राहुल गांधी के मास्टर स्ट्रोक से बदल जाएगा खेल, सचिन-शशि और गौरव गोगोई को कांग्रेस दे सकती है बड़ी जिम्मेदारी!
राहुल गांधी को अब यह समझ आ गया है कि कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए पूरी पार्टी को ध्वस्त करना सही रणनीति नहीं होगी. इसके बजाय, संगठन में सुधार और एकजुटता लाने की जरूरत है. पहले वे उम्मीद कर रहे थे कि समय के साथ चीजें खुद-ब-खुद ठीक हो जाएंगी, लेकिन हालिया चुनावी हार ने उन्हें एहसास करा दिया कि कांग्रेस के लिए अब "करो या मरो" की स्थिति है.
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कांग्रेस पार्टी अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करने जा रही है. राहुल गांधी अब संगठन को धीरे-धीरे सुधारने की कोशिश कर रहे थे, अब पूरी गंभीरता से पार्टी को मजबूती देने में जुट गए हैं. कांग्रेस की सियासत में युवा नेताओं को अधिक जिम्मेदारी देने की तैयारी हो रही है. शशि थरूर, सचिन पायलट, गौरव गोगोई और कन्हैया कुमार जैसे युवा नेताओं को बड़ी भूमिकाएं मिलने की संभावना है.
राहुल गांधी को अब यह समझ आ गया है कि कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए पूरी पार्टी को ध्वस्त करना सही रणनीति नहीं होगी. इसके बजाय, संगठन में सुधार और एकजुटता लाने की जरूरत है. पहले वे उम्मीद कर रहे थे कि समय के साथ चीजें खुद-ब-खुद ठीक हो जाएंगी, लेकिन हालिया चुनावी हार ने उन्हें एहसास करा दिया कि कांग्रेस के लिए अब "करो या मरो" की स्थिति है.
सचिन पायलट समेत इन युवा नेताओं को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
असम में गौरव गोगोई को कांग्रेस की कमान सौंपे जाने की चर्चा है. उनके पिता तरुण गोगोई असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, और गौरव की असमिया, हिंदी और अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ है. बीजेपी नेता हेमंत बिस्वा शर्मा से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को एक मजबूत चेहरे की जरूरत है, और गौरव गोगोई इस भूमिका के लिए उपयुक्त माने जा रहे हैं.
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इसी तरह, शशि थरूर को भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. कांग्रेस चाहती है कि वे संगठन को मजबूत करने और पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं.
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प्रियंका गांधी की बड़ी भूमिका
कांग्रेस में यह चर्चा भी तेज है कि प्रियंका गांधी को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जाए। उन्हें पार्टी महासचिव या किसी और महत्वपूर्ण पद पर लाकर संगठन को मजबूत करने का काम सौंपा जा सकता है. कांग्रेस को अच्छी तरह पता है कि बीजेपी धनबल, बाहुबल और मजबूत संगठन के मामले में आगे है. बीजेपी के पास मोदी और अमित शाह जैसे बड़े नेता हैं, संघ का समर्थन है, और एक समर्पित कार्यकर्ता कैडर है. ऐसे में कांग्रेस को मुकाबला करने के लिए अपनी कमजोरियों को दूर करना होगा.
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राहुल गांधी अब राज्यों के नेताओं से व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं, उनकी समस्याएँ सुन रहे हैं और एकजुटता लाने की कोशिश कर रहे हैं. बिहार में महागठबंधन को मजबूत करने के लिए भी वे लालू यादव और तेजस्वी यादव से बातचीत करने की योजना बना रहे हैं.
क्या कांग्रेस फिर से मजबूत होगी?
इस बदलाव से कांग्रेस अचानक से सत्ता में वापसी कर लेगी, ऐसा नहीं है. लेकिन यह जरूर होगा कि पार्टी संघर्ष करती दिखेगी, बीजेपी को कड़ी चुनौती देगी और अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश करेगी. अगर कांग्रेस सही रणनीति अपनाती है, तो आने वाले चुनावों में उसे सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं.
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