रतन टाटा के निधन के बाद 12 साल बाद सामने आईं नीरा राडिया, टेप कांड के बाद से जी रही थीं गुमनाम जिंदगी

रूपक प्रियदर्शी

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Neera Radia: नीरा राडिया कॉरपोरेट पब्लिक रिलेशन में इतना बड़ा नाम हो गईं थी कि उनकी सर्विसेज रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के लिए, मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए ली थी. टीवी, अखबारों को प्रेस रिलीज जारी करना स्किल नहीं था. कॉर्पोरेट लॉबिस्ट की पहचान थी नीरा राडिया की. लायजनिंग में महारथ ने नीरा राडिया और उनकी कंपनी वैष्णवी कम्युनिकेशन को इतना बड़ा बनाया. उसी स्किल से इतने भयंकर विवादों में फंसी कि दुनिया जहां से कम्युनिकेशन खत्म करके गुमनाम जिंदगी जीने लगीं.  

नीरा राडिया की चर्चा इसलिए कि करीब 12 साल बाद उनकी पब्लिक अपीयरेंस हुई है. एक जमाने में बॉस रहे रतन टाटा को ट्रिब्यूट देने प्रकट हुईं नीरा राडिया. NDTV को दिए इंटरव्यू में नीरा राडिया ने रतन टाटा के नैनो कार के सपने के फेल होने के बाद की निराशा, सिंगूर के जमीन विवाद, डॉग लव, महानता की कई कहानियां सुनाईं.

रतन टाटा से जुड़ाव और कामयाबी

नीरा राडिया उन लोगों में से हैं जिन्होंने रतन टाटा के साथ करीब से 12 साल काम किया. रतन टाटा 1991 से 2012 तक टाटा के चेयरमैन रहे. रतन टाटा के साथ नीरा राडिया 2000 से 2012 तक जुड़ी रहीं. टाटा ग्रुप का पीआर देखती थीं. कहा जाता है कि रतन टाटा के अंत समय तक संपर्क में थीं और भरोसेमंद थीं. एक दौर ऐसा भी आया जब नीरा राडिया भारत की राजनीति, कॉरपोरेट वर्ल्ड और मीडिया वर्ल्ड के लिए धमाका साबित हुईं.  टेप कांड का एक भूचाल आया था जिसे आज तक राडिया टेप कांड के नाम से याद किया जाता है. करीब 8 हजार फोन टैपिंग रिकॉर्डिंग का दावा किया गया लेकिन गलत कुछ भी साबित नहीं हुआ.

राडिया टेप कांड का खुलासा और विवाद

2010 में खुलासा हुआ कि 2008 से 2009 के बीच नीरा राडिया के फोन की टैपिंग हुई. मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी के शक में इनकम टैक्स ने फोन टैप कराए थे. तब मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार चल रही थी. डीएमके नेता ए राजा, कनिमोझी, बीजेपी नेता अनंत कुमार, वाजपेयी के परिवार के सदस्य, रतन टाटा, मुकेश अंबानी समेत कई नामी पत्रकारों से नीरा राडिया की बातचीत का दावा किया गया. 2007 को सरकार तक शिकायत पहुंची थी नीरा राडिया ने सिर्फ 9 साल में 300 करोड़ रुपए का कारोबार कैसे खड़ा कर लिया.

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उसी के बाद नीरा राडिया के टेलीफोन की टैपिंग शुरू हुई. करीब 180 दिन तक नीरा राडिया के फोन टैप किए गए. सुप्रीम कोर्ट में केस पहुंचा तो इनकम टैक्स ने 50 सीलबंद लिफाफों में हजारों टेप पेश किए. हल्ला तब मचना शुरू हुआ जब राडिया टेप्स के कुछ अंश मीडिया में लीक हुए और तूफान मच गया.

राडिया टेप कांड का खुलासा और विवाद

सबसे भयंकर विवाद हुआ ए राजा को लेकर. विवाद ये हुआ कि राडिया ने 2009 के चुनाव के बाद ए. राजा को टेलिकॉम मंत्री बनाने और डीएमके-कांग्रेस का गठबंधन करवाने के लिए लॉबिंग की थी. बाद में ए राजा यूपीए सरकार 2 में टेलीकॉम मंत्री बने भी. उनके कार्यकाल में टेलीक़ॉम घोटाला होने से और ज्यादा भूचाल मचा. 2G घोटाले की जांच में सीबीआई और ईडी ने नीरा राडिया की भी भूमिका की जांच की थी. बाद में 2 जी घोटाला टिका नहीं.

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राडिया टेप्स ने बड़े-बड़े गुल खिलाए. 2009 में सीबीआई ने जांच शुरू की. इनकम टैक्स ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट के कामकाज में कॉरपोरेट दखल का खुलासा किया. मीडिया में ए राजा और नीरा राडिया के टेप लीक हुए. 2010 में रतन टाटा को सुप्रीम कोर्ट से मांग करनी पड़ी कि उनकी बातचीत सार्वजनिक किए जाने पर रोक लगे.

2014 के बाद की स्थिति और क्लीन चिट

चीजें 2014 के बाद पलटनी शुरू हुई. सीबीआई ने नीरा राडिया को लेकर नरमी बरतनी शुरू कर दी. करीब 12 साल जांच करने के बाद 2022 में सीबीआई ने नीरा राडिया को क्लीन चिट दे दी. सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राडिया टेप की जांच में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला. 1960 में नीरा राडिया का जन्म केन्या में रहने वाले पंजाबी परिवार में हुआ था.

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राडिया के पिता इकबाल मेनन 70 के दशक में केन्या से लंदन शिफ्ट हो गए. वहीं नीरा की पढ़ाई-लिखाई हुई. 1981 में उन्होंने गुजराती बिजनेसमैन जनक राडिया से शादी की. नीरा पहले मेनन थी. शादी के बाद नीरा मेनन नीरा राडिया हो गईं. शादी तो 1994 में टूट गई लेकिन नीरा राडिया ही कहलाती रहीं.

बिजनेस में शुरुआत और चुनौतियां

1988 में नीरा ने ट्रैवल एजेंसी और एविएशन पार्ट्स का बिजनेस शुरू किया. ढेर सारी कंपनियां खोली जिसमें परिवार के लोग कंपनी सेक्रेट्री से लेकर डायरेक्टर थे. 1995 तक सारी कंपनियां या तो बंद हो गईं या दिवालिया घोषित हो गईं. पिता की मदद से नीरा ने विमान लीज पर दिलाने का बिजनेस शुरू किया. उसी समय सहारा की भी एयरलाइंस शुरू हो रही थी. नीरा सहारा की एविएशन कंसल्टेंट बनकर दिल्ली आ गईं. सहारा एयरलाइंस के सरकार में लटके मामले क्लियर कराने शुरू किए. नीरा राडिया काम करा सकती हैं, इसकी चर्चा तेज होने लगी.

1999 में एनडीए सरकार में अनंत कुमार विमान मंत्री बने. नीरा राडिया और अनंत कुमार की अच्छी ट्यूनिंग बनने लगी. कहा जाने लगा कि एविएशन पॉलिसी मेकिंग में भी नीरा का रोल बढ़ने लगा. 2000 में नीरा अपनी एयरलाइन कंपनी तक शुरू करने जा रही थी लेकिन उनको सरकारी क्लिरेंस नहीं मिला. कहा जाता है कि नीरा राडिया को लेकर इतना विवाद बढ़ने लगा कि अनंत कुमार को विमान मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा.

2021 में फिर विवाद से जुड़ा नाम

उसी दौर में रतन टाटा ने भी सिंगापुर एयरलाइंस के साथ टाटा एयरलाइंस शुरू करने की कोशिश की थी. टाटा का एयरलाइन तो शुरू नहीं हुआ लेकिन रतन टाटा के संपर्क में आ गईं नीरा राडिया. उनकी कंपनी वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस को पीआर के लिए टाटा का अकाउंट मिला. कंपनी इतनी बड़ी हो गई कि सरकार के कई बड़े अफसर रिटायर होकर काम करने लगे. सब कुछ ठीक चल रहा था. बस राडिया टेप कांड के खुलासे से चीजें खराब होना शुरू हुई तो होती ही गईं. नीरा राडिया की कंपनी बंद हो गई. कॉरपोरेट लॉबिंग पर ताला लग गया. नीरा राडिया लाइम लाइट और हेडलाइन से दूर चली गईं.  

हालांकि 2021 में दूसरा विवाद भी हुआ. यस बैंक के 300 करोड़ के लोन फ्रॉड का आरोप लगा. नीरा राडिया से पूछताछ तो हुई लेकिन ईडी, सीबीआई, पुलिस की जांच के बाद भी कभी गिरफ्तारी की नौबत नहीं आई.

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