नीतीश के साथ आने के बावजूद बिहार में BJP को हो सकता है नुकसान? 40 सीटों के सर्वे में देखिए हाल
सर्वे के मुताबिक आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में एनडीए 32 सीटें जीत सकती है.
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Lok Sabha Election 2024 Survey: जनता दल (यूनाइटेड) सुप्रीमो और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की वापसी के बावजूद, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को बिहार लोकसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है. इस बात के संकेत इंडिया टुडे और सी-वोटर्स के मूड ऑफ द नेशन सर्वे में देखने को मिले हैं. गुरुवार को इस सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं. इस सर्वे के मुताबिक आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में एनडीए 32 सीटें जीत सकती है. कांग्रेस, लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वामपंथी दलों के इंडिया गठबंधन के खाते में 8 सीटें जाती नजर आ रही हैं.
मूड ऑफ द नेशन सर्वे 15 दिसंबर 2023 से 28 जनवरी 2024 के बीच कराया गया है. सभी लोकसभा सीटों पर किए गए इस सर्वे का सैंपल साइज 149092 है.
आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा, जदयू और अविभाजित लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) एक साथ लड़े थे. तब उन्हें 40 में से 39 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16 और एलजेपी ने छह सीटें जीतीं. तब विपक्ष को करारा झटका लगा था. कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट जीती, जबकि राजद को कोई सीट नहीं मिली.
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एनडीए को 2019 के लोकसभा चुनावों में 53 प्रतिशत वोट मिले थे. इस बार के सर्वे के मुताबिक वोट शेयर 52 प्रतिशत होने की संभावना है. विपक्षी गठबंधन को फायदा होता नजर आ रहा है. तब एक सीट से आठ सीट और 2019 के 31 फीसदी वोट की बजाय 38 फीसदी वोट मिलता नजर आ रहा है. इस अनुमान से यह भी साफ लग रहा है कि नीतीश कुमार के हालिया सियासी फैसले से दोनों खेमों पर कोई खास असर पड़ता दिख नहीं रहा.
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नीतीश के आने से NDA की ये एक मुश्किल बढ़ी
इस बार बिहार में एनडीए को सीट बंटवारे की बातचीत के दौरान कई छोटे दलों को समायोजित करना होगा. नीतीश कुमार की जेडीयू 2019 में एनडीए का हिस्सा थी, एलजेपी भी अब एक पार्टी नहीं है. इसके दो गुट हैं – एक का नेतृत्व चिराग पासवान कर रहे हैं और दूसरे का नेतृत्व उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस कर रहे हैं. इसके अलावा, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक जनता दल भी अब बीजेपी के साथ हैं. यह देखना बाकी है कि क्या भाजपा और जदयू अपने इन सहयोगियों को समायोजित करने के लिए बिहार में 2019 की तुलना में कम सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं या नहीं.
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