गुना से पिछला चुनाव हार गए थे सिंधिया पर फिर उतरे हैं मैदान में! इस सीट का पूरा गणित समझिए
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट में अब तक 19 बार चुनाव हुआ है. इस सीट पर 14 बार सिंधिया परिवार ने जीत दर्ज की है.
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Guna Lok Sabha Seat: देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा हैं. जैसे- जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है चुनावी सरगर्मी भी तेज होती जा रही है. 7 मई को तीसरे चरण का चुनाव होना है. वैसे तो इस चरण में 11 राज्यों की 94 सीटों पर चुनाव होगा लेकिन मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट पर सबकी नजरें टिकी हुई है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से एकबार फिर से चुनावी मैदान में हैं हालांकि इस बार उनकी पार्टी बदल गई है. पिछली बार सिंधिया कांग्रेस पार्टी की ओर से मैदान में थे लिकन इस बार वो बीजेपी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं. सिंधिया का मुकाबला यहां कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह यादव से है जो सिंधिया परिवार के धुर विरोधी माने जाते हैं. दिलचस्प बात ये है कि, यादवेंद्र के पिता राव देशराज, ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पिता माधवराव सिंधिया के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं. यादवेंद्र के चुनाव लड़ने से गुना लोकसभा सीट की लड़ाई रोचक हो गई है. आइए हम आपको बताते हैं गुना- शिवपुरी लोकसभा सीट का क्या है सियासी समीकरण.
सिंधिया परिवार का गढ़ है गुना
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट में अब तक 19 बार चुनाव हुआ है. इस सीट पर 14 बार सिंधिया परिवार ने जीत दर्ज की है. गुना से 6 बार विजय राजे सिंधिया, 4 बार माधव राव सिंधिया और 4 बार ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव जीत चुके हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया इससे पहले पांच बार कांग्रेस के टिकट पर गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके है जिनमें से चार बार उन्हें जीत मिली. सिंधिया को पहली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को कुल वोट के 41.89 फीसदी जो करीब 4 लाख 88 हजार वोट मिले थे वहीं उनके विरोधी केपी यादव को 52 फीसदी जो 6 लाख 14 हजार वोट मिले थे. इस हार के कुछ समय बाद ही सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. इस बार सिंधिया बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.
अब गुना लोकसभा सीट का समीकरण समझिए
चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक गुना लोकसभा क्षेत्र में 18.83 लाख मतदाता है. इस लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा की सीटें है. इनमें गुना, बमोरी, शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, चंदेरी, मुंगावली और अशोकनगर विधानसभा शामिल है. इनमें से तीन में कांग्रेस और पांच सीटों पर भाजपा के विधायक है. अगर गुना लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें तो तकरीबन तीन लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता है. अनुसूचित जनजाति के 2 लाख 31 हजार मतदाता और 2 लाख से अधिक यादव वोटर्स है. इसके साथ ही 70 हजार से अधिक मुस्लिम मतदाता है. बता दें कि यादव बहुल 5 में 4 सीटें भाजपा के कब्जे में है. जातिगत समीकरण को देखते हुए कांग्रेस ने यादवेंद्र सिंह यादव को चुनावी मौदान में उतारा है.
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ज्योतिरादित्य सिंधिया की सियासी पारी भी जान लीजिए
गुना के सांसद माधवराव सिंधिया के आकासमिक निधन होने के बाद ज्योतिरादित्य संधिया 2002 में हुए उपचुनाव में यहां से पहली बार सांसद बने थे. इस उपचुनाव में ज्योतिरादित्य ने राव देशराज सिंह यादव को 4 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. इस सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया और हरिवल्लभ शुक्ला जैसे दिग्गज को शिकस्त दे चुके हैं. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया बीजेपी नेता डॉ केपी यादव से हार गए थे. इसी के बाद संधिया ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का हाथ थाम लिया था. फिर बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा में भेज दिया और बाद में उन्हें नागरिग उड्डयन मंत्री बना दिया. वैसे आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के यूपीए सरकार में भी केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं.
इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.
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