राहुल गांधी ने वेणुगोपाल को बनवाया PAC के चेयरमैन, अदाणी और मोदी सरकार के खेल की खुलेगी पोल!

रूपक प्रियदर्शी

06 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 6 2024 12:34 PM)

Public Accounts Committee: राहुल गांधी ये मांग कर रहे थे कि अलग-अलग पार्टियों के सांसदों की ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी JPC बनाकर अदाणी की जांच कराई जाए. सरकार ने बिलकुल भी इस पर विचार करने के लिए तैयार नहीं हुई.

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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केसी वेणुगोपाल पब्लिक अकाउंट्स कमेटी के चेयरमैन बने

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PAC की पहली बैठक में SEBI चीफ माधवी बुच से पूछताछ के लिए चली बात

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अदाणी और मोदी सरकार के नेक्सस के पीछे पड़े हुए हैं LoP राहुल गांधी

Public Accounts Committee: लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद राहुल गांधी संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी(PAC) के चेयरमैन बन सकते थे. राहुल गांधी खुद PAC चेयरमैन नहीं बने. कांग्रेस महासचिव और केरल से सांसद केसी वेणुगोपाल को चेयरमैन बनवा दिया. नियम ये है कि विपक्ष के सबसे बड़े नेता को PAC चेयरमैन पद मिलता है. पिछली लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी के पास पीएसी चेयरमैन होते थे लेकिन इस बार मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी की ओर से केसी वेणुगोपाल को चुना गया. 

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PAC चेयरमैन का चार्ज लेते ही एक्शन में आए वेणुगोपाल 

PAC चेयरमैन का चार्ज लेने के बाद केसी वेणुगोपाल फुल एक्शन में आ गए हैं. ये एक्शन अदाणी, सेबी, माधवी बुच, सरकार, बीजेपी समेत उन सबके के लिए घंटी है जिनकी वजह से या तो सरकार के नियम टूटे या सरकार और जनता को चूना लगा. केसी वेणुगोपाल की पीएसी के काम शुरू होते ही हंगामा मचना शुरू हो गया है.  29 अगस्त को कमेटी की पहली बैठक हुई. पहली बैठक से निकलकर आया कि पीएसी माधवी बुच को पूछताछ के लिए बुला सकती है. हालांकि इसकी संभावना नहीं है कि 10 सितंबर की दूसरी बैठक में ही माधवी बुच पेश हों.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक केसी वेणुगोपाल की पीएसी ने अपना काम शुरू करने के लिए 160 मुद्दे शार्ट लिस्ट किए हैं. पीएसी ने 5 मुद्दे Su Moto सलेक्ट किए हैं. एक मुद्दा है पार्लियामेंट के एक्ट से बनी सरकारी रेग्युलेटरी बॉडीज का परफॉर्मेंस रिव्यू. दूसरा मुद्दा है पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और पब्लिक यूटिलिटी वाली फी, फी लगाने के नियम, यूजर चार्ज, टैरिफ जैसी चीजें. इसी रिव्यू के बहाने हो सकती है अदाणी, सेबी, माधवी बुच जैसे विवादों की जांच.

क्या करती है पब्लिक अकाउंट्स कमेटी(PAC)?

सरकार की आमदनी और खर्च का ऑडिट PAC की जिम्मेदारी होती है. सेबी, ट्राई, RBI, IRDA जैसी सरकारी संस्थाओं का भी ऑडिट होता है. पीएसी की जांच के दायरे में आ सकते हैं देश के सारे एयरपोर्ट, रिडेवलप और मैनेज करने वाली कंपनियां, देश के हाइवे, बनाने और मैनेज करने वाली कंपनियां. पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्टर और पब्लिक यूटिलिटी के दायरे में आएगा इंडियन रेलवे भी. अकेले अदाणी ग्रुप देश के 7 एयरपोर्ट मैनेज करता है. 

ये दोनों ऐसे मुद्दें हैं जिनकी जांच का वादा कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव के मेनिफेस्टो में भी किया था. सरकार तो कांग्रेस या इंडिया गठबंधन की नहीं बनी. सरकार ने राहुल गांधी के आरोपों को सीरियस समझकर जांच की जरूरत नहीं समझी लेकिन मुद्दे हैं कि खत्म नहीं हो रहे हैं. मोदी-सरकार के नेक्सस का आरोप पुराना हुआ लेकिन नई सरकार बनने के बाद ये खुलासा हुआ कि सेबी चेयरपर्सन होते हुए माधवी बुच अदाणी ग्रुप से जुड़ी रहीं. अदाणी के फायदे के लिए काम करने के आरोप लगे. 

राहुल की मांग को सरकार ने किया दरकिनार 

राहुल गांधी ये मांग कर रहे थे कि अलग-अलग पार्टियों के सांसदों की ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी JPC बनाकर अदाणी की जांच कराई जाए. सरकार ने बिलकुल भी इस पर विचार करने के लिए तैयार नहीं हुई. जेपीसी जांच तो नहीं हो रही है लेकिन पीएसी चेयरमैन जैसी पावरफुल पोस्ट कांग्रेस को मिलने के बाद कम से कम एक संसदीय जांच तो शुरू हो रही है. जेपीसी की तरह पीएसी में भी सदस्य सांसद होते हैं. 22 सदस्यों की नई पीएसी में पीएसी के चेयरमैन केसी वेणुगोपाल हैं,. इसमें 12 सदस्य एनडीए सांसद हैं. 4 कांग्रेस सांसद हैं और 4 इंडिया गठबंधन की पार्टियों के सांसद हैं. राहुल गांधी ने ऐसे नहीं कहा था कि विपक्ष सरकार चला चला रहा है. सरकार तुम्हारी, सिस्टम हमारा.

अदाणी और मोदी सरकार के मेल-जोल के पीछे पड़े है LoP  

पिछले 2 साल से राहुल गांधी ने गौतम अदाणी और मोदी सरकार के नेक्सस के खिलाफ आवाज बुलंद की हुई है. कांग्रेस ने इस नेक्सस को मोदाणी नाम दिया हुआ है. पहले राहुल गांधी ने बोलना शुरू किया. फिर पूरे विपक्ष ने मोदाणी के खिलाफ बोलना शुरू किया. अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग, लंदन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स की कई इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट से सरकार-अदाणी नेक्सस की पोल खुली. सबसे लेटेस्ट खुलासा ये हुआ कि SEBI की चेयरपर्सन माधवी बुच की भी अदाणी से मिलीभगत है. इसीलिए सेबी की जांच में कभी अदाणी के खिलाफ कुछ निकला. 

सरकार के कामकाज के रिव्यू के लिए कई संसदीय कमेटीज जैसे-जेपीसी, पीएसी, डिपार्टमेंट रिलेटेड स्टैंडिंग कमेटी, पब्लिक अकाउंट्स कमेटी अलग-अलग मैनडेट पर काम करती है. पीएसी सरकार की आमदनी और खर्च का ऑडिट करती है. डिपार्टमेंट रिलेटेड स्टैंडिंग कमेटी मंत्रालय विशेष के मामले देखती है.  पीएसी इसलिए ज्यादा पावरफुल है कि वो किसी भी पद पर बैठे व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुला सकती है. पीएसी अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को भेजती है. सरकार के लिए जरूरी होता है कि वो पीएसी रिपोर्ट पर एक्शन ले. 

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