विनेश फोगाट का गोत्र क्यों पूछने लगे अभय चौटाला? जुलाना विधानसभा सीट पर हो रहा कांटे का मुकाबला

अभिषेक शर्मा

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Vinesh Phogat and Abhay Chautala
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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पहलवान विनेश फोगाट जुलाना सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.

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अभय चौटाला ने विनेश के गोत्र पर खड़े किए सवाल.

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खिलाड़ियों के राजनीति में आने को लेकर भी की टिप्पणी.

Vinesh Phogat: पहलवान विनेश फोगाट जुलाना सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. उन्हें लेकर सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि इनेलो-बसपा गठबंधन भी जमकर ताल ठोक रहा है. इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव अभय चौटाला ने तो विनेश के गोत्र  पर ही सवाल खड़े कर इलाके में गोत्र  की राजनीति शुरू कर दी है.

अभय चौटाला बीते रोज जुलाना में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे. वे इनेलो-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार डॉ. सुरेंद्र लाठर के पक्ष में वोट मांगने पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि "विनेश फोगाट का गोत्र क्या है. इनके पिता बहुत समय पहले ही खरखौंदा छोड़ गए थे. अब इनकी शादी राठी में हुई है. लेकिन ये राठी नहीं बल्कि फोगाट लगाती हैं. इन्हें ये भी नहीं पता कि परिवार में गोत्र का नाम किसके पीछे लिखा जाता है".

विनेश फोगाट की शादी जुलाना के रहने वाले सोमवीर राठी से हुई है. अभय चौटाला को आपत्ति यह है कि शादी के बाद विनेश आज भी फोगाट सरनेम लगाती हैं, जबकि उन्हें अपने पति का सरनेम राठी लगाना चाहिए. हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान विनेश के पोस्टर पर उनका पूरा नाम विनेश फोगाट राठी लिखा गया है. लेकिन अब गोत्र  को लेकर ही इनेलो के सर्वेसर्वा अभय चौटाला इलाके में राजनीति कर माहौल को विनेश के खिलाफ करने की कोशिश कर रहे हैं.

चौटाला ने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को भी लिया आड़े हाथों

अभय चौटाला ने एक जनसभा में यह भी कहा कि पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने विनेश की कुश्ती छुड़वाकर अच्छा नहीं किया. विनेश को अभी देश के लिए और खेलना था. कई सारे मेडल अभी जीतने थे. लेकिन अब न सिर्फ कुश्ती छुड़वा दी बल्कि विनेश की सरकारी नौकरी छुड़वाकर चुनाव लड़वा रहे हैं. विनेश पहले पूरे देश की बेटी थी और अब वह सिर्फ कांग्रेस की नेता बनकर रह गई है. कांग्रेस को अपने लिए अच्छे उम्मीदवार नहीं मिले तो भूपेंद्र हुड्डा ने विनेश का कैरियर ही दांव पर लगा दिया और राजनीति में उतार दिया, जो कि विनेश का अच्छा निर्णय नहीं है.

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अभय चौटाला कहते हैं कि "हमने खिलाड़ियों को काफी बराबरी का दर्जा दिया है. जब कोई खिलाड़ी राजनीति में आता है तो वह खिलाड़ी नहीं रहता, वह किसी पार्टी का कार्यकर्ता या नेता बन जाता है. इससे खिलाड़ी को सम्मान नहीं मिलता. अगर कोई खिलाड़ी राजनीति में आता है तो वह अपने खेल के साथ खिलवाड़ कर रहा है".

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