‘BRS-BJP-ओवैसी एक हैं’, तेलंगाना में राहुल गांधी की इस स्ट्रेटजी के मायने समझिए
राहुल ने आगे कहा कि, ‘पार्लियामेंट में BJP जो भी चाहती है BRS उसका सपोर्ट करती है. इन्होंने किसान बिल और GST पर बीजेपी सरकार का पूरा समर्थन किया. आपलोग याद रखिए ये तीनों पार्टियां एकसाथ काम कर रही है, और कांग्रेस को हराना चाहती हैं.’
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Telangana Election 2023: तेलंगाना में कांग्रेस अपने चुनावी अभियान में जुटी हुई है. राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने ऐतिहासिक रामप्पा मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद कांग्रेस की ‘विजयभेरी यात्रा’की शुरुआत की, तो इसे हिंदुत्व की राजनीति से भी जोड़ा गया. इस दौरान दोनों ने मुलुगु में एक सभा को संबोधित करते हुए तेलंगाना मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की BRS सरकार पर खूब फब्तियां कसीं. भारत राष्ट्र समिति (BRS), BJP और ओवैसी के मिले होने का आरोप लगाया. सवाल यह है कि ओवैसी, केसीआर और बीजेपी को एक बता कांग्रेस को क्या हासिल होगा?
BRS, AIMIM और BJP तीनों मिली हुई है: राहुल गांधी
राहुल गांधी का कहना है कि तेलंगाना CM बीजेपी से मिले हुए हैं. वह आगे कहते हैं कि इसका बड़ा सबूत यह है कि, ‘उनके पीछे ED, CBI नहीं लगी है. पूरे देश में सभी विपक्षी नेताओं के पीछे बीजेपी ने सेंट्रल एजेंसियां लगा दी हैं. मेरे ऊपर 24 केस लगाए हैं, फिर भी मैं आपके बीच हूं. हमारी लड़ाई BRS से है. बीजेपी को हमने पहले ही हरा दिया है. BJP ये बात जानती है, इसीलिए वो BRS को जीतना चाहती है. लेकिन आपको सतर्क रहना है. तेलंगाना में BRS,BJP और AIMIM तीनों मिलें हुए है. अगर आप BRS को वोट देंगे तो वो बीजेपी को वोट होगा.’
राहुल ने आगे कहा कि, ‘पार्लियामेंट में BJP जो भी चाहती है BRS उसका सपोर्ट करती है. इन्होंने किसान बिल और GST पर बीजेपी सरकार का पूरा समर्थन किया. आपलोग याद रखिए ये तीनों पार्टियां एकसाथ काम कर रही है, और कांग्रेस को हराना चाहती हैं.’
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राहुल के ऐसा कहने के क्या हैं मायने?
चुनाव पहले तेलंगाना में एबीपी सी-वोटर के ओपिनियन पोल के मुताबिक प्रदेश में कांग्रेस और BRS के बीच कड़ी टक्कर है. केसीआर के सामने एंटी इनकंबेंसी है. राहुल गांधी BRS, BJP और AIMIM तीनों दलों को एक ही थाली के चट्टे-बट्टे बता रहे है. राहुल गांधी की कोशिश है कि विपक्ष का बोट बीजेपी और AIMIM में न बंटे. अगर सत्ता विरोधी वोट कांग्रेस को ट्रांसफर होता है, तो क्लोज मार्जिन वाली फाइट्स में पार्टी आगे निकल जाएगी. गौर करने वाली बात है कि पिछले चुनावों में कांग्रेस 5 से 10 सीटों पर बहुत कम अंतर से हारी थी. ऐसे में इसे कांग्रेस का एक कैलकुलेटिव मूव समझा जा रहा है.
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