PoK की 24 रिजर्व सीटों की कहानी क्या है जिसका जिक्र गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में किया?
पीओके के लिए जिन 24 रिजर्व सीटों की चर्चा हो रही है, उन्हें 1956 से ही रिजर्व रखा जा रहा है. असल में जम्मू-कश्मीर का संविधान 1956 में अपनाया गया था. उसी वक्त पीओके के लिए 24 सीटें रिजर्व रखने का प्रावधान किया गया था
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Jammu & Kashmir: बुधवार को लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक पास किया गया. इस विधेयक पर बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) की 24 रिजर्व सीटों की भी बात की. गृहमंत्री शाह ने कहा कि पीओके हमारा है इसलिए हमने यहां की 24 सीटें जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के लिए रिजर्व की हैं. अमित शाह के इस बयान की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. क्या PoK के लिए पहली बार सीटें रिजर्व की गई हैं? क्या है ये जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक? आइए इसे समझते हैं.
गृहमंत्री अमित शाह ने Jammu and Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill, 2023 को लेकर बोलते हुए सदन में जम्मू और कश्मीर की विधानसभा की सीटों के आकड़े पेश किए।#AmitShah #JammuAndKashmir #LokSabha | @AmitShah pic.twitter.com/O4cdTls4cF
— News Tak (@newstakofficial) December 6, 2023
1956 से ही रिजर्व रखी जाती हैं 24 सीटें
पीओके के लिए जिन 24 रिजर्व सीटों की चर्चा हो रही है, उन्हें 1956 से ही रिजर्व रखा जा रहा है. असल में जम्मू-कश्मीर का संविधान 1956 में अपनाया गया था. उसी वक्त पीओके के लिए 24 सीटें रिजर्व रखने का प्रावधान किया गया था. अगस्त 2019 में जब जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर यहां के संविधान को समाप्त किया गया, तो भी यह व्यवस्था जारी रखी गई.
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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के खंड 14 में इसे देखा जा सकता है. इस खंड की उपधारा 3 में लिखा गया कि, ‘जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र की विधान सभा में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए व्यक्तियों द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या एक सौ सात होगी.’ उपधारा 4 में लिखा गया कि, ‘उपधारा 3 में किसी बात के होते हुए भी, जबतक की जम्मू कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के पाकिस्तान दखल वाले क्षेत्र का दखल में नहीं दिया जाता है और उस क्षेत्र में रहने वाले लोग अपने प्रतिनिधियों को नहीं चुन लेते हैं, तबतक-‘ उपधारा 3(क) के मुताबिक जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र की विधानसभा में चौबीस स्थान रिक्त रहेंगे और सभा की कुल सदस्यता की गणना में उन्हें हिसाब में नहीं लिया जाएगा.
यानी मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेकर जब उसे केंद्रशासित प्रदेश बना रही थी, तब पीओके की सीट रिजर्व करने की व्यवस्था जस की तस उठाई गई, जैसा पिछले संविधान में थी.
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फिर जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक क्या है?
मोदी सरकार ने बुधवार को लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक पास कराया है. जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 असल में जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है. यह अधिनियम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण देता है.
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वहीं जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है. लोकसभा में बोलते हुए कहा अमित शाह ने कहा हैं कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहले जो 107 सीटें थीं, अब 114 हुई हैं. इसमें जम्मू का रिप्रेजेंटेशन बढ़ाया गया है. पहले जम्मू की 37 सीटें थीं, इसे बढ़ाकर 43 किया गया है. इसके अलावा कश्मीर की 46 सीटों को बढ़ाकर 47 किया गया है. पीओके के लिए 24 सीटें पहले की तरह रिजर्व हैं. इन तीनों को जोड़ने पर कुल सीटों की संख्या 114 हो जाती है.
इसमें अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें भी आरक्षित करने की व्यवस्था है. यह आरक्षण जम्मू-कश्मीर में पहली बार दिया गया है. जम्मू-कश्मीर से हिंसा की वजह से माइग्रेट किए प्रवासी समुदाय के दो सदस्यों को भी उपराज्यपाल विधानसभा में नामांकित कर सकते हैं. प्रवासी उन्हें माना जाएगा जो कश्मीर घाटी या जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से से एक नवंबर 1989 के बाद माइग्रेट हुए और जिनका रजिस्ट्रेशन रिलीफ कमिश्नर के साथ हो रखा है.
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