पूर्व शिवसैनिक ने ही शिवसेना से छीनी रत्नागिरी सीट, कौन हैं BJP के कैंडिडेट नारायण राणे?

शुभम गुप्ता

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Narayan Rane: लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने एक और सूची जारी कर दी है. इस लिस्ट में बीजेपी ने महाराष्ट्र के लिए एक और उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. बीजेपी ने अपनी इस सूची में सिर्फ नारायण राणे के नाम का ऐलान किया है. इस सीट को लेकर बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट में लंबे समय से माथापच्ची चलती आ रही थी. हालांकि दोनों पार्टी के बीच आपसी सहमति बन गई है और बीजेपी ने इसे अपने हिस्से में लेते हुए नारायण राणे को टिकट दे दिया है. आइए सबसे पहले जानते हैं कौन हैं नारायण राणे.

शिवसेना से शुरू किया था सियासी सफर

साल 1968 में नारायण राणे मात्र 16 साल की उम्र में शिवसेना के साथ जुड़ गए थे. पार्टी में रहते हुए उन्हें जल्द ही पॉपूलेरिटी मिलने लगी. बाद में उन्हें चेंबूर में शाखा प्रमुख भी बना दिया. 1990 में वे पहली बार शिवसेना से विधायक और साथ ही में नेता प्रतिपक्ष बने. छगन भुजबल के शिवसेना छोड़ने से उनका पार्टी में कद और बढ़ता चला गया. 1999 में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार में उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका भी मिला.

उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाना नारायण राणे को रास नहीं आया और उन्होंने 10 विधायकों के साथ 2005 में शिवसेना छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली. 12 साल के सफर के बाद 2017 में कांग्रेस छोड़ नारायण राणे ने अपनी पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष बनाई और बीजेपी के समर्थन से राज्यसभा जा पहुंचे. 2 साल बाद 2019 में उन्होंने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया. 

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रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग को लेकर बीजेपी-शिवसेना शिंदे गुट में हुई थी रस्साकशी

रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट जो बीजेपी और शिंदे की शिवसेना के बीच विवाद का विषय बन गई थी, आखिरकार बीजेपी ने ले ली है और अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है. आपको बता दें कि 1991 के बाद ऐसा पहली बार होगा कि इस क्षेत्र से शिवसेना का कोई भी उम्मीदवार नहीं होगा. 

नारायण राणे ने ठोका था अपना दावा

रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट पर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कुछ महीने पहले अपना एकतरफा दावा ठोक दिया था. हालांकि आधिकारिक तौर पर बीजेपी ने उन्हें अपने उम्मीदवार के रूप में घोषित नहीं किया था, इसके बावजूद भी उन्होंने अपना अभियान शुरू कर दिया था. शिंदे की शिवसेना यहां से किरण सामंत को अपना प्रत्याशी बनाना चाहती थी. सामंत ने बीजेपी से नाराज होते हुए कहा था कि 'बीजेपी अपने उम्मीदवार हम पर नहीं थोप सकती.'

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2019 में क्या थे नतीजे?

2019 के आम चुनाव में इस सीट से शिवसेना के विनायक राउत को इस सीट पर जीत मिली थी. जब शिवसेना दो भाग में नहीं बटी थी. अब पार्टी में विभाजन के बाद दो गुट बन गए हैं- शिवसेना शिंदे गुट, शिवसेना उद्धव गुट. उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने विनायक राउत को फिर एक बार मैदान में उतारा है. नारायण राणे से इनका मुकाबला होगा.

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