जस्टिस BR गवई का कौन सा जजमेंट हो गया वायरल, क्या है उनकी कहानी?

रूपक प्रियदर्शी

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Justice BR Gavai: डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद से रिटायरमेंट ले लिया है. उनकी जगह संजीव खन्ना देश के नए चीफ जस्टिस बने हैं, हालांकि उनका कार्यकाल मात्र 6 महीने का रहेगा. सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठता सूची और रोस्टर के अनुसार, संजीव खन्ना के बाद जस्टिस बीआर गवई अगले चीफ जस्टिस बनेंगे. उनका कार्यकाल मई 2025 से शुरू होगा. संजीव खन्ना के कार्यकाल के बाद से ही जस्टिस गवई के चीफ जस्टिस बनने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.

बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ महत्वपूर्ण फैसला

जस्टिस बीआर गवई का नाम हाल ही में बुलडोजर जस्टिस के खिलाफ दिए गए फैसले के कारण चर्चा में आया. उन्होंने भाजपा शासित सरकारों द्वारा बुलडोजर का प्रयोग कर गरीबों के घर तोड़ने को लेकर एक महत्वपूर्ण जजमेंट दिया, जिसमें उन्होंने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया. जस्टिस गवई ने अपने फैसले में कवि प्रदीप की कविता का संदर्भ लिया और कहा कि घरों को नष्ट करना एक परिवार के संवैधानिक अधिकार पर प्रहार है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि आरोपित होने के आधार पर किसी का घर नहीं गिराया जा सकता है.

संविधान से चलने वाले देश में बुलडोजर जस्टिस नाम का नापाक न्याय संविधान से परे, कोर्ट से बिना पूछे, बिना बताए चला जा रहा था. ये सब करने वाली थी बीजेपी की सरकारें और उनके सीएम. बुलडोजर जस्टिस पर तो सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ब्रेक लगा दिया था. जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ ने आज तो ये समझाया कि घर क्या होता है, घर का सपना क्या होता है. घर संवैधानिक अधिकार है. राइट टू शेल्टर मौलिक अधिकार है. 

न्यायपालिका में आरक्षण और जस्टिस गवई की कहानी

जस्टिस बीआर गवई दलित समुदाय से आते हैं और उनके सुप्रीम कोर्ट के जज बनने पर कई महत्वपूर्ण संदेश सामने आए. सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण नहीं होने के बावजूद जस्टिस गवई का चयन एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया. उनके पिता आरएस गवई एक राजनेता थे. आंबेडकर की विचारधारा के विस्तार के लिए जीवन खपा दिया. महाराष्ट्र में राजनीति करने के लिए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) नाम की पार्टी बनाई थी. हालांकि आरपीआई गवई कभी बड़ी राजनीतिक पार्टी नहीं बन पाई.

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1998 में अमरावती से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. बिना सदस्यता लिए करीब 40 साल कांग्रेस से जुड़े रहे.  यूपीए सरकार ने गवई को केरल, बिहार, सिक्किम का राज्यपाल बनाया. आरएस गवई के दो बेटों में एक बी आर गवई जज बने. दूसरे बेटे राजेंद्र राजनीति में जमे रहे. कांग्रेस में भी रहे. पिता की पार्टी आरपीआई भी चलाने की कोशिश की.

जस्टिस बीआर गवई का करियर और प्रमुख फैसले

जस्टिस बीआर गवई ने 1985 में लॉ प्रैक्टिस शुरू की थी और बॉम्बे हाईकोर्ट में काम किया। 2003 में उन्हें एडिशनल जज बनाया गया और 2005 में वे स्थायी जज बने। जस्टिस गवई अपने स्पष्ट विचारों और संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं. चौंकाने वाले जजमेंट जस्टिस बीआर गवई ने पहली बार नहीं दिए. ज्यादा पुरानी बात नहीं है. मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी की संसद सदस्यता सूरत कोर्ट के आदेश से चली गई थी. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ राहुल गांधी को गुजरात की किसी अदालत से राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. जस्टिस गवई की बेंच के सामने था राहुल गांधी की जमानत का केस. 

सुनवाई शुरू करते ही जस्टिस गवई ने अपना धर्मसंकट कोर्ट के सामने रखा कि उनका फैमिली बैकग्राउंड कांग्रेस से जुड़ा है. पिता कांग्रेस की मदद से लोकसभा, विधानसभा पहुंचे. भाई कांग्रेस में है. मुझे केस सुनना चाहिए या नहीं, आप लोग तय करें. दोनों पक्षों की रजामंदी के बाद ही जस्टिस गवई ने राहुल गांधी का केस सुना. जमानत मांग रहे राहुल की याचिका में दम था. जस्टिस गवई की बेंच ने जमानत मंजूर की. राहुल की संसद सदस्यता बहाल हुई. कहीं किसी ने जस्टिस गवई के जजमेंट पर सवाल नहीं उठाया. 

महाराष्ट्र के अमरावती में दलित गवई परिवार में जन्में बीआर गवई ने 1985 में लॉ प्रैक्टिस शुरू की थी. नागपुर और बॉम्बे में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस करने लगे.  constitutional law और administrative law में एक्सपर्ट बने. शुरूआत में सरकारी बॉडीज के वकील, फिर महाराष्ट्र सरकार के वकील बने. 2003 में पहली बार जज की कुर्सी पर बैठे जब बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त हुए. 2005 में परमानेंट जज बन हुए तो 2019 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में रहे.

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