G4 देशों का UNSC को लेकर बड़ा ऐलान, स्थायी सीट पर बैठ सकता है भारत?
भारत चाहता है सुरक्षा परिषद बहुआयामी हो. भारत का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा, सतत विकास और वैश्विक शासन में सुधार पर केंद्रित है. भारत मौजूदा परिस्थितियों के अनुरूप UNSC में सुधार की वकालत करता है. भारत ने G4 देशों यानी भारत, जर्मनी, जापान, ब्राजील के साथ मिलकर स्थायी और गैर-स्थायी सीटों के विस्तार की मांग की है. यानी भारत ने कुछ स्ट्रक्चरल बदलावों की मांग रखी है.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

भारत चाहता है सुरक्षा परिषद बहुआयामी हो

UNSC में सुधार की वकालत करता है भारत

G4 देशों के साथ मिलकर भारत ने पेश किया प्रस्ताव

UNSC में स्थायी सदस्य होने का मतलब क्या है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जिसे आप United Nations Security Council भी बुलाते है और UNSC भी. इस परिषद को बनाने का उद्देश्य ज्यादा समझने वाला नहीं है. इसे तो शांति स्थापित करने और बनाए रखने के लिए बनाया गया था. हालांकि सालों बीत जाने के बाद जब परिस्थितियां युद्ध तक पहुंची तो ये परिषद उसे रोक पाने में फेल साबित हुआ. और इसलिए बदलाव के लिए भारत ने मुहिम शुरू कर दी.
भारत चाहता है सुरक्षा परिषद बहुआयामी हो. भारत का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा, सतत विकास और वैश्विक शासन में सुधार पर केंद्रित है. भारत मौजूदा परिस्थितियों के अनुरूप UNSC में सुधार की वकालत करता है. भारत ने G4 देशों यानी भारत, जर्मनी, जापान, ब्राजील के साथ मिलकर स्थायी और गैर-स्थायी सीटों के विस्तार की मांग की है. यानी भारत ने कुछ स्ट्रक्चरल बदलावों की मांग रखी है.
G4 देशों के साथ मिलकर भारत का प्रस्ताव है कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या 15 से बढ़ाकर 25 या 26 की जानी चाहिए. जिसमें क्षेत्र की हिसाब से देशों की हिस्सेदारी हो. जी4 देशों का प्रस्ताव है कि इस संख्या में 11 स्थायी सदस्य होने चाहिए.
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6 नए स्थायी सदस्यों में
- 2 अफ्रीकी देशों,
- 2 एशिया प्रशांत देशों,
- 1 लैटिन अमेरिका/कैरेबियन देश
- 1 पश्चिमी यूरोप के देश को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है
14-15 नए गैर स्थायी सदस्यों में
- 1-2 अफ्रीकी देशों
- 1 एशिया प्रशांत
- 1 लैटिन अमेरिका/कैरिबियन
- 1 पूर्वी यूरोप
- और बारी छोटे द्वीप विकासशील देशों को शामिल करने का प्रस्ताव भारत समेत जी-4 देशों ने रखा है.
इस प्रस्ताव को रखने वाला भारत खुद स्थायी सदस्यता के लिए सबसे प्रमुख दावेदार है. भारत ये तर्क देता है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है. भारत की जनसंख्या, आर्थिक योगदान और वैश्विक शांति प्रयासों में भागीदारी इसे इस भूमिका के लिए उपयुक्त बनाती है. भारत का कहना है कि सुरक्षा परिषद की संरचना आज के बहुध्रुवीय विश्व में अप्रासंगिक हो चुकी है, जहां एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व न के बराबर है. यानी भारत सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि बाकी क्षेत्रों की भी भागीदारी की बात करता है.
UNSC में स्थायी सदस्य होने का मतलब क्या है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए कई साल से भारत मांग कर रहा है. यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली निकाय है लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत इसका स्थायी सदस्य नहीं है. साल 1945 में बनाए गए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य है. 5 स्थायी और 10 गैर-स्थायी सदस्य. पांच स्थायी देशों में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, चीन, फ्रांस और रूस शामिल है. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना में इन देशों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यही कारण है कि इन देशों को संयुक्त राष्ट्र में कुछ विशेष विशेषाधिकार मिले. ये पांच देश UNSC में स्थायी सदस्य देश हैं, और इनके पास एक विशेष मतदान शक्ति भी है जिसे 'वीटो के अधिकार' या वीटो पावर के रूप में जाना जाता है.
क्या है वीटो पावर?
- UNSC में इन पांच देशों के किसी प्रस्ताव पर वोट डालने के लिए विशेष अधिकार होता है
- इनमें से किसी एक ने भी UNSC में किसी प्रस्ताव पर नेगेटिव वोट डाला, तो प्रस्ताव खारिज हो जाएगा
- यानी अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, चीन, फ्रांस और रूस में से किसी ने भी UNSC के किसी प्रस्ताव पर विपक्ष में वोट डाला तो वो प्रस्ताव पास नहीं होगा।
बड़ी बात ये है कि सभी पांच स्थायी सदस्यों ने अलग-अलग मौकों पर अपने-अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए वीटो के अधिकार का प्रयोग किया है. पिछले कई सालों में 5 स्थायी मेंबर के पास वीटो होने के कारण समय-समय पर ये देश एकाधिकार प्राप्त ताकत के चलते, सुधार की पूरी प्रक्रिया को बंधक बन चुके है. जिसने युद्ध के खिलाफ लिए गए संकल्प को बार-बार बाधित होने दिया है.
यहां एक बात समझने वाली है कि इन पांच देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य योग्यता के आधार पर नहीं मिला था. बल्कि ये देश संयुक्त राष्ट्र के फाउंडिंग मेंबर थे. और इन्होंने शुरूआत से इसके निर्माण में भूमिका निभाई है. इसलिए इनके पास ये ताकत है.. लेकिन भारत योग्यता या क्षेत्र के आधार पर स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है. खास बात ये भी है कि ये पांचों देश संयुक्त राष्ट्र में बदलाव का समर्थन भी करते है. चीन के अलावा बाकी चार देश तो भारत को स्थायी सदस्य बनाना चाहते है लेकिन चीन ऐसा होने देना नहीं चाहता. भारत को रूस, अमेरिका, फ्रांस समेत दुनिया के कई ताकतवर देशों का समर्थन हासिल है. सबसे बड़ी बाधा चीन बना हुआ है. क्योंकि चीन नहीं चाहता है कि एशिया में उसके एकाधिकार को भारत चुनौती दे. इसी वजह से चीन सुरक्षा परिषद में एशिया से अकेले प्रतिनिधित्व करना चाहता है.
UNSC का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना था. लेकिन क्या ऐसा हुआ. क्या इसके सदस्य देशों ने लड़ाना बंद किया? क्या दुनिया जंग रुकी और इससे भी ज्यादा जरूरी क्या अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा हासिल हुई. हर एक सवाल का जवाब उद्देश्यों से उलट है. क्योंकि अगर ऐसा होता तो भारत को बदलावों के लिए आवाज नहीं उठानी पड़ती. बल्कि इसके उलट वो स्थायी सदस्य जिन्हें इन उद्देश्यों का ख्याल रखना था. वो खुद इसे ताक पर रख चुके है.