प्रणीति शिंदे के साथ हो गया बड़ा खेल, मतदान से एक दिन पहले उठाया था बड़ा कदम
सफलता के कई माता-पिता होते हैं, जबकि असफलता अनाथ होती है. महाराष्ट्र में एमवीए की हार के बाद असफलता अनाथ नहीं रही. असफलता के कारण ढूंढे जा रहे हैं. कारण ढूंढने वाले भी एमवीए के लोग हैं और हार के जिम्मेदार भी एमवीए में ही ढूंढे जा रहे हैं. प्रणीति शिंदे पर भी हार की ऐसी ही एक जिम्मेदारी थोपी गई है.
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सफलता के कई माता-पिता होते हैं, जबकि असफलता अनाथ होती है. महाराष्ट्र में एमवीए की हार के बाद असफलता अनाथ नहीं रही. असफलता के कारण ढूंढे जा रहे हैं. कारण ढूंढने वाले भी एमवीए के लोग हैं और हार के जिम्मेदार भी एमवीए में ही ढूंढे जा रहे हैं. प्रणीति शिंदे पर भी हार की ऐसी ही एक जिम्मेदारी थोपी गई है. कुछ न कहते हुए प्रणीति पर ठीकरा फोड़ दिया शिवसेना यूबीटी की प्रियंका चतुर्वेदी ने.
सोलापुर कांग्रेस के दिग्गज नेता सुशील कुमार शिंदे का गढ़ रहा है. शिंदे के रहते सोलापुर में न कोई कांग्रेस से पनप पाया, न विपक्ष से कोई नेता उभर पाया. 2024 का लोकसभा चुनाव सुशील कुमार शिंदे लड़ना नहीं चाह रहे थे. उन्होंने बेटी प्रणीति शिंदे के लिए टिकट मांगा और कांग्रेस हाईकमान ने टिकट दे दिया. प्रणीति शिंदे ने दो चुनावों में कांग्रेस की बैक टू बैक हार के बाद सीट जीतकर डंका पीट दिया.
निर्दलीय धर्मराज कराड़ी को समर्थन दिया
सोलापुर में प्रणीति शिंदे ने कांग्रेस की इतनी मजबूती वापसी कराई कि कोई चांस नहीं दिख रहा था कि विधानसभा में अनहोनी होने का. सोलापुर साउथ सीट पर जब शिवसेना यूबीटी ने दावा ठोंक दिया तो प्रणीति और सुशील शिंदे अड़ गए कि कांग्रेस ही लड़ेगी. पहले कांग्रेस ने शिंदे की बात मान ली. ऐन मौके पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार दिलीप माने को सिंबल नहीं दिया. कांग्रेस बिना लड़े चुनाव से बाहर हो गई. तब भी सुशील शिंदे और प्रणीति शिंदे अड़ रहे कि यूबीटी उम्मीदवार अमर पाटिल का तो समर्थन नहीं करेंगे. उन्होंने चुनाव वाले दिन निर्दलीय धर्मराज कराड़ी को समर्थन दिया. शिंदे की दलील बस इतनी थी कि शिवसेना यूबीटी सोलापुर साउथ में सिर्फ एक बार जीती है तो कैसे दावा कर सकती है.
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सोलापुर में क्या हुआ
सोलापुर में ऐसा पासा पलटा कि यूबीटी वाला उम्मीदवार भी हारा. शिंदे समर्थित निर्दलीय भी हारा. सीट तीसरी बार बीजेपी के सुभाष देशमुख निकाल लिए. शिवसेना यूबीटी ने हार का ठीकरा प्रणीति शिंदे पर फोड़ दिया. प्रियंका चतुर्वेदी ने सीधे कुछ नहीं लिखा. बस इतना याद दिलाया कि सांसद प्रणीति शिंदे समर्थित निर्दलीय की जमानत हो गई. शिवसेना यूबीटी उम्मीदवार की हार हुई. प्रियंका ने एक न्यूज रिपोर्ट अटैच की थी जिसमें सोलापुर में प्रणीति शिंदे की हार जाने की बात थी.
प्रणीति से नाराज थे उद्धव ठाकरे
प्रणीति शिंदे के सोलापुर हठ को लेकर उद्धव ठाकरे नाराज थे. जिस दिन उद्धव ठाकरे प्रचार करने सोलापुर आए थे तब प्रणीति शिंदे रैली में शामिल भी नहीं हुई थीं. सोलापुर में चुनाव के बीच ही शिवसेना यूबीटी ने प्रणीति को विलेन मान लिया था. प्रणीति के पोस्टर पर जूते तक चला दिए थे शिवसैनिकों ने. हो सकता है ये कारण हो या नहीं भी हो लेकिन 5 महीने पहले जिस सोलापुर में प्रणीति शिंदे का जादू चला उसी की विधानसभा सीटें महायुति के पास चली गईं.
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कांग्रेस में प्रणीति शिंदे राहुल गांधी की फेवरेट सांसद मानी जाती हैं. प्रणीति पर बहुत भरोसा किया. स्टार कैंपेनर की तरह उन्होंने सोलापुर से बाहर कोल्हापुर, लातूर में भी प्रचार किया लेकिन कोई असर नहीं हुई. पूरा चुनाव एमवीर के खिलाफ गया. सोलापुर साउथ की जिद को लेकर विलेन बन गईं प्रणीति शिंदे.
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