जाते-जाते मोदी का मिजोरम जाना कैंसल, कांग्रेस के लिए बढ़ा मौका
मिजोरम बीजेपी के लिए कोई बहुत संभावना वाला राज्य नहीं है. लड़ाई सीएम जोरमथंगा की पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट और कांग्रेस के बीच है.
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Mizoram Election: मिजोरम में 7 नवंबर को चुनाव होने हैं. पीएम मोदी को प्रचार करने जाना था लेकिन उनका अचानक मिजोरम दौरा रद्द हो गया. बीजेपी ने चुनाव आयोग को स्टार कैंपेनर की जो लिस्ट सौंपी थी उसमें मोदी का कैंपेन मामित में 30 अक्टूबर को तय था. अब उसी दिन मिजोरम न जाकर पीएम मोदी गुजरात चले गए. सुनने में ये आ रहा कि अमित शाह और नितिन गडकरी मिजोरम जाएंगे. लेकिन इनके दौरे की कोई तारीख अभी पक्की नहीं है.
मणिपुर में जारी हिंसा बनी वजह?
पीएम मोदी मिजोरम क्यों नहीं गए, इसकी कोई औपचारिक जानकारी नहीं आई. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया हैं कि मणिपुर के कारण मोदी मिजोरम नहीं जा रहे. मोदी मणिपुर पर चुप ही रहे हैं. उनको मणिपुर जाने का समय नहीं मिला? मोदी किस मुंह से जाते मिजोरम.
जैसे ही मोदी के मिजोरम दौरे की चर्चा शुरू हुई थी मिजोरम के सीएम जोरमथंगा ने इंटरव्यू में मोदी के खिलाफ बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि यदि मोदी मिजोरम आए तो उनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे. जोरमथंगा ने भी मोदी के खिलाफ स्टैंड मणिपुर के नाम पर ही लिया था.
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मिजोरम चुनाव पर मणिपुर हिंसा का पड़ सकता है असर
मिजोरम मणिपुर का पड़ोसी राज्य है. हिंसा के बाद मणिपुर से पलायन करके बहुत सारे लोगों ने मिजोरम में शरण ली हुई है. जोरमथंगा ने ये बात छुपाई नहीं कि जिस मणिपुर में बीजेपी की सरकार है उसके साथ दिखने में पॉलिटिकल रिस्क है. जोरमथंगा ने कहा था कि जब प्रधानमंत्री मिजोरम का दौरा करेंगे तो वो उनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे. जोरमथांगा ने मिजोरम के पड़ोसी राज्य औऱ बीजेपी शासित मणिपुर में चर्चों पर हमलों के लिए बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को दोषी ठहराया था. जोरमथंगा की नजर में मणिपुर संभालने के लिए बीजेपी सरकार ने कुछ नहीं किया.
केंद्र में है साथ लेकिन प्रदेश में है अलग
मिजोरम में जोरमथंगा की पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट(MNF) सत्ता में हैं और मणिपुर में बीजेपी सत्ता में है. हालांकि मिजोरम में बीजेपी-एमएनएफ के बीच गठबंधन नहीं है लेकिन एमएनएफ एनडीए का हिस्सा है. दूसरा रिश्ता ये है कि बीजेपी और मिजो नेशनल फ्रंट नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस में हैं. जोरमथंगा कह चुके हैं कि कांग्रेस पसंद नहीं है इसलिए वो अलायंस के साथ हैं.
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समय-समय पर बीजेपी को झटका देते रहे हैं जोरमथंगा
दोस्त रहते हुए भी जोरमथंगा ने बीजेपी और मोदी सरकार को हर मौके पर झटका दिया हैं. अगस्त में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया तो एमएनएफ के सांसद लालरोसांगा ने विपक्ष के साथ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट दिया था. बीजेपी के यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ भी जोरमथंगा ने मिजोरम विधानसभा में प्रस्ताव पारित कराया था. मोदी को जिस मामित सीट पर प्रचार करने के लिए आना था वहां से मिजोरम के पूर्व स्पीकर और पूर्व एमएनएफ नेता लालरिनलियाना सैलो बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. सैलो को एमएनएफ ने टिकट नहीं दिया तो वो पार्टी छोड़कर बीजेपी में आ गए.
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मिजोरम में बीजेपी के लिए बहुत कठिन है राह
मिजोरम बीजेपी के लिए कोई बहुत संभावना वाला राज्य नहीं है. लड़ाई सीएम जोरमथंगा की पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट और कांग्रेस के बीच है. इस बार के चुनावी सर्वे में मिजो नेशनल फ्रंट को बड़े नुकसान और कांग्रेस को बड़े फायदे का अनुमान लगाया गया है. बीजेपी ने 2018 के चुनाव में 39 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. सिर्फ एक सीट मिली थी. इस बार बीजेपी ने सिर्फ 23 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं और किसी के साथ अलायंस में भी नहीं है. जेपी नड्डा ने मिजोरम में बीजेपी का घोषणापत्र जारी किया था. महिलाओं को 33 परसेंट सरकारी नौकरी में आरक्षण, असम जैसे राज्यों के साथ सीमा विवाद सुलझाने का वादा किया है.
मिजोरम में इसबार के चुनाव में कांग्रेस को बहुत ज्यादा संभावना दिख रही है. राहुल गांधी ने 2 दिन मिजोरम में रहकर प्रचार करके कांग्रेस के लिए माहौल मजबूत किया. हालांकि चुनावी सर्वे में किसी को बहुमत का अनुमान नहीं है. फिर भी कांग्रेस की सीटें 5 से बढ़कर 15 हो सकती है. एमएनएफ की सीटें 26 से घटकर आधी हो सकती है.
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