से ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं. जिस वर्षा गायकवाड के खिलाफ लड़ने चले थे उन्होंने ही कांग्रेस में एंट्री कराई. चर्चा तेज है कि वर्सोवा सीट से संजय पांडे कांग्रेस के टिकट पर इंडिया गठबंधन के साझा उम्मीदवार हो सकते हैं. संजय पांडे की उद्धव ठाकरे से पुरानी ट्यूनिंग रही है.

ठीक 2 साल पहले 2022 में करप्शन के PMLA एक्ट के तहत गिरफ्तार करके ईडी, सीबीआई ने दिल्ली की तिहाड़ जेल पहुंचाया था. NSE फोन टैपिंग केस में संजय पांडे की गिरफ्तारी हुई. आरोप लगे कि 2009 से 2017 तक एनएसई कर्मचारियों की फोन टैपिंग संजय पांडे की कंपनी आईसेक सर्विसेज कर रही थी. संजय पांडे की कंपनी उनके पुलिस की नौकरी के साथ चल रही थी. इसी केस में NSE की सीएमडी चित्रा रामाकष्णन की भी गिरफ्तारी हुई थी.

करप्शन के आरोप लगे

संजय पांडे पर धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, घूस के आरोप लगे. 5 महीने तक जेल में रहे लेकिन कोर्ट के सामने कुछ साबित नहीं हो पाया. जब दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दी तो माना कि सीबीआई कुछ साबित नहीं कर पाई. किसी ने घूसखोरी का आरोप लगाया ही नहीं था. फिर भी संजय पांडे पर हमेशा के लिए टैग चिपक गया Tihar return, PMLA accused ex IPS. 

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माना गया कि बीजेपी से बैर मोल लेने की भी कीमत चुकाई संजय पांडे ने. आगे क्या हो सकता है, ये सोचे बिना बड़े-बड़े लोगों पर डाल डाला. मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह, पूर्व स्टेट इंटेलीजेंस चीफ रश्मि शुक्ला को जेल में डाला. महाराष्ट्र में एमवीए के नेताओं पर जब ईडी, सीबीआई ताबड़तोड़ हाथ डाल रही थी तब संजय पांडे ने बीजेपी के नेताओं को ठिकाने लगाया. नारायण राणे, नीतेश राणे, किरीट सोमैया पर केस ठोंक दिए, गिरफ्तारी कर दी. 1992 के मुंबई दंगे के वक्त डीसीपी हुआ करते थे. दंगे से निपटने के लिए उन्हें इमनेस्टी इंटरनेशनल से सराहना मिली. 

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कैसा रहा संजय पांडे का करियर?

संजय पांडे के करियर की ये कहानी गजब की है. 1983 में आईआईटी कानपुर से बीटेक किया. क्रॉम्पटन कंपनी में काम किया. 1986 में आईपीएस ज्वाइन की. 2000 में मिड करियर ब्रेक लेकर पढ़ने अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया. लौटकर आईपीएस से इस्तीफा दिया. टीसीएस में प्राइवेट नौकरी की. साइबर सिक्योरिटी की अपनी कंपनी आईसेक बनाई. 2006 में फिर आईपीएस ज्वाइन की. 2017 में डीजीपी रैंक में प्रमोट हुए 2021 में एक्टिंग डीजीपी बने. कुछ महीने में एक्टिंग डीजीपी पोस्ट से विदाई हो गई. 2022 में डीजीपी होकर भी पुलिस कमिश्नर बने. फिर 2022 में रिटायर हुए जेल भेज दिए गए.  जो कंपनी उन्होंने बनाई थी उसी के घोटाले में ईडी, सीबीआई ने धर दबोचा.

उद्धव ठाकरे के सीएम बनने पर हुआ फायदा

पुलिस करियर में जोरदार वापसी उद्धव ठाकरे के सीएम बनने पर हुई. सीएम रहते हुए उद्धव ठाकरे ने कई अफसरों को नजरअंदाज करके एक्टिंग डीजीपी बनाया. डीजीपी इसलिए नहीं रह पाए कि क्योंकि यूपीएससी ने नाम क्लियर नहीं किया था. फिर सरकार रिटायरमेंट से 4 महीने पहले मुंबई का पुलिस कमिश्नर बना दिया. फिर रिटायर होते ही जेल, गिरफ्तारी, ईडी, सीबीआई के चक्कर में फंस गए. अब सब क्लियर है तो राजनीति में पारी शुरू कर रहे हैं. 

संजय पांडे उसी रास्ते पर चले हैं जिस पर सत्यपाल सिंह चले. सत्यपाल सिंह भी मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे. बीजेपी के टिकट पर बागपत से सांसद बने. फिर मोदी सरकार में मंत्री भी. 

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