राजस्थान में इस गणित से 30 सीट और जीत सकते थे गहलोत, फिर तो बदल ही जाता रिवाज!
प्रोफेसर संजय कुमार के एनालिसिस के मुताबिक अगर कांग्रेस अपने अलायंस के साथियों के साथ भी गठबंधन कर चुनाव लड़ती तो उसे नुकसान छोड़ फायदा ही होता. लेकिन कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार हो गई.
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Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत हुई है. अब वहां बीजेपी के सामने मुख्यमंत्री का एक ऐसा चेहरा देने की चुनौती है, जिसे लेकर आम राय हो. ऐसा इसलिए क्योंकि न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि बीजेपी किसी नए चेहरे को सीएम बनाएगी. उधर वसुंधरा राजे भी सीएम पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं. इन सबके बीच राजस्थान में कांग्रेस की हार को लेकर तमाम विश्लेषण हो रहे हैं. पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने दावा किया था कि उनकी लोककल्याणकारी योजनाएं काम करेंगी और राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं होने वाला रिवाज टूटेगा. पर ऐसा हुआ नहीं. अब एक ऐसा गणित सामने आया है, जिसपर अगर गहलोत और कांग्रेस ने काम किया होता, तो शायद राजस्थान का रिवाज टूट गया होता.
राजस्थान की 199 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 115 सीटों पर जीत मिली है. कांग्रेस को सिर्फ 69 सीटों पर सफलता मिली. 13 सीटों पर अन्य को जीत मिली. इसी बीच लोकनीति और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS)के प्रोफेसर संजय कुमार ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने राजस्थान में कांग्रेस की हार की वजहों को बताया है. आइए बताते हैं क्या लिखा है उन्होंने.
प्रोफेसर संजय कुमार ने अपने ट्वीट में बताया है कि राजस्थान की 44 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जितने मार्जिन से जीत मिली है उन सीटों पर उससे कही ज्यादा वोट किसी अन्य दल या निर्दलियों को मिलें है. वे कहते हैं कि कांग्रेस प्रदेश में यदि क्षेत्रीय दलों और निर्दलियों से समझौता कर लेती तो उसे कम से कम 30 और सीटों पर जीत मिल सकती थी.
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44 Assembly seats in Rajasthan third party or an independent polled higher votes than the victory margin of BJP. In all these 44 seats Congress was runner up. An alliance of Congress with some regional forces in Rajasthan may have address 30 more seats for it. @LoknitiCSDS
— Sanjay Kumar (@sanjaycsds) December 5, 2023
आखिर कैसी सीटों की बात कर रहे हैं प्रोफेसर संजय कुमार?
आइए आपको राजस्थान के नतीजों से उन सीटों में से कुछ की झलकियां दिखाते हैं, जहां कांग्रेस ने दूसरे दलों को सहेजा होता तो परिणाम कुछ और होते.
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1- कोटपूतली सीट पर कांग्रेस के राजेन्द्र सिंह यादव को मात्र 321 वोटों से बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा. यहां राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी(RLP) को 2187 और बहुजन समाज पार्टी(BSP) को 1088 वोट मिले.
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2- कठूमर सीट पर कांग्रेस, बीजेपी से 409 वोट पीछे रह गई जबकि यहां BSP को 828 और आम आदमी पार्टी(AAP) को 688 वोट मिलें. AAP, INDIA अलायंस में कांग्रेस की साझेदार है.
3- जहाजपुर में कांग्रेस प्रत्याशी को 580 वोटों से हार मिली. इस सीट पर BSP को 1567 और आजाद समाज पार्टी को 678 वोट मिलें.
सीधा तर्क है कि अगर ऐसी सीटों पर कांग्रेस अन्य दलों से समझौता कर लेती तो नतीजे कुछ और होते.
कांग्रेस ने इस साल जुलाई में विपक्ष के 26 दलों को एकसाथ लाते हुए इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस(INDIA) बनाया था. राज्यों के विधसभा चुनाव में कांग्रेस ने अलायंस को दरकिनार करते हुए अकेले चुनाव लड़ा. प्रोफेसर संजय कुमार के विश्लेषण के मुताबिक अगर कांग्रेस अपने अलायंस के साथियों के साथ भी गठबंधन कर चुनाव लड़ती तो उसे नुकसान छोड़ फायदा ही होता. लेकिन कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार हो गई.
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