महाराष्ट्र की सियासत में नया भूचाल! फडणवीस-शिंदे के बीच टकराव तेज, क्या होगा बड़ा उलटफेर?

विजय विद्रोही

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तस्वीर: न्यूज तक.
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महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से उथल-पुथल बढ़ गई है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच तनाव गहराता जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा अभी भी बरकरार है और कहा जा रहा है कि अमित शाह पर्दे के पीछे से उनका सपोर्ट कर रहे हैं. 

इसी बीच फडणवीस ने शिंदे गुट के कई विधायकों और पूर्व सांसदों की सुरक्षा हटाने का फैसला लिया है, जिससे विवाद और बढ़ गया है. इसके अलावा, उद्योग विभाग और अन्य प्रशासनिक मामलों को लेकर भी दोनों नेताओं में खींचतान जारी है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या महाराष्ट्र में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन देखने को मिलेगा? क्या बीजेपी और शिंदे गुट के बीच दरार इतनी गहरी हो गई है कि इसका असर आगामी चुनावों में भी दिखेगा? वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही के खास शो 'विजय फैक्टर' से जानिए महाराष्ट्र  के सियासत में आखिर चल क्या रहा है. जानिए सियासत के अंदर की बात...

विजय विद्रोही के मुताबिक, शिंदे अभी भी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का गुप्त समर्थन भी उन्हें मिल रहा है. दूसरी ओर देवेंद्र फडणवीस अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए शिंदे को लगातार कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. 

सुरक्षा में कटौती से बढ़ा टकराव? 

विजय विद्रोही आगे बताते हैं- फडणवीस के पास गृह मंत्रालय भी है और हाल ही में उन्होंने एकनाथ शिंदे के विधायकों की सुरक्षा में कटौती कर दी है. पहले 44 विधायकों और 12 पूर्व सांसदों को ‘वाई प्लस’ सुरक्षा दी गई थी, लेकिन अब कई नेताओं की सुरक्षा घटा दी गई है. खासतौर पर चुनाव हार चुके नेताओं की सुरक्षा पूरी तरह हटा ली गई है. इसे लेकर शिंदे गुट में असंतोष बढ़ रहा है. 

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उद्योग विभाग को लेकर संघर्ष 

उद्योग मंत्रालय पर भी दोनों नेताओं के बीच खींचतान जारी है. हाल ही में उद्योग मंत्री उदय सामंत ने एक समीक्षा बैठक बुलाई, जबकि कुछ समय पहले मुख्यमंत्री फडणवीस भी इसी विभाग की समीक्षा बैठक ले चुके थे. प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह सीधा शक्ति प्रदर्शन का मामला है, जहां शिंदे अपने फैसलों को प्रभावी बनाना चाहते हैं. 

महाकुंभ बैठक में शिंदे की गैरमौजूदगी 

नासिक में 2027 में होने वाले महाकुंभ को लेकर हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में एकनाथ शिंदे शामिल नहीं हुए, जिससे उनके और फडणवीस के बीच मतभेद और गहरा गए. 

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एमएसआरडीसी अध्यक्ष पद विवाद 

एमएसआरडीसी (महाराष्ट्र स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) का चेयरमैन एक नौकरशाह को बनाए जाने से शिंदे गुट नाराज है, क्योंकि उनके ट्रांसपोर्ट मंत्री प्रताप सरनाईक इस पद पर नजर गड़ाए हुए थे.

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बीजेपी नेताओं की दखल 

बीजेपी नेता गणेश नाईक द्वारा शिंदे के ट्रस्ट से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप करने की घटना को भी अपमानजनक माना जा रहा है. 

शिंदे की चेतावनी और बीजेपी की सफाई 

14 फरवरी को एकनाथ शिंदे ने खुद को एक साधारण कार्यकर्ता बताया, लेकिन साथ ही कहा कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. अगले ही दिन बीजेपी ने सफाई देते हुए कहा कि शिंदे का बयान उद्धव ठाकरे की शिवसेना के लिए था. इससे स्पष्ट है कि बीजेपी भी शिंदे के तेवरों को लेकर सतर्क हो गई है. 

राजनीतिक रस्साकशी का जनता पर असर 

पूर्व नौकरशाहों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह लगातार बढ़ता टकराव महाराष्ट्र की जनता के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. प्रशासनिक फैसले धीमे पड़ रहे हैं और विकास कार्यों पर भी असर पड़ रहा है. आने वाले विधानसभा चुनावों में यह संघर्ष महायुति गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है. 

महाराष्ट्र की राजनीति में यह शक्ति संघर्ष कब और कैसे समाप्त होगा, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन इतना तय है कि इस सियासी लड़ाई का प्रभाव जनता और राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर पड़ता रहेगा.

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