खुद को खालिस्तानी भिंड़रावाले का समर्थक बताने वाला अमृतपाल भी लड़ेगा चुनाव! क्या है इसकी कहानी?

अभिषेक गुप्ता

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Amritpal Singh: खालिस्तानी संगठन 'वारिस पंजाब दे‘ के प्रमुख अमृतपाल सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. अमृतपाल सिंह ने पंजाब के खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इस बात की पुष्टि उनके माता-पिता ने की है. वैसे आपको बता दें कि, अमृतपाल सिंह अप्रैल 2023 से ही असम की जेल में बंद है. उसपर राष्ट्रीय सुरक्षा एक्ट (NSA) लगा हुआ है. बता दें कि, वह खुद को खालिस्तान समर्थक आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का समर्थक बताता है और पंजाब के गुरुद्वारों और सोशल मीडिया पर खालिस्तान के समर्थन में भाषण देता था. आइए आपको बताते हैं कौन है अमृतपाल सिंह और क्या जेल में रहते हुए चुनाव लड़ना संभव है?

पहले जानिए कौन है अमृतपाल सिंह?

अमृतपाल सिंह का जन्म 17 जनवरी 1993 में पंजाब के अमृतसर जिले के जल्लूपुर खेड़ा में हुआ था. अमृतपाल साल 2012 में अपने परिवार के ट्रांसपोर्ट बिजनेस में शामिल होने के लिए दुबई चला गया था. तब अमृतपाल सिंह 19 साल का था. फिर वह साल 2022 में भारत वापस लौटा. भारत लौटने के करीब एक साल बाद फरवरी 2023 में अमृतपाल सिंह सुर्खियों में आया था. दरअसल उसने अजनाला पुलिस स्टेशन में अपने करीबी लवप्रीत सिंह को छुड़ाने के लिए समर्थकों के साथ हमला बोल दिया था जिसमें 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. 

हालांकि बाद में लवप्रीत सिंह की रिहाई हो गई लेकिन पुलिस स्टेशन पर धावा बोलने के मामले में अमृतपाल सिंह एक महीने से अधिक समय तक गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहा लेकिन 23 अप्रैल को पंजाब के मोगा जिले के एक गुरुद्वारे से गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद से वो असम के डिब्रूगढ़ की जेल में बंद है. उसपर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम(NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया था और उसके खिलाफ हत्या के प्रयास, अपहरण और जबरन वसूली के आरोप है. 

अमृतपाल सिंह खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे‘ का प्रमुख है. बता दें कि, इसकी स्थापना दीप सिद्धू ने की थी जिसकी रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी. 'वारिस पंजाब दे‘ संगठन का कहना है कि, वह पंजाब के युवाओं को 'सिख धर्म के सिद्धांतों का पालन करने' और 'खालसा राज की स्थापना' करने में मदद करने के लिए काम करता है. 

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अब जानिए जेल में बंद लोगों के चुनाव लड़ने को लेकर क्या है नियम? 

देश में चुनाव प्रक्रिया के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत विस्तृत नियम बनाए गए है. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम उन लोगों को संसद और राज्य विधानमंडलों की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर देता है जिन्हें किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो और दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा दी गई हो. हालांकि यह एक्ट विचाराधीन कैदियों को चुनाव लड़ने से नहीं रोकता है. बता दें कि, अमृतपाल सिंह को अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है. इसलिए वह लोकसभा चुनाव लड़ सकता है. 

खडूर साहिब सीट का क्या है इतिहास?

खडूर साहब सिखों के लिए बड़ा महत्व रखता है. यहां आठ सिख गुरुओं ने दौरा किया हुआ है. इस लोकसभा सीट पर शिरोमणि अकाली दल (बादल) साल 1992 से ही लगातार जीत रही है लेकिन पार्टी को 2019 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. 2019 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जसबीर सिंह डिंपा ने यहां से जीत हासिल की थी. इस बार शिअद (बादल) ने यहां से पूर्व विधायक विरसा सिंह वल्टोगा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक कुलबीर सिंह जीरा को मैदान में उतारा है. अगर अमृतपाल सिंह यहां से चुनाव लड़ता है तो दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. 
 

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