Child Pornography चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना अपराध, हाई कोर्ट के फैसले को पलट SC ने सुनाया ये आदेश

अभिषेक

23 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 23 2024 12:27 PM)

SC on Child Pornography: पिछले दिनों मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि, 'बाल पॉर्नोग्राफी देखना और महज डाउनलोड करना पॉक्सो कानून तथा आईटी कानून के तहत अपराध नहीं है. इसी के तहत हाई कोर्ट ने 11 जनवरी को 28 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ केस को रद्द कर दिया था.

child pornography

child pornography

follow google news

SC on Child Pornography: सर्वोच्च न्यायालय(SC) ने आज चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा है कि, 'चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना POCSO एक्ट और IT अधिनियम के तहत अपराध है.' यह फैसला देते हुए SC ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि बाल पॉर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना पॉक्सो कानून तथा सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत अपराध नहीं है.' चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यह सर्व सम्मति से यह फैसला दिया. इसके साथ ही बेंच ने चाइल्ड पॉर्नोग्राफी और उसके कानूनी परिणामों पर कुछ दिशा निर्देश भी जारी किए. 

यह भी पढ़ें...

क्या था मामला?

पिछले दिनों मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि, 'बाल पॉर्नोग्राफी देखना और महज डाउनलोड करना पॉक्सो कानून तथा आईटी कानून के तहत अपराध नहीं है. इसी के तहत हाई कोर्ट ने 11 जनवरी को 28 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ केस को रद्द कर दिया था. आपको बता दें कि, व्यक्ति पर अपने मोबाइल फोन पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री डाउनलोड करने का आरोप था. 

मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द 

आरोपी को जमानत मिलने के बाद कुछ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. और मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी. SC में आज उसी मामले पर सुनवाई हो रही थी. SC ने याचिकाकर्ता संगठनों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का की दलीलों पर गौर किया कि, मद्रास हाई कोर्ट का फैसला इस संबंध में कानून के विरोधाभासी है. उसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना भी अपराध के दायरे में कर दिया है. 

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचुद, जस्टिस जेबी पारदी वाला और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ ने केंद्र सरकार से चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री लाने के लिए अध्यादेश जारी करने का भी अनुरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों से बाल पोर्नोग्राफी शब्द का उपयोग न करने के लिए भी कहा. 

मद्रास हाई कोर्ट ने की है गलती: जस्टिस जेबी पारदीवाला 

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने सर्व सम्मत फैसले में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के बारे में कहा कि अपने आदेश में आपने गलती की है. इसलिए हम हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हैं. मामले को वापस सेशन कोर्ट में भेजते हैं. मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट को सिर्फ डाउनलोड करना या फिर देखना, पॉक्सो एक्ट या IT कानून के तहत अपराध  के दायरे में नहीं आता. 

    follow google newsfollow whatsapp