शादी के बाद हाईकोर्ट पति पहुंचा, बोला- जज साहब मेरे साथ धोखा हुआ, पत्नी की लिंग जांच करवाइए

संजय शर्मा

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दिल्ली हाईकोर्ट में एक अनोखी याचिका दाखिल की गई है, जिसमें एक व्यक्ति ने कोर्ट से अपनी पत्नी का लिंग परीक्षण कराने का आदेश देने की अपील की है. व्यक्ति का दावा है कि उसकी शादी एक ट्रांसजेंडर महिला से धोखे से कराई गई है, जिससे वह न तो बच्चे पैदा कर सकता है और न ही अपने परिवार को आगे बढ़ा सकता है.

याचिका में उसने अपनी पत्नी का लिंग परीक्षण कराने के लिए केंद्र सरकार के अस्पताल में उसकी चिकित्सा जांच की मांग की है. व्यक्ति का कहना है कि शादी से पहले उससे यह तथ्य छिपाया गया कि उसकी पत्नी ट्रांसजेंडर है, जिससे उसे मानसिक आघात हुआ है. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी ट्रांसजेंडर है. अर्जी में उसका दावा है कि यह तथ्य विवाह से पहले धोखे से छुपाया गया था. इस छल कपट से उसे मानसिक सदमा लगा है. ऐसे में उसका विवाह भी अपूर्ण और अवैध है.

अनुच्छेद 21 का हवाला दिया

शख्स के वकील अभिषेक कुमार चौधरी और जितेन्द्र कुमार तिवारी ने कोर्ट में दलील दी कि जानकारी छिपाए जाने की वजह से उसके खिलाफ कई झूठे कानूनी मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें घरेलू हिंसा और दहेज से संबंधित आरोप शामिल हैं. याचिका में जीवन और सम्मान के मौलिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए यह तर्क दिया गया है कि विवाह में दोनों पक्षों के साथ निष्पक्षता और पारदर्शिता बरती जानी चाहिए. . याचिका में कहा गया है कि लिंग पहचान अत्यंत निजी मामला है लेकिन विवाह के संदर्भ में यह पति-पत्नी दोनों के अधिकारों को प्रभावित करता है. 

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पति ने कोर्ट में दिया ये तर्क

पति ने तर्क दिया कि उसे कानूनी दायित्वों के अधीन नहीं किया जाना चाहिए जैसे कि भरण-पोषण, या महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से बनाए गए कानूनों के तहत आरोपों का सामना करना, अगर उसकी पत्नी इन कानूनों के तहत "महिला" के रूप में योग्य नहीं है. याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता अपनी पत्नी की मेडिकल जांच का खर्च वहन करने के लिए तैयार है. यदि जरूरत पड़ी तो वह स्वयं भी मेडिकल जांच कराने को तैयार है.

मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग

याचिकाकर्ता ने पहले ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी पत्नी के लिंग की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग की थी. हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. अब, वह हाईकोर्ट से इस मामले में दखल देने की गुहार लगा रहे हैं. उसका कहना है कि जांच के उनके अधिकार से समझौता किया जा रहा है. लेकिन न्याय के लिए मेडिकल जांच आवश्यक है.

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