कौन हैं शांतनु नायडू, हमेशा साए की तरह क्यों रहता था रतन टाटा के साथ, ये है पूरी कहानी

ललित यादव

ADVERTISEMENT

Who is Shantanu Naidu?
Who is Shantanu Naidu?
social share
google news

Who is Shantanu Naidu: टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार यानी 9 अक्टूबर की देर रात निधन हो गया. रतन टाटा की लाइफ लोगों के लिए प्रेरणादायक रही है. उन्होंने अपनी ही कंपनी में कर्मचारी बनकर काम किया और अपनी आमदनी का 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा दान करके देश के सबसे बड़े दानवीरों में शुमार रहे. रतन टाटा ने अपनी काबिलियत के दम पर जिस बिजनेस को छुआ उसे सोना बना दिया. कई लोगों की किस्मत भी उन्होंने बदल कर रख दी. अगर आपने गौर किया हो तो देखा होगा कि रतन टाटा के साथ एक कम उम्र का लड़का हमेशा साय की तरह साथ रहता था. कई लोग उसे उनका बेटा मान लेते थे तो कई उनका रिश्तेदार. आखिर ये लड़का कौन है. आइए आपको बताते हैं.

कौन है शांतनु नायडू?

रतन टाटा के साथ अक्सर नजर आने वाले इस लड़के का नाम शांतनु नायडू है. ये लड़का रतन टाटा का मैनेजर और पर्सनल असिस्टेंट है. शांतनु ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करके रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है. शांतनु ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म लिंक्डइन पर एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि "इस दोस्ती ने मेरे अंदर एक खालीपन पैदा कर दिया है. मैं अपनी बाकी की जिंदगी उसे भरने में लगा दूंगा. दुख ही प्यार की कीमत है. अलविदा मेरे प्यारे प्रकाशस्तंभ."

कब हुई थी दोनों की पहली मुलाकात

शांतनु नायडू और रतन टाटा की दोस्ती साल 2014 में शुरू हुई थी. असल में रतन टाटा पशुओं के प्रति अपने प्रेम के लिए जाने जाते हैं. शांतनु भी बेसहारा पशुओं के कल्याण के लिए काम करते हैं. उन्होंने बेसहारा कुत्तों को हादसों से बचाने के लिए एक खास कॉलर का ईजाद किया था. इसके बाद से ही शांतनु और रतन टाटा की मुलाकात हुई थी. रतन टाटा ने शांतनु को उनके साथ काम करने का ऑफर दिया था. शांतनु को अक्सर रतन टाटा के साथ देखा जाता था. महाराष्ट्र में जन्मे शांतनु टाटा ट्रस्ट में डिप्टी जनरल मैनेजर के पद पर हैं. शांतनु का परिवार भी टाटा ग्रुप के साथ काम करता है.

ADVERTISEMENT

ऑटोमोबाइल डिजाइन इंजीनियर हैं शांतनु

शांतनु एक ऑटोमोबाइल डिजाइन इंजीनियर हैं और उन्होंने कॉर्नल से MBA भी किया है. MBA करने के लिए रतन टाटा ने ही शांतनु की मदद की थी. इसके बाद रतन टाटा खुद शांतनु के ग्रेजुएशन प्रोग्राम में शामिल होने कॉर्नल यूनिवर्सिटी पहुंचे थे. बाद में शांतनु को टाटा के साथ काम करने का मौका मिला. शांतनु की खुद की भी कंपनी है. जिसका नाम गुडफेलो है. यह कंपनी बुजुर्गों को उनके अंतिम क्षणों में बेहतरीन सुविधाएं देने का काम करती है.

इसके अलावा उनकी एक NGO भी है, जिसका नाम मोटोपॉज है. ये कंपनी कुत्तों के लिए रिफलेक्टर कॉलर बनाती है. जो अंधेरे में चमकते हैं और उन्हें सड़क पर होने वाले हादसों से बचाती है. इस NGO को शुरू करने के लिए शांतनु के पास इतने पैसे नहीं थे, इसलिए शांतनु ने अपने पिता के कहने पर रतन टाटा को अपने हाथों से पत्र लिखा फिर रतन टाटा ने शांतनु से मिलने के लिए न्यौता भेजा था. 29 साल की उम्र में शांतनु ने रतन टाटा के साथ काम करना शुरू किया था. शांतनु ने अपने इनोवेटिव आइडियाज से रतन टाटा का दिल जीत लिया था. उनका हर आइडिया रतन टाटा को बहुत पसंद आता था.

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT