PM at CJI Chandrachud's house: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते दिन CJI डीवाई चंद्रचूड़ के घर गए थे. PM के CJI के घर जाने की खूब चर्चा है. सोशल मीडिया पर पक्ष विपक्ष में जमकर बयानबाजियां देखने को मिल रही है. विपक्ष के नेता के साथ सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील इसकी निंदा कर रहे है. शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राऊत ने तो इसे लेकर CJI चंद्रचूड़ पर महाराष्ट्र के विधायकों के अयोग्यता वाले मामले को लेकर तीखा वर किया है. वैसे आपको बता दें कि, PM मोदी CJI के घर गणेश पूजा के लिए लिए गए थे जिसके बाद से ये बवाल छिड़ा हुआ है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला.
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PM ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की फोटो
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि, CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर गणेश पूजा में शामिल हुआ. भगवान श्री गणेश हम सभी को खुशी, समृद्धि और अद्भुत स्वास्थ्य प्रदान करें. साथ ही उन्होंने CJI के आवास पर पूजा में शामिल होने की एक तस्वीर भी पोस्ट की. पीएम मोदी ने CJI और उनके परिवार के साथ गणेश पूजा की. CJI डीवाई चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास ने अपने घर में पीएम मोदी का स्वागत किया. प्रधानमंत्री ने CJI के आवास पर आयोजित समारोह में शामिल होने के लिए पारंपरिक महाराष्ट्रीयन पोशाक पहनी थी.
संजय राऊत ने समझा दी क्रोनोलॉजी
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने पोस्ट किया कि भैया, क्रोनोलॉजी समझिए. महाराष्ट्र में असंवैधानिक सरकार ऐसे ही चलती रहेगी. हे न्याय के देवता... क्या आप यह देख रहे हैं? सर्वोच्च न्यायालय में जस्टिस चंद्रचूड़ के शीर्ष पर होने के बावजूद पिछले 3 वर्षों से महाराष्ट्र में असंवैधानिक सरकार है. मुख्य न्यायाधीश ने स्वयं कहा था कि महाराष्ट्र सरकार असंवैधानिक है, इसके बावजूद वह इस मामले के बारे में निर्णय नहीं ले रहे हैं, वह अब सेवानिवृत्त होने वाले हैं. कल पीएम उनके घर गए थे, क्या सरकार बचाने के लिए कुछ हो रहा है? जिस तरह से शिवसेना और NCP को निशाना बनाया गया, उसी तरह अब लोगों को शक हो रहा है कि क्या ऐसा करने के लिए चीफ जस्टिस की मदद ली जा रही है?
प्रशांत भूषण ने पढ़ाया आचार संहिता का पाठ
PM ये CJI के घर जाने के वीडियो पर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता का कोट शेयर किया. उन्होंने लिखा, 'एक न्यायाधीश को अपने कार्यालय की गरिमा के अनुरूप कुछ हद तक अलगाव का व्यवहार करना चाहिए. उसके द्वारा ऐसा कोई कार्य या चूक नहीं होनी चाहिए जो उसके उच्च पद और उस पद के सार्वजनिक सम्मान के लिए अशोभनीय हो. इसका मतलब ये है कि, न्यायाधीशों को अपने पद पर बने रहने के बीच वादी-प्रतिवादियों से दूरी बनकर कर रहनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार से संबंधित सैकड़ों मामले लंबित है इस बीच PM का चीफ जस्टिस से मिलना न्यायिक आचार संहिता का उल्लंघन है.
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