'खनिजों पर टैक्स लगा सकती है राज्य सरकारें', SC की संवैधानिक बेंच ने 8:1 के बहुमत से सुनाया फैसला

अभिषेक

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Royalty on Minerals: देश की सर्वोच्च अदालत ने आज एक अहम फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में अपने पहले के आदेश को रद्द कर दिया. इसके साथ ही खनन और खनिज-उपयोग गतिविधियों पर रॉयल्टी लगाने के राज्यों के अधिकारों को बरकरार रखा. यह फैसला SC की 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने 8:1 के बहुमत से सुनाया. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने अपने फैसले में एक महत्वपूर्ण बात ये कही कि 'रॉयल्टी' को 'टैक्स' नहीं माना जा सकता है. बेंच में बहुमत की राय यह है रही कि रॉयल्टी टैक्स की प्रकृति के अंतर्गत नहीं आती है.

SC ने 1989 के अपने ही फैसले को पलटा

सुप्रीम कोर्ट आज खनिजों के रॉयल्टी से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुनवाई कर रहा था. इसमें मामला यह था कि क्या खनिजों पर मिलने वाली रॉयल्टी एक टैक्स है? और क्या केंद्र सरकार ही इस टैक्स को लगा सकती है? या राज्य सरकारों को भी अपने क्षेत्र में खनिज भूमि पर लेवी लगाने का हक है? इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने 1989 में फैसला दिया था कि, खनिजों पर रॉयल्टी एक टैक्स है.' आज के फैसले में CJI ने कहा कि संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के तहत संसद को खनिज अधिकारों पर कर लगाने का अधिकार नहीं है. यानी की कोर्ट ने अपने ही पुराने फैसले को पलट दिया. 

कई राज्यों को होगा फायदा

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि हम मानते हैं कि रॉयल्टी और ऋण किराया दोनों ही टैक्स के तत्वों को पूरा नहीं करते हैं. रॉयल्टी को टैक्स के रूप में रखने वाला इंडिया सीमेंट्स का फैसला गलत है. MMDR अधिनियम में खनिजों पर टैक्स लगाने के लिए राज्य की शक्तियों पर सीमा लगाने का कोई प्रावधान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से खनिज समृद्ध राज्यों की बड़ी जीत हुई है. सर्वोच्च अदालत के 9 जजों की पीठ ने फैसला सुनाया कि राज्यों के पास खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की क्षमता और शक्ति है. इससे ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान को काफी लाभ होगा. 

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फैसले पर असहमत जस्टिस नागरत्ना ने क्या कहा?

9 जजों की बेंच में शामिल जस्टिस नागरत्ना ने इस फैसले पर असहमति जताई. उन्होंने कहा, 'मेरा मानना ​​है कि रॉयल्टी टैक्स की प्रकृति में आती है. राज्यों के पास खनिज अधिकारों पर किसी तरह का टैक्स या शुल्क लगाने की कोई विधायी क्षमता नहीं है. मैं मानती हूं कि इंडिया सीमेंट्स का फैसला सही तरीके से लिया गया था.' 

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