दिल्ली में कई इलाकों के नाम बदलने की उठी मांग, नजफगढ़ बनेगा नाहरगढ़, मोहम्मदपुर होगा माधवपुरम?
दिल्ली में नई बीजेपी सरकार ने सत्ता संभालते ही अपने पहले विधानसभा सत्र में बड़े बदलाव की शुरुआत कर दी है. इस सत्र में राजधानी के दो प्रमुख इलाकों के नाम बदलने का प्रस्ताव चर्चा में आया है.
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दिल्ली में नई बीजेपी सरकार ने सत्ता संभालते ही अपने पहले विधानसभा सत्र में बड़े बदलाव की शुरुआत कर दी है. इस सत्र में राजधानी के दो प्रमुख इलाकों के नाम बदलने का प्रस्ताव चर्चा में आया है. बीजेपी विधायकों ने नजफगढ़ और मोहम्मदपुर के नामों को बदलने की मांग उठाई है, जिससे दिल्ली की सांस्कृतिक पहचान को नया रूप देने की कोशिश दिख रही है.
नजफगढ़ का नाम नाहरगढ़ क्यों?
नजफगढ़ से बीजेपी विधायक नीलम पहलवान ने विधानसभा में सुझाव दिया कि नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ किया जाए. उन्होंने दावा किया कि यह नाम क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है. नीलम पहलवान ने कहा कि मुगल शासक औरंगजेब ने नाहरगढ़ का नाम बदलकर नजफगढ़ कर दिया था. उन्होंने आगे बताया कि 1857 की क्रांति में राजा नाहर सिंह ने इस क्षेत्र को दिल्ली से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी. विधायक ने जोर देकर कहा कि नाम बदलने से नजफगढ़ की पहचान और विकास को नई दिशा मिलेगी. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि इस मांग को पहले भी कई बार उठाया गया, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ.
मोहम्मदपुर बनेगा माधवपुरम
दूसरी तरफ, दक्षिणी दिल्ली के आरके पुरम से बीजेपी विधायक अनिल शर्मा ने मोहम्मदपुर गांव का नाम बदलकर माधवपुरम करने की मांग रखी. उनका कहना है कि यह बदलाव इलाके की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को सम्मान देगा..
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पहले भी हुई नाम बदलने की मांग
यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली में इलाकों के नाम बदलने की बात उठी हो. इससे पहले मुस्तफाबाद विधानसभा से जीते बीजेपी नेता मोहन सिंह बिष्ट ने अपने क्षेत्र का नाम बदलकर 'शिवपुरी' या 'शिव विहार' करने का सुझाव दिया था. उन्होंने तर्क दिया था कि विधानसभा का नाम बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं के अनुरूप होना चाहिए. बिष्ट ने कहा था कि 58% लोगों की पसंद को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, न कि 42% की. उन्होंने वादा किया था कि सत्र शुरू होते ही वह इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे.
क्या है इस बदलाव का मकसद?
इन प्रस्तावों के पीछे बीजेपी नेताओं का तर्क है कि नाम बदलने से दिल्ली के इलाकों की पहचान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत होगी. हालांकि, इन मांगों पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया अभी स्पष्ट नहीं हुई है. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये प्रस्ताव विधानसभा में पारित होंगे और दिल्ली के नक्शे पर नया बदलाव देखने को मिलेगा.
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