सत्ता में वापसी के लिए Congress पार्टी को इंतजार करना पड़ेगा भारी, सचिन पायलट को क्यों देनी पड़ी ये नसीहत?
Rajasthan News: फिलहाल कांग्रेस को ग्राउंड पर उतरकर लोगों के बीच जाकर संघर्ष करने की जरूरत है. कहीं ऐसा न हो कि सत्ता वापसी का इंतजार बहुत लंबा हो जाए. सचिन पायलट कहीं न कहीं इन हालातों को भांप गए हैं.
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Rajasthan News: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट(Sachin Pilot) ने हाल ही में कांग्रेस की रणनीति को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी कब तक यह उम्मीद लगाए बैठी रहेगी कि जनता ऊब जाएगी और बीजेपी को सत्ता से हटाकर कांग्रेस को सत्ता में बैठा देगी. ऐसा होने वाला नहीं है. कांग्रेस को जनता के बीच जाकर संघर्ष करना होगा, उनकी समस्याओं को उठाना होगा और अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज करानी होगी. राहुल गांधी ने इसकी शुरुआत कर दी है, लेकिन इसे और आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने की जरूरत है. पायलट ने ये बातें शब्दश: तो नहीं कही पर भाव यही थे.
अगर हम राष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो कांग्रेस की हालात कमजारे हैं. फिलहाल कांग्रेस को ग्राउंड पर उतरकर लोगों के बीच जाकर संघर्ष करने की जरूरत है. कहीं ऐसा न हो कि सत्ता वापसी का इंतजार बहुत लंबा हो जाए. सचिन पायलट कहीं न कहीं इन हालातों को भांप गए हैं.
लोगों में ऐसे गिरने लगी कांग्रेस की साख
2004 में कांग्रेस को 145 सीटें और 26.5% वोट मिले थे, जो 2009 में बढ़कर 206 सीटें और 28.6% वोट हो गए, लेकिन इसके बाद 2014 और 2019 में कांग्रेस की स्थिति गिरती चली गई. 2014 में 13% और 2019 में भी 13% वोट शेयर रहा. 2024 में स्थिति थोड़ी सुधरी और कांग्रेस को 21.2% वोट और 99 सीटें मिलीं, लेकिन यह अपने दम पर सत्ता में आने के लिए नाकाफी है.
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राज्यों में कांग्रेस की स्थिति
अगर राज्यों की बात करें तो देश के अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष कर रही है.
- तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश: ये तीन राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस सत्ता में है, लेकिन यहां भी बीजेपी का प्रभाव बढ़ रहा है.
- हरियाणा: 2005 में कांग्रेस को 42.5% वोट और 67 सीटें मिली थीं, लेकिन 2024 में यह घटकर 39% वोट और 37 सीटें रह गईं.
- छत्तीसगढ़: 2008 में कांग्रेस को 38.6% वोट और 38 सीटें मिली थीं, लेकिन 2023 में वोट शेयर 42.8% होने के बावजूद सीटें घट गईं और सत्ता हाथ से निकल गई.
- राजस्थान: 2008 में कांग्रेस को 36.8% वोट और 96 सीटें मिली थीं, लेकिन 2023 में वोट शेयर बढ़कर 40% होने के बावजूद सिर्फ 70 सीटें मिलीं.
- मध्य प्रदेश: कांग्रेस ने 2023 में 66 सीटें जीतीं, लेकिन बीजेपी का वोट शेयर 50% के करीब पहुंच गया, जिससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ.
- असम: 2006 में कांग्रेस को 30-31% वोट और 53 सीटें मिली थीं, लेकिन 2021 में यह आंकड़ा कम हो गया.
- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश: इन राज्यों में कांग्रेस की हालत इतनी खराब हो गई है कि वापसी मुश्किल लग रही है. यूपी में 2022 में कांग्रेस को सिर्फ 2.3% वोट और 2 सीटें मिलीं. पश्चिम बंगाल में 2006 में 21 सीटें थीं, जो 2021 में शून्य हो गईं. आंध्र प्रदेश में 2014 में 2.8% वोट था, जो 2024 में घटकर 1.7% रह गया.
गठबंधन ही एकमात्र विकल्प?
जहां-जहां कांग्रेस ने गठबंधन किया, वहां उसकी स्थिति में सुधार देखने को मिला. बिहार में 2005 में कांग्रेस को 9 सीटें और 6% वोट मिले थे, लेकिन 2020 में आरजेडी के साथ गठबंधन करने पर वोट शेयर 9.5% और सीटें 19 हो गईं. तमिलनाडु और झारखंड में भी कांग्रेस को गठबंधन का फायदा मिला, लेकिन जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की स्थिति कमजोर बनी रही.
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कांग्रेस के लिए आगे का रास्ता
कांग्रेस को केवल गठबंधन के भरोसे नहीं बैठना चाहिए, बल्कि संगठन को मजबूत करने और जनता के बीच लगातार सक्रिय रहने की जरूरत है. सचिन पायलट की यह सलाह कि पार्टी को खुद आगे बढ़कर जनता से जुड़ना होगा, बिल्कुल सटीक लगती है. यदि कांग्रेस ने सही रणनीति अपनाई और जमीनी स्तर पर मेहनत की, तो वह फिर से अपने खोए हुए जनाधार को वापस ला सकती है. अब देखना यह होगा कि कांग्रेस सिर्फ इंतजार करती है या सच में जनता के बीच जाकर संघर्ष का रास्ता अपनाती है.
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