दिग्गजों को पछाड़कर दिल्ली की नई CM बनीं रेखा गुप्ता कौन हैं? जानें पार्षद से मुख्यमंत्री तक का सफर
Who is Rekha Gupta: रेखा गुप्ता ने दिल्ली में अपनी पढ़ाई, डीयू अध्यक्ष और पार्षद से शुरू हुए राजनीतिक सफर से लेकर आज तक की लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा तय की है. तमाम दिग्गजों को पछाड़कर रेखा वर्मा कैसे बनीं दिल्ली की सीएम.
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दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन होगा? चुनाव के बाद हर किसी के मन में इस सवाल ने उथलपुथल मचा रखी थी. अब 26 साल के लंबे अंतराल के बाद आखिरकार भाजपा ने दिल्ली में एक महिला मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता के नाम का ऐलान कर दिया है. रेखा गुप्ता जिनका जन्म हरियाणा के जींद जिले के नंदगढ़ गांव में 1974 में हुआ था, लेकिन उन्होंने दिल्ली को अपनी कर्मभूमि बनाई है.
रेखा गुप्ता ने दिल्ली में अपनी पढ़ाई, डीयू अध्यक्ष और पार्षद से शुरू हुए राजनीतिक सफर से लेकर आज तक की लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा तय की है. तमाम दिग्गजों को पछाड़कर रेखा वर्मा कैसे बनीं दिल्ली की सीएम. एक पार्षद से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री तक के सफर के बारे में जानिए...
रेस में दिग्गजों को पछाड़ा...
बीजेपी का इतिहास रहा है सरप्राइज नाम का ऐलान करती रही है. मध्य प्रदेश में मोहन यादव, राजस्थान में भजन लाल शर्मा और हरियाणा में नायब सिंह सैनी इसके उदाहरण हैं. ऐसे में माना जा रहा था कि दिल्ली में भी कोई सप्राइज नाम हो सकता है. हालांकि सीएम रेस में सबसे आगे प्रवेश वर्मा और रेखा गुप्ता ही थे. लेकिन शिखा राय, विजेंद्र गुप्ता, आशीष सूद का नाम भी सामने आ रहा था. इसके अलावा सतीश उपाध्याय और मोहन सिंह बिष्ट भी रेस में बताए जा रहे हैं.
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इन सभी दिग्गजों को चौंकाते हुए रेखा गुप्ता के नाम का ऐलान कर दिया गया. उनके नाम का ऐलान प्रवेश वर्मा ने किया है. माना जा रहा था कि प्रवेश वर्मा को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है, लेकिन किसी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया.

शालिमार से दो बार हारीं, तीसरी बार जीतकर बनीं सीधे सीएम
रेखा गुप्ता को 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में रेखा गुप्ता को शालीमार बाग सीट से उतारा गया था, जहां 2015 में आम आदमी पार्टी की वंदना कुमारी ने लगभग 11 हजार वोटों से और 2020 में 3400 वोट के अंतर से उन्हें हराया था, लेकिन 2025 के चुनाव में उन्होंने वंदना कुमारी को बड़े अंतर से मात दे दी. यह जीत उनके राजनीतिक करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई है और आज के दिन, भाजपा ने उनके अनुभव, नेतृत्व क्षमता और जनता के बीच लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुन लिया है.
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पिता से मिले मूल्य
रेखा 1976 में जब महज दो साल की थीं, तब उनके परिवार ने दिल्ली को अपना नया घर बना लिया. दिल्ली में बिताए गए ये formative years ने उनके व्यक्तित्व को आकार दिया. उनके पिता, जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी थे, उन्होंने मेहनत, ईमानदारी और समाज सेवा के मूल्य सिखाए. यही मूल्यों ने रेखा को राजनीति में प्रवेश करने और समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया.
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शुरू से राजनीति में रुचि
छोटे उम्र से ही रेखा गुप्ता ने राजनीति में रुचि दिखाई। स्कूल और कॉलेज के दिनों में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन (RSS) के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के साथ सक्रिय भागीदारी निभाई. दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हुए, उन्होंने दौलत राम कॉलेज में सचिव पद संभाला और 1995-96 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्षता भी की. बाद में उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी की, जिससे उनकी शैक्षणिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि में और मजबूती आई.

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दिल्ली इकाई से शुरू की राजनीति
पढ़ाई पूरी करने के बाद, 2003-04 में रेखा गुप्ता ने भाजपा युवा मोर्चा की दिल्ली इकाई में शामिल होकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. उन्होंने सचिव के रूप में कार्य करते हुए पार्टी के भीतर अपना अलग मुकाम बनाया. 2004 से 2006 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.
2007 में रेखा गुप्ता ने उत्तर पीतमपुरा से पार्षद के रूप में प्रवेश किया और इसी दौरान दिल्ली महानगर परिषद (MCD) में महिला कल्याण एवं बाल विकास समिति की अध्यक्षता की. इस भूमिका में उनके प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि वे एक सक्षम नेता हैं. 2009 में उन्हें दिल्ली भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव के रूप में चुना गया और 2010 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी नियुक्त की गई.
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