साप्ताहिक सभा: राहुल गांधी का अपनी ही पार्टी पर हमला, कांग्रेस में अंदरूनी कलह की कहानी
राहुल गांधी ने हाल ही में गुजरात में बयान दिया कि कांग्रेस के कुछ नेता बीजेपी से मिले हुए हैं और उन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए. आखिर राहुल गांधी अपनी ही पार्टी के खिलाफ क्यों बयान दे रहे हैं? इस पर पढ़िए ये खास बातचीत.
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लोकसभा चुनाव में मिली 99 सीटों की जीत से कांग्रेस में एक नई ऊर्जा आई थी, लेकिन बीते विधानसभा चुनावों में लगातार हार ने इस जोश को ठंडा कर दिया. राहुल गांधी ने हाल ही में गुजरात में बयान दिया कि कांग्रेस के कुछ नेता बीजेपी से मिले हुए हैं और उन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए.
आखिर राहुल गांधी अपनी ही पार्टी के खिलाफ क्यों बयान दे रहे हैं? कांग्रेस के भीतर सत्ता का असली संतुलन क्या है? इन्हीं सब पर TAK चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने कई सवाल किए, जिस पर वरिष्ठ पत्रकार आदेश रावल ने जवाब दिए. देखिए इस चर्चा के अंश.
मिलिंद खांडेकर: आदेश, राहुल गांधी ने हाल ही में कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता बीजेपी से मिले हुए हैं और उन्हें बाहर निकाल देना चाहिए. लेकिन अगर ऐसा है तो फिर उन्हें बाहर करने से कौन रोक रहा है?
आदेश रावल: मिलिंद जी, यह राहुल गांधी की पुरानी रणनीति रही है कि वे कार्यकर्ताओं को साधने के लिए बड़े नेताओं पर निशाना साधते हैं. वे बार-बार कहते हैं कि कांग्रेस के असली "बब्बर शेर" कार्यकर्ता हैं, जबकि कुछ बड़े नेता "बारात के घोड़े" बन गए हैं. लेकिन हकीकत यह है कि राहुल गांधी खुद कांग्रेस चला रहे हैं, फिर भी आज तक उन्होंने किसी बड़े नेता के खिलाफ सीधा एक्शन नहीं लिया.
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सवाल : तो क्या इसका मतलब यह है कि कांग्रेस दो हिस्सों में बंटी हुई है – एक "सोनिया गांधी की कांग्रेस" और दूसरी "राहुल गांधी की कांग्रेस"?
जवाब : बिल्कुल! कांग्रेस में अब भी एक लॉबी है जो सोनिया गांधी के समय से चली आ रही है, जिसमें यूपीए सरकार के पुराने मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता शामिल हैं. दूसरी ओर, राहुल गांधी की कांग्रेस है, जो नई लीडरशिप तैयार करने की कोशिश कर रही है. एआईसीसी स्तर पर राहुल गांधी के लोग आ चुके हैं, लेकिन राज्यों में अब भी पुरानी लॉबी हावी है.
सवाल : लेकिन राहुल गांधी की इस नई कांग्रेस के पास 2027 के गुजरात चुनाव में जीतने का क्या कोई खास प्लान है?
जवाब : राहुल गांधी का मानना है कि बीजेपी के गुजरात मॉडल को पहले पंक्चर करना होगा. लेकिन कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आम आदमी पार्टी ने उसके वोट बैंक में सेंध लगा दी है. 2017 में कांग्रेस सरकार बनाने के करीब थी, लेकिन अब हालात अलग हैं. फिलहाल, गुजरात कांग्रेस की लीडरशिप कमजोर दिख रही है और राहुल गांधी को इसे पुनर्जीवित करने की जरूरत होगी.
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सवाल : अब अगर बिहार की बात करें तो कांग्रेस वहाँ कन्हैया कुमार को आगे कर रही है. क्या कांग्रेस उनके भरोसे चुनाव लड़ने जा रही है?
जवाब : कन्हैया कुमार को लेकर कांग्रेस की रणनीति अभी तक स्पष्ट नहीं है. पार्टी चाहती है कि वे बिहार में भूमिहार वोटों को साधें, लेकिन खुद कन्हैया को भी तय नहीं कि वे बिहार की राजनीति करना चाहते हैं या दिल्ली की. कांग्रेस इस यात्रा के जरिए सिर्फ अपनी बारगेनिंग पावर बढ़ा रही है, ताकि आरजेडी से ज्यादा सीटें हासिल कर सके.
सवाल : तो अब राहुल गांधी की अगले एक साल की रणनीति क्या होगी?
जवाब : कांग्रेस ने अगले एक साल तक संगठन पर काम करने का फैसला किया है. राहुल गांधी चाहते हैं कि जमीनी स्तर पर बूथ कमिटियां और ब्लॉक लेवल संगठन मजबूत हों. साथ ही, इलेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम को भी सुधारने पर काम किया जा रहा है. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यही है कि क्या कांग्रेस इस नई रणनीति को सही से लागू कर पाएगी?
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