हरियाणा चुनाव में सुभाष चंद्रा ने सावित्री जिंदल को दिया समर्थन! BJP के लिए परेशानियां बढ़ेंगी?

रूपक प्रियदर्शी

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Essel Group Chairman Subhash Chandra
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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बिजनेसमैन सुभाष चंद्रा ने हिसार सीट पर सावित्री जिंदल को दिया अपना समर्थन.

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खुद को बीजेपी समर्थक बता रहे सुभाष चंद्रा लेकिन बीजेपी उम्मीदवारों को समर्थन देने से किया इनकार.

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बीजेपी के साथ सुभाष चंद्रा के संबंध बनते-बिगड़ते रहे हैं.

Haryana Assembly Elections: मीडिया मुगल और देश के बड़े बिजनेसमैन सुभाष चंद्रा ने हरियाणा की हिसार सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं सावित्री जिंदल को अपना समर्थन दे दिया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे बीजेपी के लिए परेशाानी खड़ी हो जाएंगी. सुभाष चंद्रा के बीजेपी के साथ संबंध बनते-बिगड़ते रहे हैं. सावित्री जिंदल को समर्थन देने के बाद भी वे खुद को बीजेपी समर्थक बताते हैं लेकिन हिसार के लिए अपने संबंधों का हवाला देकर समर्थन सावित्री जिंदल का कर देते हैं.

सुभाष चंद्रा कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ते. लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ते लेकिन हरियाणा के चुनाव में ये बड़ा सवाल होता है चुनाव में उनका आशीर्वाद किसे मिला है.  2022 तक सुभाष चंद्रा और बीजेपी एक होते थे. इसलिए हिसार और आसपास के इलाकों में सुभाष चंद्रा का आशीर्वाद बीजेपी उम्मीदवारों को ही मिलता था. अब चीजें अचानक से बदल गई हैं.

राजस्थान के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने सुभाष चंद्रा को टिकट नहीं दिया. सुभाष चंद्रा बीजेपी के खिलाफ निर्दलीय मैदान में कूद गए. निर्दलीय वाला खेल सूट करता था. एक बार ऐसे ही चुनाव में खेल करते हुए कांग्रेस को हराकर राज्यसभा पहुंचे थे. 2022 में बीजेपी ने सुभाष चंद्रा को हरवाकर खेल कर दिया. माना जाता है कि तब से बीजेपी से सुभाष चंद्रा की कुट्टी चल रही है. इस कुट्टी का नतीजा भुगत रहे हैं हरियाणा में बीजेपी के उम्मीदवार.

सुभाष चंद्रा बागी हो गए हैं?

आज भी सुभाष चंद्रा खुद को बीजेपी का समर्थक ही बता रहे हैं लेकिन कहानी ये है कि बागी हो गए हैं. हरियाणा चुनाव में हर वो दांव दिखा रहे हैं जिससे बीजेपी को नुकसान हो. बस कह ये रहे हैं कि मैं बीजेपी समर्थक परिवार से हूं. बीजेपी का समर्थन मेरा निजी विचार है. सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं-जब कभी तूफान आता है तो जो पेड़ झुकना नहीं जानते वो टूट कर गिरते हैं.

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बीजेपी उम्मीदवार को नहीं देंगे समर्थन

हरियाणा चुनाव में सुभाष चंद्रा ने बड़ी सनसनी मचा रखी है. पहली सनसनी ये है कि  कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन कर दिया. दूसरी सनसनी ये कि निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन कर दिया. तीसरी सनसनी ये कि बीजेपी उम्मीदवार ने आशीर्वाद मांगने के लिए फोन किया तो मना कर दिया.आदमपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के खिलाफ लड़ रहे हैं कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व आईएएस चंद्रप्रकाश. सुभाष चंद्रा खुलकर कांग्रेस के मंच पर चले गए. चंद्रप्रकाश के साथ चुनावी मंच शेयर करके बीजेपी को चैलेंज कर दिया. 

10 सितंबर को कर दिया था बगावत का इशारा

इन सबसे पहले उन्होंने 10 सितंबर को ही बगावत का इशारा कर दिया था. सोशल मीडिया पर सुभाष चंद्रा ने हिसार से बीजेपी उम्मीदवार कमल गुप्ता से फोन पर हुई बातचीत की डिटेल लिख दी. बीजेपी के पुराने नेता कमल गुप्ता अब तक सुभाष चंद्रा का समर्थन पाते रहे. कमल गुप्ता यानी कगु ने छोटा भाई बनकर सुभाष चंद्रा को फोन करके टिकट मिलने की खुशखबरी दी और आशीर्वाद मांगा. लेकिन सुभाष चंद्रा ने झाड़ लगा दी और बोले कि छोटा भाई क्या 5 साल बाद फोन करता है? इस बार तो मेरा आशीर्वाद नहीं मिलेगा, क्योंकि हिसार की जनता आपसे बहुत नाराज़ है.

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पिछले चुनाव में सावित्री जिंदल के खिलाफ थे, इस बार समर्थन दे रहे सुभाष चंद्रा

सुभाष चंद्रा ने हिसार की विधानसभा सीट पर भी खेल किया. सावित्री जिंदल देश की अमीर महिलाओं में से एक हैं. बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां है. सावित्री जिंदल ने बीजेपी से टिकट मांगा था. मना हुआ तो 74 साल की उम्र में बीजेपी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव में उतर गईं. सुभाष चंद्रा ने हिसार में सावित्री जिंदल का समर्थन कर दिया. कहा कि बीजेपी का समर्थन मेरा निजी विचार है परंतु हिसार के लोग और यह शहर मेरा है, इसलिए इसके प्रति भी मेरा एक धर्म है. इसलिए हिसार के वोटर्स सावित्री जिंदल को ही वोट दें. 2014 में कांग्रेस उम्मीदवार सावित्री जिंदल को बीजेपी के कमल गुप्ता ने हराया था. तब सुभाष चंद्रा ने कमल गुप्ता का समर्थन किया था. 

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जिस जिंदल फैमिली से थे व्यापारिक मतभेद, अब उनके साथ खड़े हो गए सुभाष चंद्रा

जिंदल परिवार और सुभाष चंद्रा में कॉमन ये है कि दोनों हिसार के हैं. दोनों देश के बड़े बिजनेस घराने हैं. सुभाष चंद्रा मीडिया मुगल कहे जाते हैं. जिंदल स्टील जैसे बिजनेस के किंग माने जाते हैं. कुछ साल पहले सुभाष चंद्रा और नवीन जिंदल के बीच रिश्ते बेहद खराब हो गए थे. बहुत कीचड़ उछलने के बाद दोनों ने सुलह कर ली थी और मामला रफा-दफा हो गया था.

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