RSS और राहुल गांधी के बीच होगा संवाद? मथुरा में हुई संघ की बैठक से मिला ये इशारा!

रूपक प्रियदर्शी

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Rahul Gandhi-RSS: राजनीति में जैसे-जैसे राहुल गांधी बढ़ते गए, आरएसएस से तल्खी बढ़ती गई. राहुल गांधी जब अपने विरोधियों का जिक्र करते हैं, बीजेपी और आरएसएस को एक तराजू पर रखते हैं. राहुल कहते हैं विचारधारा की लड़ाई है. जिसमें एक तरफ है कांग्रेस की मोहब्बत की विचारधारा. दूसरी तरफ है बीजेपी-आरएसएस की नफरत की विचारधारा. 

मथुरा में RSS बैठक 

मथुरा में आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. सरसंघचालक मोहन भागवत भी शामिल हुए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद ये चर्चा तेज हो चली है कि क्या आरएसएस राहुल गांधी से संवाद करना चाहता है. संघ के नंबर 2 दत्तात्रेय होसबोले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बातें कहीं जिससे ये सवाल, अनुमान लगना शुरू हुआ. 

राहुल गांधी जब भारत जोड़ो यात्रा लेकर कन्याकुमारी से कश्मीर तक पदयात्रा पर निकले तो थीम भी ऐसी कुछ थी. चलते-चलते मोहब्बत की दुकान खुली जिसका मकसद बीजेपी-आरएसएस की नफरत की दुकान पर ताला लगाना था. नारा ही बन गया नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान. बीजेपी ने मोहब्बत की दुकान का मजाक उड़ाया. आरएसएस कहीं सतर्क होकर बोलता रहा. मथुरा में होसबोले जब ये बोले कि वो मोहब्बत की दुकान नफरत के बाजार में हैं लेकिन वो हमसे मिलने के लिए तैयार नहीं हैं. हम किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं हैं. कांग्रेस के भी खिलाफ नहीं हैं. 

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राहुल की भारत जोड़ो यात्रा और आरएसएस पर कटाक्ष

दत्तात्रेय होसबोले ने बताया, न कभी ऐसी कोई खबर आई कि आरएसएस और राहुल के बीच बात होने या बातचीत कराने की कोशिश पहल हो रही है. अगर ऐसा कुछ नहीं हुआ तो संघ कैसे इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि राहुल गांधी मिलना नहीं चाहते. क्या इस बयान से राहुल गांधी को कोई इम्प्रेशन दिया गया कि मिलना चाहिए. बात होनी चाहिए? वैसे आरएसएस की पुरानी लाइन और नीति रही है कि हम तो सबसे मिलना चाहते हैं. बीजेपी-आरएसएस संबंधों में तनाव के सवाल पर भी होसबोले ने कहा कि हमारा किसी से तनाव नहीं. चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस हो. 

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राहुल गांधी ने कभी ये नहीं कहा कि आरएसएस से कोई निजी दुश्मनी है. उन्होंने विचारधारा को लेकर बीजेपी के साथ संघ को लपेटा. सबसे लेटेस्ट हमला तब किया जब सरकार सीनियर पदों पर लैटरल एंट्री से नियुक्ति करने चली थी. राहुल गांधी ने आरक्षण छीनने और संघ के लोगों की भर्ती करने का आरोप लगाया था. पिछले साल जब वरुण गांधी के कांग्रेस में आने की चर्चा तेज हुई तो राहुल ने साफ-साफ कह दिया कि उन्होंने आरएसएस की विचारधारा अपनाई, जो मैं कभी नहीं कर सकता. मैं आरएसएस के दफ्तर में नहीं जा सकता. चाहें आप मेरा गला काट दीजिए।  

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मुकदमों और वैचारिक टकराव में 10 साल का इतिहास

भाषणों, बयानों के बीच राहुल और आरएसएस 10 साल से मुकदमेबाजी में भी उलझे हैं. राहुल गांधी पर लगे बहुत सारे मुकदमों में एक मुकदमा ये भी है कि उन्होंने 2014 में आरएसएस पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया. मुंबई की भिवंडी कोर्ट में मानहानि का केस आज तक चल रहा है. 10 साल बाद भी मुकदमा इसलिए चल रहा है कि दोनों तरफ से कोई झुकने को तैयार नहीं है. राहुल गांधी माफी मांगने को तैयार नहीं. आरएसएस से जुड़े शिकायतकर्ता राजनीतिक भाषणबाजी में लगाए गए आरोप को भूलना नहीं चाहते. 

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