रेवंत रेड्डी के नए पैंतरे से BRS में आधी रात मची भगदड़, कांग्रेस में शामिल हुए 6 MLC, जानिए क्यों?

रूपक प्रियदर्शी

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Telangana CM Revanth Reddy: गुरुवार यानी बीते दिन रेवंत रेड्डी दिल्ली में थे. केंद्र स्तर पर तेलंगाना की अटकी सरकारी फाइलें क्लियर कराने के लिए वे प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से मिले. रात में हैदराबाद लौटे तो भारत राष्ट्र समिति(BRS) के चीफ केसीआर की नींद हराम हो गई. केसीआर की पार्टी में बीती रात काली रही. एक झटके में केसीआर की पार्टी के 6 MLC ने रातों रात पार्टी बदल ली. रात एक बजे जब सो रहे थे तब रेवंत रेड्डी और तेलंगाना कांग्रेस की प्रभारी महासचिव दीपा दास मुंशी ने कांग्रेस का पटका पहनाकर BRS के 6 MLC को पार्टी ज्वाइन करा दी. 

वैसे तेलंगाना में BRS का टूटना रोज की बात हो गई है. पिछले साल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद BRS रोज थोड़ा-थोड़ा टूट रही है. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद तो डूबता जहाज मानकर एक-एक करके MLA-MLC पार्टी छोड़ रहे हैं. मेयर तक ने साथ छोड़ दिया. सांसद केशव राव की बेटी और हैदराबाद की मेयर विजयालक्ष्मी भी पापा के साथ कांग्रेस में आ चुकी है. 

तेलंगाना में हाल के दिनों में गजब का चला है अंदर-बाहर का खेल 

अब तक विधानसभा के 6 विधायक और विधान परिषद के 6 MLC BRS छोडकर कांग्रेस में आ चुके हैं. बीती रात दांडे विट्ठल, भानु प्रसाद राव, एम एस प्रभाकर, बी दयानंद, मल्लेशम और बसवाराजू सरैया कांग्रेस में आ गए. MLA-MLC रहते हुए पार्टी बदला नहीं जा सकता. दल-बदल कानून से सदस्यता जाने का खतरा रहता है. अभी पटका पहनाने वाली ज्वाइनिंग हुई है. कागज पर ज्वाइनिंग और पार्टी की अदला-बदली आगे होती रहेगी. BRS की भगदड़ से रेवंत रेड्डी की सरकार लगातार मजबूत हो रही है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार मामूली बहुमत से बनी थी. जरूरी 60 के बहुमत के मुकाबले कांग्रेस को 64 सीटें मिली थी. सिकंदराबाद कैंटोनमेंट सीट पर उपचुनाव जीतने से नंबर हो गया 65. 6 MLA के समर्थन से कांग्रेस का बहुमत अब 71 तक पहुंच चुका है. 

40 सदस्यों की तेलंगाना विधान परिषद में BRS अभी भी सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन लगातार सिकुड़ रही है. बीआरएस के 39, कांग्रेस के 4, AIMIM के 2, बीजेपी-निर्दलीय का एक-एक MLC, 4 मनोनीत सदस्य हैं. 2 सीट खाली है, नई परिस्थिति में बीआरएस के MLC रह गए हैं 19. कांग्रेस के 4 MLC बढ़कर 10 हो चुके हैं. 

रेवंत रेड्डी की वजह से केसीआर की हालत हो रही खराब 

हालांकि विधान परिषद में नंबर से सरकार की सेहत पर बहुत ज्यादा असर नहीं पडता. बस जितने नंबर बढ़ते हैं उसको खुशी होती है. जिसके हाथ से MLC निकलता है उसका माहौल खराब होता है. थैंक्स टू रेवंत रेड्डी केसीआर का माहौल संसद, विधानसभा, विधान परिषद सब जगह खराब चल रहा है. तेलंगाना की इस उठापटक के लिए सुनना पड़ रहा है राहुल गांधी को. केसीआर के बेटे के टी रामाराव ने राहुल गांधी को उलाहना दे रहे हैं कि क्या ऐसे बचेगा संविधान? क्या यही है न्याय पत्र.

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इससे पहले दिल्ली में होते हुए रेवंत रेड्डी ने राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलवाकर केशव राव की ज्वाइनिंग कराई थी. केशव राव राज्यसभा सांसद थे. केसीआर के राइड हैंड बीआरएस के दिग्गज नेता रहे. पुराने कांग्रेसी को दोबारा पार्टी में लेने में कोई हिचक नहीं हुई. पार्टी बदलने के बाद केशव राव ने राज्यसभा सांसद की सदस्यता कार्यकाल पूरा होने से करीब 2 साल पहले छोड़ दी थी. 

विधानसभा चुनाव से तो नहीं लेकिन लोकसभा चुनाव से बीजेपी भी तेलंगाना में असरदार दिखने लगी है. जो जगह BRS की होती थी वहां बीजेपी आ गई. फिर भी BRS छोड़ने वाले बीजेपी में भविष्य नहीं देख रहे हैं. साल भर में रेवंत रेड्डी की कांग्रेस ही सिर्फ और सिर्फ विकल्प वाली पार्टी बन गई है. 

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