बजट में तेलंगाना को किया गया दरकिनार! अब CM रेवंत रेड्डी दिल्ली में मचाएंगे सियासी हंगामा

रूपक प्रियदर्शी

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Revanth Reddy on Budget 2024: आंध्र प्रदेश के विभाजन से तेलंगाना राज्य बना. विभाजन के बाद केंद्र सरकार से फायदा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों ही राज्यों को मिलना था. बीते दिन बजट पेश किया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आंध्र प्रदेश के लिए अच्छी खासी रकम का ऐलान कर दिया. वित्त मंत्री ने बजट स्पीच में तेलंगाना का न जिक्र किया और ना ही कोई राशी देना का ऐलान किया. अब खबर है कि सीएम रेवंत रेड्डी इसके बाद से नाराज हैं.

बजट में तेलंगाना को कुछ नहीं मिला

देश के पीएम मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी में नहीं बनती लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम को इतनी लिबर्टी है कि राज्य के हित में जो करना है, करिए. मोदी की तारीफ करने की भी मनाही नहीं. मोदी सरकारी दौरे पर आए तो सीएम होने के नाते रेवंत रेड्डी ने प्रोटोकॉल निभाया. बढ़िया से आदर-सत्कार किया. सार्वजनिक मंच से मोदी के गुजरात मॉडल की तारीफ की. मोदी को बड़ा भाई तक कहा था रेवंत रेड्डी ने लेकिन बजट आया तो उनके हाथ कुछ नहीं आया. 

बता दें कि मोदी सरकार ने 48 लाख करोड़ का बजट पेश किया और अकेले 15 हजार करोड़ का मोटा पैकेज आंध्र प्रदेश को दे दिया. तेलंगाना के हाथ कुछ नहीं आया. जबकि राज्य विभाजन के बाद स्पेशल फंड का हक तो तेलंगाना का भी बनता था. 

दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे तेलंगाना सांसद

रेवंत रेड्डी ने ऐलान कर दिया है कि तेलंगाना के सांसदों के साथ दिल्ली में हर लेवल पर प्रोटेस्ट करेंगे. कांग्रेस के सांसद तो साथ होंगे ही. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के सांसद और यहां तक कि तेलंगाना से जीते बीजेपी के 8 सांसदों को लेकर तेलंगाना के हक की लड़ाई लड़ेंगे. मुद्दा तेलंगाना के हित का है. बीजेपी के सांसद पूरे मन से साथ दें या नहीं, रेवंत रेड्डी की लड़ाई का विरोध नहीं कर पाएंगे. बीआरएस की हैसियत सिर्फ एक सांसद की रह गई है. केसीआर के बेटे केटी रामाराव ने भी तेलंगाना के साथ अन्याय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. 

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सरकार के बजट को राहुल ने बताया कुर्सी बचाओ बजट

राहुल गांधी ने मोदी सरकार के बजट को कुर्सी बचाओ बजट बोलकर विपक्ष का एजेंडा सेट कर दिया है. संसद के अंदर और बाहर जोरदार विरोध हो रहा है. इसी लाइन पर बोल रहे रेवंत रेड्डी कह रहे हैं कि एनडीए मतलब नीतीश-नायडू डिफेंडेंट अलायंस. आगे का प्लान ये है कि वो दक्षिण के तमाम राज्यों को एकजुट करके आवाज बुलंद करेंगे. जैसे तेलंगाना के हाथ खाली रह गए वैसे ही कांग्रेस शासित कर्नाटक, डीएमके-कांग्रेस शासित तमिलनाडु, लेफ्ट शासित केरल को भी कुछ नहीं मिला.

तीनों राज्यों के सीएम से रेवंत रेड्डी ने संपर्क कर लिया है. इसी प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत ममता को छोड़कर गैर-एनडीए शासित राज्यों के सीएम 27 जुलाई को नीति आयोग की बैठक में नहीं जाएंगे. बंगाल को भी कुछ नहीं मिलने से नाराज ममता बनर्जी विरोध जताने के लिए नीति आयोग की बैठक में जाएंगी.

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सीएम रेड्डी की 18 रिक्वेस्ट रिजेक्ट!

30 मई 2014 में यूपीए सरकार ने तेलंगाना पुनगर्ठन कानून बनाकर आंध्र को बांटकर तेलंगाना बनाया था. तब तेलंगाना से 35 वादे किए गए थे. 10 साल बाद 35 के 35 वादे अधूरे हैं. दिसंबर में सरकार बनने के बाद से रेवंत रेड्डी सरकार तेलंगाना के पैसे मांगने के लिए 18 बार दिल्ली की दौड़ लगा चुकी है लेकिन मिला कुछ नहीं. तेलंगाना को आईआईएम तक देने को तैयार नहीं मोदी सरकार. 
 

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