MLA होकर फिर विधायक के चुनाव लड़ेंगे डीके शिवकुमार! जानिए Inside Story

रूपक प्रियदर्शी

ADVERTISEMENT

newstak
social share
google news

DK Shivakumar: कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिव कुमार ऐसा कुछ करने जा रहे हैं जिससे कर्नाटक की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है. 2023 के विधानसभा चुनाव में डीके शिव कुमार कनकपुरा सीट से चुनाव जीते हैं. विधायक हैं, डिप्टी सीएम हैं. अब उन्होंने मन बनाया है कि वो फिर विधायक बनने के लिए रामनगर जिले की चन्नापटना विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ेंगे. चन्नापटना सीट से जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी चुनाव जीतकर विधायक बने थे. लोकसभा चुनाव में मंड्या सीट से चुनाव जीते. मंड्या से सांसद बनने के बाद कुमारस्वामी मोदी सरकार में मंत्री भी बन गए. अब उनकी विधायक वाली सीट खाली होगी जिस पर उपचुनाव कराया जाना है. 

विधायक होकर विधायकी के चुनाव लड़ेंगे डीके!

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चन्नापटना सीट पर उपचुनाव से विधायक रहते हुए डीके शिव कुमार फिर विधायक का चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं. डीके शिव कुमार के लड़ने की अटकलें तेज हुई अचानक चन्नापटना के दौरे से. डीके ने चन्नापटना के लोगों से कहा कि उनकी राजनीति यहीं से शुरू हुई थी. जैसे विधायक होते हुए उन्होंने कनकपुरा का कायाकल्प किया वैसे ही चन्नापटना का करना है. डीके ने कहा कि वो लोकल नेताओं से बात करने के बाद चुनाव लड़ने का फाइनल करेंगे. 

एक चर्चा ये भी है कि अगर कांग्रेस हाईकमान ने डीके के रिस्क नहीं लेने दिया तो चन्नापटना सीट से डीके अपने भाई डीके सुरेश को लड़ा सकते हैं जो लोकसभा चुनाव में बैंगलोर रूरल सीट से हारे हैं. संभावना ये भी है कि डीके चन्नापटना से लड़कर कनकपुरा सीट से भाई सुरेश को लड़ा दें. चन्नापटना सीट देवगौड़ा परिवार की इज्जत का सवाल है. देवगौड़ा परिवार कुमारस्वामी के बेटे निखिल को चुनाव लड़ाने की सोच रहा है जिनका बार-बार हारने से राजनीति में डेब्यू हो नहीं रहा है.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

फिर चुनाव लड़ने का मन क्यों बना रहे डीके?

कहा जा रहा है कि डीके शिव कुमार अपना राजनीतिक वजन तौलने के लिए ऐसी सीट से चुनाव लड़ने का रिस्क ले रहे हैं जो जेडीएस का गढ़ और वोक्कालिगा बहुल मानी जाती है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्नाटक में 2019 के मुकाबले बहुत अच्छा किया. 2019 में एक सीट मिली थी. 2024 में 9 सीटों पर जीत हुई. विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी 28 में से 9 सीटों पर जीत को डीके कांग्रेस और अपना खराब प्रदर्शन मान रहे हैं. कर्नाटक के उपचुनाव में कांग्रेस और अपना हवा-पानी समझने के लिए डीके फिर से चुनाव लड़ने का रिस्क ले रहे हैं. 

दूसरी कहानी कही जा रही है वोक्कालिगा समुदाय वाली राजनीति की. कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कालिगा दो शक्तिशाली समुदाय माने जाते हैं जो चुनाव में हार-जीत तय करते हैं. बीएस येदियुरप्पा लिंगायतों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं लेकिन वोक्कालिगा पर किसी का एकछत्र राज नहीं कायम हुआ. एचडी देवगौड़ा, एचडी कुमारस्वामी, सिद्धारमैया, डीके शिव कुमार बहुत सारे दावेदार हैं. और कुछ नहीं तो देवगौड़ा परिवार के वर्चस्व को तोड़ने और वोक्कालिगा वोट बहुल चन्नापटना सीट से लड़कर डीके अपने आप को नए सिरे से साबित करना चाह रहे हैं. 

लोकसभा में कांग्रेस को झटका

दक्षिण कर्नाटक में 61 विधानसभा सीटें ऐसी मानी जाती हैं जहां वोक्कालिगा वोटर हार-जीत के फैक्टर माने जाते हैं. विधानसभा चुनाव में ऐसी 61 में से 39 सीटें कांग्रेस की झोली में आई. 2018 के चुनाव के मुकाबले कांग्रेस ने 17 सीटें ज्यादा जीती थी. देवगौड़ा परिवार के गढ़ मंड्या की 7 में से 6 सीटें भी जीती. लेकिन 18 महीने में लोकसभा चुनाव में भयंकर ट्विस्ट आ गया. वोक्कालिगा बेल्ट की 14 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस सिर्फ एक सीट हासन वाली जीत पाई. 2019 में भी कांग्रेस सिर्फ बैंगलोर रूरल सीट जीत पाई थी जहां से डीके के भाई डीके सुरेश सांसद बने थे. 

ADVERTISEMENT

लोकसभा चुनाव में सिर्फ 9 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस की इंटरनल पॉलिटिक्स में सीएम सिद्धारमैया मजबूत, डीके कमजोर माने जा रहे हैं. ये स्थिति डीके शिव कुमार के सीएम बनने में आड़े आ सकती है. बीजेपी नेता भविष्यवाणी कर रहे हैं कि डीके चन्नापटना से लड़कर चुनाव जीतकर सीएम बनने के चक्कर में या तो अपना राजनीतिक अंत कर लेंगे या नई शुरूआत कर पाएंगे. चन्नापटना के अलावा कर्नाटक की शिगगांव और संदूर सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं जो पूर्व सीएम वसवराज बोम्मई और कांग्रेस के ई तुकाराम के लोकसभा जाने से खाली हो रही है.

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT