क्या सुनक की चली जाएगी कुर्सी और 14 साल बाद होगी लेबर पार्टी की सत्ता में वापसी! भारत पर क्या होगा असर? समझिए

अभिषेक

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UK Election: ब्रिटेन के आम चुनाव में आज मतदान हो रहे है. इस बार के चुनाव में 14 साल से सत्ता में काबिज कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. कयास तो ये भी लगाए जा रहे है कि, लेबर पार्टी इस बार सत्ता में वापसी कर सकती है. चुनाव से पहले हुए कई सर्वेक्षणों का अनुमान है कि, 650 सीटों वाले सदन में से लेबर पार्टी रिकॉर्ड 418 सीटों से अधिक सीटें जीत सकती है. अगर ऐसा होता है तो यह जीत साल 1997 के टोनी ब्लेयर की जीत से भी बड़ी होगी. आपको बता दें कि, टोनी ब्लेयर ने 1997 में 18 साल के कंजर्वेटिव शासन को समाप्त कर लेबर पार्टी की सत्ता में वापसी कराई थी. अगर ब्रिटेन में सरकार बदलती है तो उसका इंडिया पर क्या होगा असर आइए समझते है.  

2024 के चुनाव में ब्रिटेन में मुख्य राजनीतिक दल प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी, कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी, एड डेवी के नेतृत्व वाली लिबरल डेमोक्रेट, निगेल फराज के नेतृत्व वाली रिफॉर्म यूके और जॉन स्विनी के नेतृत्व वाली स्कॉटिश नेशनल पार्टी (SNP) शामिल हैं.

पहले जानिए चुनाव होता कैसे होता है?

यूनाइटेड किंगडम में भी भारत की तरह फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट चुनावी प्रणाली के तहत चुनाव होता है. मतदाता 650 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते है. जिस पार्टी को बहुमत यानी आधे से अधिक यानी 326 सीटें जीत जाएगी वह सरकार बनाएगी और उसका नेता प्रधानमंत्री बनेगा. यदि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है, तो उस सतही में मौजूदा प्रधानमंत्री को गठबंधन बनाकर सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है. अगर वो इसमें सफल नहीं रहता है तब दूसरे पक्ष को ये मौका मिलता है. 

इंडिया-यूके FTA पर क्या होगा इसका असर 

चुनाव में अगर लेबर पार्टी की जीत होती है तो सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है इंडिया-यूके FTA को लेकर. क्या होगा इसका? लागू हो भी पाएगा या नहीं? इसी पर सबकी नजरें टिकी हुई है. नई दिल्ली और लंदन दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए दो साल से अधिक समय से प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत कर रहे है. इस समझौते के परिणामस्वरूप कार, कपड़े, मादक पेय और चिकित्सा उपकरणों जैसी कई वस्तुओं पर आपसी टैरिफ में छूट मिल सकती है. हालांकि ब्रिटेन के चुनावों में लेबर पार्टी की जीत से FTA के लिए चल रही बात चीत में बदलाव आ सकता है. वैसे एक बात ये भी है कि, स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी ने भारत के साथ FTA पर हस्ताक्षर करने में टोरीज यानी कंजर्वेटिव पार्टी की देरी के संबंध में भी सवाल उठाए है. कुल मिलाकर सरकार बनने के बाद ही ये पता चल पाएगा की इसका क्या होना है. 

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जलवायु परिवर्तन पर घिर सकता है भारत 

यूके में लेबर पार्टी की सरकार बनने से भारत को पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर कड़ी बातचीत का सामना करना पड़ सकता है. इसके पीछे की वजह ये है कि, स्टार्मर ने यूके के 2030 नेट जीरो लक्ष्यों से भटकने को लेकर टोरीज को बार-बार घेरा है. वहीं दूसरी तरफ भारत ने कार्बन टैक्स पर छूट की मांग की है. लेबर सरकार बनने के बाद जलवायु के मुद्दे यूरोपीय संघ की तर्ज पर लागू करने की उम्मीद है. यानी नई दिल्ली को कार्बन कंट्रोल के नारे के बीच FTA के दौरान सहमत टैरिफ रियायतों में से अधिकांश पर नुकसान झेलना पड़ सकता है. 

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