'जब सभी रास्ते हो गए थे बंद तब 'भारत जोड़ो यात्रा' की शुरुआत की', अमेरिका में राहुल गांधी ने बताई पूरी कहानी 

अभिषेक

09 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 9 2024 8:55 AM)

Rahul Gandhi in USA: राहुल गांधी ने बताया कि जब संवाद के सभी रास्ते बंद हो गए, तो यह समझ में नहीं आ रहा था कि जनता तक कैसे पहुंचा जाए. तब अचानक उन्हें यह विचार आया कि अगर मीडिया और संस्थाएं जनता से जुड़ने का माध्यम नहीं बन पा रही हैं, तो सीधे जनता के पास जाना होगा.

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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राहुल गांधी USA की यात्रा पर हैं.

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बीते दिन उन्होंने टेक्सास यूनिवर्सिटी के छात्रों से बातचीत की.

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इस दौरान उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कई खुलासे किए.

Rahul Gandhi in USA: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अमेरिका की यात्रा पर हैं. इस के तहत वो बीते दिन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास पहुंचे जहां के छात्रों से उन्होंने चर्चा की. छात्रों से चर्चा के दौरान उन्होंने भारतीय राजनीति, इकोनॉमी, चुनाव और अपनी भारत जोड़ो यात्रा को लेकर बातचीत की. कांग्रेस सांसद बताया की इस यात्रा से कैसे वे जनता के बीच पहुंचे और उनके असल मुद्दों से रूबरू होने का मौका मिला. उन्होंने कहा कि, भारतीय राजनीति में नफरत का माहौल है. लेकिन इस यात्रा से मोहब्बत और भाईचारे की राजनीति की शुरुआत हुई. आइए आपको बताते हैं राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा को लेकर और क्या-क्या कहा?

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जनता से संवाद के सभी रास्ते बंद कर दिए गए थे तब शुरू की यात्रा: राहुल गांधी 

अमेरिका में छात्रों से बात करते हुए राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा पर विस्तार से बातचीत की. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बताया कि इस यात्रा की शुरुआत कैसे और किस परिस्थिति में हुई. उन्होंने बताया कि, जब देश में संवाद के सभी रास्ते बंद हो गए थे तब इस यात्रा की शुरुआत की गई. उन्होंने कहा, 'सबसे पहला सवाल तो यह है कि मैंने चार हजार किलोमीटर की यात्रा क्यों की? इसकी जरूरत ही क्यों पड़ी? उन्होंने बताया कि, भारत में जनता से संवाद के सभी रास्ते बंद कर दिए गए थे. हमने संसद में बोलने की कोशिश की, लेकिन उसे प्रसारित नहीं किया गया. हमने मीडिया से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं उठाई. हमने कानूनी संस्थाओं में भी दस्तावेज प्रस्तुत किए, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला.'

राहुल गांधी ने बताया कि जब हर जगह से रास्ते बंद हो गए, तो यह समझ में नहीं आ रहा था कि जनता तक कैसे पहुंचा जाए. तब अचानक उन्हें यह विचार आया कि अगर मीडिया और संस्थाएं जनता से जुड़ने का माध्यम नहीं बन पा रही हैं, तो सीधे जनता के पास जाना होगा. इसका सबसे बेहतर तरीका था देश भर में पैदल यात्रा करना और उनसे डायरेक्ट जुड़ना. फिर मैंने इस यात्रा की शुरुआत की. इस यात्रा का नाम 'भारत जोड़ों यात्रा' इसलिए रखा गया क्योंकि हमारा लक्ष्य पूरे भारत को जोड़ना था. 

'लोगों से कैसे जुड़ना है ये यात्रा ने मुझे सिखाया': राहुल गांधी

यात्रा शुरू करने के बाद 3-4 दिनों में ही घुटने में दर्द होने पर राहुल गांधी ने कहा कि, तब मुझे लगा की मैंने ये कैसा टास्क ले लिया है. 'मैंने क्या कर लिया?' क्योंकि सुबह उठकर 10 किलोमीटर दौड़ना अलग बात है, लेकिन 4000 किलोमीटर चलने की बात कहना एक बिल्कुल अलग बात है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस यात्रा ने उनके काम करने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया. 'इसने मेरी राजनीति को समझने और लोगों से संवाद करने का तरीका बदल दिया. इस यात्रा ने मुझे सिखाया कि लोगों की बात सुनना और उनसे सीधे जुड़ना कितना महत्वपूर्ण है.'

'नफरत की राजनीति से अलग 'मोहब्बत' की राजनीति की हुई शुरुआत 

LoP ने कहा कि यात्रा के दौरान सबसे महत्वपूर्ण और अप्रत्याशित चीज यह थी कि राजनीति में प्रेम का विचार सामने आया. हमने इसकी कल्पना नहीं की थी. उन्होंने कहा यह अजीब है क्योंकि अगर आप दुनिया की राजनीति में देखें, तो वहां 'मोहब्बत' शब्द शायद ही कभी दिखता है. वहां सिर्फ नफरत, गुस्सा, अन्याय, भ्रष्टाचार जैसे शब्द ही मिलते हैं, लेकिन 'मोहब्बत' राजनीति के संदर्भ में नहीं मिलता. 'भारत जोड़ो यात्रा' ने इस विचार को भारतीय राजनीति में लाया, और मुझे यह देखकर हैरानी हो रही है कि यह विचार कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है. राहुल गांधी ने कहा कि, भारत जोड़ो यात्रा ने न केवल राजनीतिक संवाद में प्रेम को जोड़ा, बल्कि देश के लोगों के साथ उनकी बातचीत के तरीके को भी बदल दिया.'

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