कहानी कपिल सिब्बल की, कांग्रेस छोड़ने के बावजूद कैसे बन गए हैं गांधी परिवार की जरूरत!

रूपक प्रियदर्शी

26 May 2024 (अपडेटेड: May 26 2024 6:12 PM)

कपिल सिब्बल वकीलों की सबसे बड़ी संस्था सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चौथी बार अध्यक्ष चुने गए हैं. देश के मशहूर, महंगे और दमदार वकीलों में गिनती होती है. इसी प्रोफेशनल मेरिट से कपिल सिब्बल को राजनीति में ऊपर चढ़ने में मिली. 

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Kapil Sibbal: राहुल गांधी से निराश होकर, नाराज होकर उन्हें भला-बुरा बोलकर कांग्रेस से जाने वाले नेताओं की लिस्ट तो लंबी है लेकिन कपिल सिब्बल लिस्ट में अकेले ऐसे नाम हैं जो कांग्रेस छोड़कर भी कांग्रेसी बने हुए हैं. न कभी कांग्रेस को कोसते हैं, न कभी राहुल गांधी को विलेन बनाते हैं. कपिल सिब्बल कांग्रेस में नहीं लेकिन कांग्रेस से दूर होकर भी कांग्रेस का ही काम कर रहे हैं. 

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एंकर से बहस का वीडियो वायरल

कपिल सिब्बल का एक इंटरव्यू बहुत वायरल हैं जिसमें उन्होंने अपनी विचारधारा कांग्रेसी बताई. इंटरव्यू में एंकर ने कपिल सिब्बल से कांग्रेस के मेनिफेस्टो को लेकर सवाल पूछा. वही दावा जिसमें मोदी सबको ये बता रहे हैं कि कांग्रेस आएगी तो मंगलसूत्र भी ले जाएगी. एंकर ने कहा कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो में ऐसा कहा गया. सिब्बल ने तपाक से काउंटर सवाल दाग दिया कि किस मेनिफेस्टो में ऐसा कहा गया है. एंकर के पास कोई जवाब नहीं था.

2022 में कांग्रेस में G23 नाम का एक ग्रुप बन गया था जिसमें असंतुष्ट नेता भरे पड़े थे. हाईकमान, गांधी परिवार के लिए प्रेशर ग्रुप बनकर अपनी बातें थोपने की कोशिश हो रही थी. तब कपिल सिब्बल भी असंतुष्टों में शामिल थे. उसी दौर में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा शुरू करके पार्टी के अंदर और बाहर से होने वाले आक्रमणों को ध्वस्त करना शुरू किया था. देखते-देखते G23 लुप्त हो गया.

G23 वालों में से कुछ रह गए. कुछ चले गए. जाने वालों में कपिल सिब्बल भी थे. लेकिन वो ऐसे कि किसी को भनक तक नहीं लगी. 2022 में जब समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा चुनाव का नामांकन भरने लखनऊ पहुंचे तब दुनिया ने जाना कि कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ दी है. यही से कांग्रेस के प्रति उनकी निष्ठा का दूसरा दौर दूसरी तरह से शुरू हुआ. 

इंडिया की बैठक में शामिल होने पर हुआ था बवाल!

सितंबर 2023 में मुंबई में इंडिया गठबंधन की बैठक में हंगामा मच गया जब कपिल सिब्बल इंडिया गठबंधन की बैठक में पहुंच गए. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केसी वेणुगोपाल जैसे कांग्रेस के कई बड़े नेता इसके खिलाफ थे लेकिन राहुल गांधी ने कपिल सिब्बल के लिए बड़प्पन दिखाया. कहा कि कपिल सिब्बल से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.
 
बाहर से कांग्रेस को कपिल सिब्बल का समर्थन और मजबूत हुआ. राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म करने, ईडी-सीबीआई के दुरुपयोग, इलेक्टोरल बॉन्ड, चुनाव आयोग की मनमानी-हर बड़े सवाल पर अब कांग्रेस की लाइन और कपिल सिब्बल की लाइन में कहीं कोई फर्क है नहीं. सिवाय इसके लिए कपिल सिब्बल कांग्रेस के नेता नहीं कहे जाते. 

1998 में पहली बार पहुंचे राज्यसभा

हाल में कपिल सिब्बल वकीलों की सबसे बड़ी संस्था सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के चौथी बार अध्यक्ष चुने गए हैं. देश के मशहूर, महंगे और दमदार वकीलों में गिनती होती है. इसी प्रोफेशनल मेरिट से कपिल सिब्बल को राजनीति में ऊपर चढ़ने में मिली. 

1972 से कपिल सिब्बल ने प्रैक्टिस शुरू की थी. 1983 तक वो सुप्रीम कोर्ट के सीनियर लॉयर बन चुके थे. राजीव गांधी के समय में सरकार के वकील एडिशनल सॉलिसीटर जनरल बने. 

बड़े-बड़े नेताओं को मुकदमों की पैरवी करके लालू-मुलायम से लेकर सोनिया-राहुल के फेवरेट रहे कपिल सिब्बल. यहीं से शुरू हुई राजनीति. 1998 में बिहार से राज्यसभा पहुंच गए. कपिल सिब्बल के इतने पॉलिटिकल क्लाइंट रहे कि चाहते तो पूरी राजनीति राज्यसभा में रहकर कर सकते थे. उन्होंने कांग्रेस में रहकर लोकसभा लड़ने का रास्ता चुना. जब तक रहे कांग्रेस की मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स में रहे. 

चांदनी चौक सीट से मिली हार

2003 में स्मृति ईरानी एक्टिव का करियर छोड़कर बीजेपी में आ गई थी. 2004 में मास्टर स्ट्रोक समझकर बीजेपी ने स्मृति ईरानी को चांदनी चौक लोकसभा सीट से उतारा था. उसी समय पहली बार कपिल सिब्बल भी राज्यसभा छोड़कर लोकसभा चुनाव लड़ने उतर गए. टीवी की फेमस एक्ट्रेस का टैग होने के बाद भी कपिल सिब्बल ने करीब 80 हजार वोटों से स्मृति ईरानी को हरा दिया. 2009 में स्मृति ईरानी लौटकर चांदनी चौक नहीं आईं लेकिन कपिल सिब्बल फिर लड़े. फिर जीते. 2014 में बीजेपी ने स्मृति ईरानी को अमेठी भेजकर राहुल को हराने के काम पर लगा दिया लेकिन तीसरी बार चांदनी चौक से लड़ने वाले कपिल सिब्बल कांग्रेस विरोधी लहर में बीजेपी के हर्षवर्धन से ही नहीं, पत्रकार आशुतोष से भी हार गए. 

कानून का एक दिग्गज मनमोहन सिंह की सरकार में टेलीकॉम, कानून, शिक्षा जैसे बड़े मंत्रालय संभालने लगा. 2 जी घोटाला यूपीए सरकार पर बड़ा दाग था. कपिल सिब्बल ही थे जिन्होंने 1 लाख 75 हजार करोड़ के 2जी घोटाले को जीरो लॉस बताकर सनसनी मचा दी थी. बाद में 2 जी घोटाले का केस जीरो लॉस थ्योरी पर ही दफन हुआ.

कपिल सिब्बल गांधी परिवार की पसंद रहे. लोकसभा में हार राजनीति के आड़े नहीं आई. कांग्रेस ने मौका देखते ही 2016 में यूपी से राज्यसभा में भेज दिया. कहा जाता है कि राज्यसभा टिकट पर संकट देखकर ही 2022 में उन्होंने पाला बदल लिया. पाला बदलने के बाद भी कपिल सिब्बल कांग्रेस और गांधी परिवार की जरूरत बने हुए हैं. सोनिया गांधी, राहुल गांधी के केस मुकदमे कपिल सिब्बल के भी जिम्मे हैं. नेशनल हेरल्ड केस में सोनिया, राहुल के वकील कपिल सिब्बल भी हैं. 

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