राहुल गांधी की रेड बुक ने कैसे बदला लोकसभा चुनाव का एजेंडा?

रूपक प्रियदर्शी

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Rahul Gandhi
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Constituiton Day: लोकसभा चुनाव में बीजेपी 400 पार का नारा लगा रही थी. माहौल ऐसा बना कि सबने मान लिया कि बीजेपी 400 पार जा रही है. बस राहुल गांधी की साइड वाले मान नहीं रहे थे. कांग्रेस बीजेपी से कम, राहुल गांधी मोदी से कमजोर माने जा रहे थे. बीजेपी के 400 पार की काट में राहुल गांधी को कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने छोटी सी किताब संविधान की रेड कलर की पॉकेट बुक को चुनाव का हथियार बना लिया. 

राहुल गांधी की रेड बुक की एंट्री

राहुल गांधी रेड बुक दिखा-दिखाकर समझाने लगे कि बीजेपी को 400 सीटें इसलिए चाहिए कि संविधान बदल सके, आरक्षण छीन सके. राहुल के भाषणों और रेड बुक ने ब्रह्मास्त्र का काम किया. बीजेपी 400 पार तो क्या, 250 से नीचे लुढ़क गई. राहुल गांधी की संविधान वाली स्ट्रैटजी ने बीजेपी की सारी प्लानिंग की ऐसी-तैसी कर दी. चुनाव निपट गया लेकिन राहुल गांधी ने संविधान की रेड बुक नहीं छोड़ी. अब यही रेड बुक पूरे विपक्ष का गहना बन गई है. हालांकि माना जा रहा है कि संविधान वाले मुद्दे ने हरियाणा, महाराष्ट्र चुनावों में कांग्रेस को कतई मदद नहीं दी.

कहानी रेड बुक से आगे बढ़ गई है. 26 नवंबर को संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाया गया. संसद में संविधान दिवस पर भव्य सरकारी कार्यक्रम हुआ. कांग्रेस ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में संविधान रक्षक अभियान शुरू किया. संविधान बचाने के लिए नई जंग का एलान हुआ. वहीं से निकला संसद में संविधान पर चर्चा का आइडिया. उसी दिन विपक्ष के नेता की हैसियत से राहुल गांधी ने 26 नवंबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिखकर संविधान पर दो दिन की डिबेट की मांग कर दी. विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ के सामने यही मांग रखी.

संविधान पर चर्चा की मांग  

राहुल गांधी कुछ मांग लें और सरकार हां कर दे, ऐसा होता नहीं. संसद के शीतकालीन सत्र के पहले 5 दिन कोई काम नहीं हुआ. राहुल गांधी के एजेंडे पर कांग्रेस सांसदों ने इतना अदाणी-अदाणी किया कि सरकार का दम निकल गया. संसद चलाना असंभव हो चला. संभल, अजमेर, वायनाड त्रासदी-कहीं किसी चर्चा की नौबत नहीं आ रही थी. पूरा हफ्ता बर्बाद हुआ तो सरकार-विपक्ष ने बीच का रास्ता निकालने के लिए बातचीत शुरू की. उसी में बड़ा खेल हो गया. 

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सरकार मान गई कि संसद में संविधान पर 2 दिन की चर्चा होगी. संसद में संविधान पर सुनने-सुनाने के महा मुकाबले की डेट फिक्स हो गई है. लोकसभा में चर्चा 13 और 14 दिसंबर को होगी. राज्यसभा में चर्चा 16 और 17 दिसंबर को होगी.  संभव है कि संविधान पर राहुल गांधी बोलेंगे तो पीएम मोदी भी जवाब देने आएंगे. भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों, संविधान के महत्व, प्रासंगिकता और देश के विकास में भूमिका पर चर्चा होगी. 

रेड बुक से शुरू हुआ मुद्दा विपक्ष का टॉप एजेंडा कैसे बना?

किन मुद्दों पर चर्चा हो, विपक्षी पार्टियों में संसद के एजेंडे को लेकर कुछ-कुछ मतभेद थे. अदाणी मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कन्नी काटी लेकिन संविधान के सवाल पर सारे मतभेद गायब हो गए. बीजेपी से संविधान बचाने का ऐसा मुद्दा है जिसे राहुल गांधी ने शुरू किया. अब विपक्ष की तमाम पार्टियों के टॉप एजेंडे में है. राहुल की पहल पर संविधान पर संसद में चर्चा के लिए सारी पार्टियों ने मंजूरी दी. राहुल ने एजेंडा सेट किया. सरकार मजबूरी में और विपक्ष खुशी-खुशी शामिल है. राहुल गांधी की संविधान पर बड़ी जीत हो गई. 

सरकार राहुल की मांग पर झुक गई तो संसद का नजारा बदल गया. प्रश्न काल, शून्यकाल, संभल-सारे काम और सारे मुद्दों पर चर्चा शुरू हो गई. पटरी से उतरी संसद पटरी पर लौट आई.  संसद के अंदर कांग्रेस सांसदों ने अदाणी-अदाणी का शोर नहीं मचाया. राहुल गांधी की अगुवाई में संसद सत्र शुरू होने से पहले संसद परिसर में मोदी-अदाणी की फोटो वाले पोस्टर के साथ बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ. फिर संसद चलनी शुरू हो गई. 

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